Introduction: I will discuss various skin problems in this post including Psoriasis, Leukoderma, Leprosy, Scabies, Eczema etc. I would suggest the Ayurvedic and Astrological remedies for these skin diseases as well. Some of these diseases are considered to be incurable but our ancient Ayurvedic literatures have given many remedies to cure them.
Astrological combinations of Skin Problems: Mercury, Sun, Rahu, Venus are main causes of skin problems. So if these planets have bad influence on it or these are sitting in a bad position in a horoscope chart, they can give skin issues.
Karmas Which Cause Skin Problems:
The one who hurts animals or steals other's wealth/gold may get leprosy in his/her future births whereas the one who steals clothes may get Leucoderma.
A person who has coveted the possessions of others in his earlier birth is likely to suffer from ring worm and ulcers on the body which ooze pus and blood. Beneficial Diet and Ayurvedic Medicines for Curing Skin Problems:
1) Thakara (Cassia Tora), sesame seeds, Kushta (Indian costus root), mustard seeds, pippali, turmeric root, daaru haldi, ground them together in buttermilk and make a paste. Apply the paste on the affected areas. It can cure even chronic type of psoriasis, weeping eczema and ring worm if applied daily.
2) Guggul, water decoction of Daru Haldi, cow urine in equal quantities should be boiled into a concentrated oil and applied on the affected areas. It will cure itches and boils oozing pus and they will not recur ever again.
3) Powdered leaves, root, flowers, bark and seeds of neem, dry ginger powder, pepper, long pepper, turmeric, skin of amla fruit (Indian Gooseberry), baheda and hritaki (harad), All the should be powdered and mixed together. This panchakam choorna when taken with milk, honey or ghee cures cough, multiple toxins, diabetes, Leprosy and related skin diseases.
4) If you are looking for ready made medicines to treat skin problems then you should have Arogyavardhini Vati along with Maha Manjishtadi kashayam.
Cassia Tora |
Kushta (Saussurea lappa) |
Pippali |
Daru Haldi |
2) Guggul, water decoction of Daru Haldi, cow urine in equal quantities should be boiled into a concentrated oil and applied on the affected areas. It will cure itches and boils oozing pus and they will not recur ever again.
Guggulu |
3) Powdered leaves, root, flowers, bark and seeds of neem, dry ginger powder, pepper, long pepper, turmeric, skin of amla fruit (Indian Gooseberry), baheda and hritaki (harad), All the should be powdered and mixed together. This panchakam choorna when taken with milk, honey or ghee cures cough, multiple toxins, diabetes, Leprosy and related skin diseases.
Saunth (Dry Ginger) |
Baheda |
Harad |
4) If you are looking for ready made medicines to treat skin problems then you should have Arogyavardhini Vati along with Maha Manjishtadi kashayam.
Propitiating measures as per shastras (ancient scriptures):
Miscellaneous Remedies: Apart from the above propitiating measures, mantras of Venus, Mercury and Sun should be recited daily and Diamond and Emerald can be worn if it suits the patient. 12 mukhi nepali rudraksha and a 8 mukhi would also be beneficial. Mercury yantra, Venus yantra, Rahu yantra and Sun yantra will also be beneficial.
