Dear Readers
I am giving a yantra in this post which is very beneficial in the removal of difficulties in life and realization of hopes. (Android users who are watching this post through my app (Astro Junction App) on their smartphones, should click on the title of the post above to see the complete post.)
Yantra for Removal of Difficulties |
1) Twig of pomegranate tree
2) Ashtgandh. It is the mixture of eight things including musk, chandan, saffron etc.
3) Small piece of bhoj patra
4) Ganga jal (ganges water)
5)Talisman enclosure made of copper or silver.
Muhurta:
This yantra is made on an auspicious muhurta like Ravi Pushya Yoga or
Guru Pushya Yoga.
Procedure:
An ink of Ashtgandh is made with ganges water and then after following many vedic procedures, yantra is drawn on a bhojpatra.
After this the yantra is energized with the help fo vedic mantras. Then the yantra is inserted in a copper, silver or gold enclosure and worn around neck or arm or waist.
After this the yantra is energized with the help fo vedic mantras. Then the yantra is inserted in a copper, silver or gold enclosure and worn around neck or arm or waist.
Note: The
above procedure has been given only for the educational purposes. There
are too many intricacies involved in the preparation of the yantras and
everything can not be explained in a blog post.
Making a Yantra is an art. Readers are requested to get the yantras
made only by an expert to get the complete benefit.
If you are interested in having this Yantra, which
is made by me after following all the procedures, then please email me
at jyotishremedy@gmail.com for the cost and mode of delivery.
इस
पोस्ट में मैं जो यन्त्र देने जा रहा हूँ वह जीवन की मुश्किलों को हल करने में और आशाओं को पूरा करने में मदद करता है।
आवश्यक सामग्री:
1) अनार के पेड़ की एक डंडी (टहनी) ।
2) अष्टगंध जो की आठ चीज़ों, चन्दन, कस्तूरी, केसर इत्यादि का मिश्रण है ।
3) भोजपत्र
4) गंगा जल
5) ताम्बे या चांदी का बना हुआ ताबीज़ का खोल
मुहूर्त:
इस यन्त्र को किसी भी शुभ मुहूर्त
(जैसे रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग आदि) में बनाया जाता है ।
विधि:
अष्टगंध में गंगा जल डाल कर स्याही बनायी जाती है। इसके बाद कई वैदिक विधियों से यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम से बनाया जाता है।
इसके बाद यंत्र को वैदिक मन्त्रों की सहायता से अभिमंत्रित किया जाता है। और फिर यंत्र को किसी चांदी, ताम्बे या सोने के खोल में डालकर गले, बाज़ू या कमर में पहन लिया जाता है।
नोट: ऊपर
दी गयी विधि केवल पाठकों की शिक्षा हेतु दी गयी है । यन्त्र बनाने में
बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है और वो सारी बातें एक लेख में नहीं बतायी जा सकती हैं । यन्त्र बनाना एक कला है और पूरा फायदा लेने के लिए यन्त्र किसी अनुभवी व्यक्ति से ही बनवाना चाहिए ।
अगर आप पूरी विधि से मेरे द्वारा बनाया हुआ यह यन्त्र मंगवाने में रूचि रखते हैं तो कीमत जानने के लिए मुझे ईमेल करिए ।
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Gaurav Malhotra
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I get huge no. of comments everyday and it is not possible for me to reply to each and every comment due to scarcity of time. I will try my best to reply at least a few comments everyday.