Dear Readers
I am giving a yantra in this post which is very useful for stammering/stuttering. Stammering or Stuttering is a common problem which happens when Mercury, the planet of speech is afflicted in the horoscope. This yantra gives relief to the wearer. (Android users who are watching this post through my app (Astro Junction App) on their smartphones, should click on the title of the post above to see the complete post.)
Yantra for Stammering |
Muhurta:
This yantra is made on an auspicious muhurta like Ravi Pushya Yoga or
Guru Pushya Yoga.
Procedure:
An ink of Saffron is made with ganges water and then after following many vedic procedures, a yantra is drawn on a bhojpatra.
After this, the yantra is energized with the help of vedic mantras. Then the yantra is inserted in a copper, silver or gold enclosure and worn around neck, arm or waist.
After this, the yantra is energized with the help of vedic mantras. Then the yantra is inserted in a copper, silver or gold enclosure and worn around neck, arm or waist.
Note: The
above procedure has been given only for the educational purposes. There
are too many intricacies involved in the preparation of the yantras and
everything can not be explained in a blog post.
Making a Yantra is an art. Readers are requested to get the yantras
made only by an expert to get the complete benefit.
If you are interested in having this Yantra, which
is made by me after following all the procedures, then please email me
at jyotishremedy@gmail.com for the cost and mode of delivery.
इस
पोस्ट में मैं जो यन्त्र देने जा रहा हूँ वह हकलाने या तुतलाने वाले व्यक्तियों के लिए बहुत लाभदायक है। हकलाना या तुतलाना कुंडली में बुध ग्रह के पापग्रस्त होने से होता है। इस यन्त्र को पहनने से इस समस्या में काफी फायदा होता है।
मुहूर्त:
इस यन्त्र को किसी भी शुभ मुहूर्त
(जैसे रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग आदि) में बनाया जाता है ।
विधि: केसर में गंगा जल डाल कर स्याही बनायी जाती है। इसके बाद कई वैदिक
विधियों से यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम से बनाया जाता है।
इसके
बाद यंत्र को वैदिक मन्त्रों की सहायता से अभिमंत्रित किया जाता है। और
फिर यंत्र को किसी चांदी, ताम्बे या सोने के खोल में डालकर गले, बाज़ू या
कमर में पहन लिया जाता है।
नोट: ऊपर
दी गयी विधि केवल पाठकों की शिक्षा हेतु दी गयी है । यन्त्र बनाने में
बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है और वो सारी बातें एक लेख में नहीं बतायी जा सकती हैं । यन्त्र बनाना एक कला है और पूरा फायदा लेने के लिए यन्त्र किसी अनुभवी व्यक्ति से ही बनवाना चाहिए ।
अगर आप पूरी विधि से मेरे द्वारा बनाया हुआ यह यन्त्र मंगवाने में रूचि रखते हैं तो कीमत जानने के लिए मुझे ईमेल करिए ।
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Gaurav Malhotra
Sir kindly guide can we keep parad shivling at home or not???
ReplyDeleteIf you can maintain the sanctity of the shivling then you can
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