परिचय: इस पोस्ट में मैं कई त्वचा रोगों जैसे कि सोरायसिस, एक्जिमा, ल्यूकोडर्मा, स्केबीज़ इत्यादि के बारे में बात करूंगा। मैं इस पोस्ट में इन त्वचा रोगों के आयुर्वेदिक और ज्योतिष से संबंधित इलाज भी बताऊंगा। इनमें से कई बीमारियां लाइलाज मानी जाती हैं लेकिन हमारे पुराने ग्रंथों में इन बीमारियों के लिए भी कई इलाज बताए गए हैं जो हम इस पोस्ट में डिस्कस करेंगे।
त्वचा रोगों के लिए ज्योतिषीय योग बुध, सूर्य, राहु और शुक्र त्वचा रोग देते हैं इसलिए अगर इन ग्रहों पर पाप प्रभाव हो या फिर यह ग्रह किसी खराब स्थिति में बैठे हो तो यह त्वचा रोग दे सकते हैं।
त्वचा रोग किन पूर्व जन्म के कर्मों की वजह से होते है
जिसमें अपने पिछले जन्मों में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार किया हो या फिर दूसरों का सोना या धन चुराया हो उन्हें कुष्ठरोग अपने अगले जन्मों में हो सकता है। इसके अलावा जिसने दूसरों के कपड़े चुराए हों उसे ल्यूकोडर्मा हो सकता है। ऐसा व्यक्ति जिसने अपने पिछले जन्मों में दूसरों की चीजों पर कब्जा कर लिया हो उन्हें अपने अगले जन्मों में दाद या फिर शरीर पर ऐसे छाले हो सकते हैं जिनसे खून एवं पीक निकलती हो।
त्वचा रोगों में लाभदायक आयुर्वेदिक दवाएं
1) ठकरा (इसकी फोटो ऊपर दी गयी है), तिल, कुष्टा, सरसों के दाने, पिप्पली, हल्दी की गाँठ, दारु हल्दी। इन सबको इकट्ठा लेकर और थोड़ा सा लस्सी मिलाकर इन का पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को जहां पर भी एग्जिमा, सोरायसिस या दाद हो वहां पर लगाना चाहिए। यह बहुत पुरानी सोरायसिस, एग्जिमा और रिंगवार्म (दाद) को भी ठीक करने में लाभदायक होता है।
2) गुग्गुल, दारू हल्दी का काढ़ा और गोमूत्र को बराबर मात्रा में लेकर गाढ़ा होने तक पकाना चाहिए और उसके बाद ठंडा करके जहां पर भी दाद है वहां पर उसे लगाना चाहिए यह उपाय खुजली और पस से भरे हुए दानों को ठीक कर देगा और ऐसा ठीक करेगा कि यह दोबारा कभी भी नहीं होंगे।
3) नीम के पत्ते, जड़, फूल, छाल और बीजों का पाउडर, सौंठ का पाउडर, छोटी पिपली और बड़ी पिपली, हल्दी, आंवले के फल का छिलका, बहेड़ा और हरड़; इन सब को समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें और मिक्स कर लें। इसे पंचकम् चूर्ण कहा जाता है। इसे दूध, शहद या घी के साथ लेने से खांसी, डायबिटीज, कुष्ठ रोग और दूसरी त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं।
4) अगर आप बनी-बनाई दवाइयां त्वचा रोगों के लिए चाहते हैं तो फिर आपको आरोग्यवर्धिनी वटी लेनी चाहिए महामंजिष्ठादि कशायम के साथ (ये दवाइयाँ आपको किसी भी आयुर्वेदिक दूकान से मिल जाएँगी)
शान्ति के उपाय शास्त्रानुसार
शास्त्रों के हिसाब से रोजाना सूर्य को जल देना चाहिए। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह लूकोडर्मा को ठीक करने में सहायता करता है।
अगर किसी को दाद खाज वगैरह हो गई है या फिर शरीर पर ऐसे दाने हो गए हैं जिनमें से पीक और खून निकलता है तो उसे 3 दिन तक व्रत रखना चाहिए और उसके बाद नेक ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
किसी भी तरीके की त्वचा से सम्बंधित बीमारी में यह उपाय बहुत लाभदायक होते हैं; पुरुष सूक्तम् और विष्णु सहस्रनाम का पाठ, 50 ब्राह्मणों को भोजन कराना या फिर अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराना और "अच्युतानन्त गोविंद" इस मंत्र का 10,000 जप करना।
उमा महेश्वर की सुनहरी प्रतिमा एक सोने के बैल पर बैठी हुई और उस सोने के बैल का वजन 7.0 9 ग्राम होना चाहिए। उमामहेश्वर की इस सोने के बैल पर बैठी हुई प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए और उसके बाद किसी नेक ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए। ब्राह्मण को दान देने से पहले भोजन कराना चाहिए। इससे हर तरह के कुष्ठ रोग से छुटकारा मिलता है
मिश्रित उपाय
ऊपर दिए गए उपायों के अलावा शुक्र बुध और सूर्य के बीज मंत्रों का रोज जाप किया जाना चाहिए। हीरा और पन्ना भी पहना जा सकता है अगर यह मरीज को सूट करें।
12 मुखी नेपाली रुद्राक्ष और आठ मुखी नेपाली रुद्राक्ष पहनने से भी अच्छा फायदा होता है इसके अलावा बुध यंत्र, शुक्र यंत्र, राहु यंत्र और सूर्य यंत्र पहनना भी बहुत लाभदायक होता है
- Aditya Hridaya Stotra should be recited and water should be offered to the Sun (Surya Arghya) daily. It helps in curing Leucoderma.
- If one is suffering from ring worm or ulcers on his body which ooze pus and blood then he should fast for 3 days and feed the learned brahmins.
- Chanting of Purush Suktam, Vishnu Sahasranaam, feeding of 50 brahmins (or as per your capacity) and chanting "Achyutanant Govind" for 10,000 times are the remedial measures for any kind of skin problem.
- Golden image of Uma Maheshwara mounted on a bull made of 7.09 grams of gold should be worshiped and then gifted to a chaste, calm and peaceful brahmin who is learned in vedas. Brahmin should be fed before giving the gift. All forms of Leprosy get cured by following this ritual.
Miscellaneous Remedies: Apart from the above propitiating measures, mantras of Venus, Mercury and Sun should be recited daily and Diamond and Emerald can be worn if it suits the patient. 12 mukhi nepali rudraksha and a 8 mukhi would also be beneficial. Mercury yantra, Venus yantra, Rahu yantra and Sun yantra will also be beneficial.
परिचय: इस पोस्ट में मैं कई त्वचा रोगों जैसे कि सोरायसिस, एक्जिमा, ल्यूकोडर्मा, स्केबीज़ इत्यादि के बारे में बात करूंगा। मैं इस पोस्ट में इन त्वचा रोगों के आयुर्वेदिक और ज्योतिष से संबंधित इलाज भी बताऊंगा। इनमें से कई बीमारियां लाइलाज मानी जाती हैं लेकिन हमारे पुराने ग्रंथों में इन बीमारियों के लिए भी कई इलाज बताए गए हैं जो हम इस पोस्ट में डिस्कस करेंगे।
त्वचा रोगों के लिए ज्योतिषीय योग बुध, सूर्य, राहु और शुक्र त्वचा रोग देते हैं इसलिए अगर इन ग्रहों पर पाप प्रभाव हो या फिर यह ग्रह किसी खराब स्थिति में बैठे हो तो यह त्वचा रोग दे सकते हैं।
त्वचा रोग किन पूर्व जन्म के कर्मों की वजह से होते है
जिसमें अपने पिछले जन्मों में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार किया हो या फिर दूसरों का सोना या धन चुराया हो उन्हें कुष्ठरोग अपने अगले जन्मों में हो सकता है। इसके अलावा जिसने दूसरों के कपड़े चुराए हों उसे ल्यूकोडर्मा हो सकता है। ऐसा व्यक्ति जिसने अपने पिछले जन्मों में दूसरों की चीजों पर कब्जा कर लिया हो उन्हें अपने अगले जन्मों में दाद या फिर शरीर पर ऐसे छाले हो सकते हैं जिनसे खून एवं पीक निकलती हो।
त्वचा रोगों में लाभदायक आयुर्वेदिक दवाएं
1) ठकरा (इसकी फोटो ऊपर दी गयी है), तिल, कुष्टा, सरसों के दाने, पिप्पली, हल्दी की गाँठ, दारु हल्दी। इन सबको इकट्ठा लेकर और थोड़ा सा लस्सी मिलाकर इन का पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को जहां पर भी एग्जिमा, सोरायसिस या दाद हो वहां पर लगाना चाहिए। यह बहुत पुरानी सोरायसिस, एग्जिमा और रिंगवार्म (दाद) को भी ठीक करने में लाभदायक होता है।
2) गुग्गुल, दारू हल्दी का काढ़ा और गोमूत्र को बराबर मात्रा में लेकर गाढ़ा होने तक पकाना चाहिए और उसके बाद ठंडा करके जहां पर भी दाद है वहां पर उसे लगाना चाहिए यह उपाय खुजली और पस से भरे हुए दानों को ठीक कर देगा और ऐसा ठीक करेगा कि यह दोबारा कभी भी नहीं होंगे।
3) नीम के पत्ते, जड़, फूल, छाल और बीजों का पाउडर, सौंठ का पाउडर, छोटी पिपली और बड़ी पिपली, हल्दी, आंवले के फल का छिलका, बहेड़ा और हरड़; इन सब को समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें और मिक्स कर लें। इसे पंचकम् चूर्ण कहा जाता है। इसे दूध, शहद या घी के साथ लेने से खांसी, डायबिटीज, कुष्ठ रोग और दूसरी त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं।
4) अगर आप बनी-बनाई दवाइयां त्वचा रोगों के लिए चाहते हैं तो फिर आपको आरोग्यवर्धिनी वटी लेनी चाहिए महामंजिष्ठादि कशायम के साथ (ये दवाइयाँ आपको किसी भी आयुर्वेदिक दूकान से मिल जाएँगी)
शान्ति के उपाय शास्त्रानुसार
शास्त्रों के हिसाब से रोजाना सूर्य को जल देना चाहिए। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह लूकोडर्मा को ठीक करने में सहायता करता है।
अगर किसी को दाद खाज वगैरह हो गई है या फिर शरीर पर ऐसे दाने हो गए हैं जिनमें से पीक और खून निकलता है तो उसे 3 दिन तक व्रत रखना चाहिए और उसके बाद नेक ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
किसी भी तरीके की त्वचा से सम्बंधित बीमारी में यह उपाय बहुत लाभदायक होते हैं; पुरुष सूक्तम् और विष्णु सहस्रनाम का पाठ, 50 ब्राह्मणों को भोजन कराना या फिर अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराना और "अच्युतानन्त गोविंद" इस मंत्र का 10,000 जप करना।
उमा महेश्वर की सुनहरी प्रतिमा एक सोने के बैल पर बैठी हुई और उस सोने के बैल का वजन 7.0 9 ग्राम होना चाहिए। उमामहेश्वर की इस सोने के बैल पर बैठी हुई प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए और उसके बाद किसी नेक ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए। ब्राह्मण को दान देने से पहले भोजन कराना चाहिए। इससे हर तरह के कुष्ठ रोग से छुटकारा मिलता है
मिश्रित उपाय
ऊपर दिए गए उपायों के अलावा शुक्र बुध और सूर्य के बीज मंत्रों का रोज जाप किया जाना चाहिए। हीरा और पन्ना भी पहना जा सकता है अगर यह मरीज को सूट करें।
12 मुखी नेपाली रुद्राक्ष और आठ मुखी नेपाली रुद्राक्ष पहनने से भी अच्छा फायदा होता है इसके अलावा बुध यंत्र, शुक्र यंत्र, राहु यंत्र और सूर्य यंत्र पहनना भी बहुत लाभदायक होता है
Gaurav Malhotra
sir according to Bhrigu Saral Paddhati sun saturn conjunction or mutual aspect will become active after 32 years of age and the house they are sitting will also become active.
ReplyDeleteIs it true? if the answer is yes then what will happen if sun sitting in 5th house and saturn sitting in 11th house from age 33. Sir I want to add a situation-here sun is weak and saturn is strong and ascendant is capricorn
You are doing a very good, useful and selfless services. I pray to the God to give shower on you the necessary strength and health to continue your outstanding service
ReplyDeleteThanks a lot for your kind words.
DeleteHow to get rid of the enemy who has captured our property
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