I am going to write Vishnu Sahasranaam in this post which is one of the most effective remedies for almost all the problems of life. Based on my personal experience, I would say that Vishnu Sahasranaam is a miraculous remedy for any and every problem of life. The main push behind writing this post was when I tried to find the hindi meanings of 1000 names of Lord Vishnu, I could find them no where on the internet. In fact I browsed through various books but I could not find the hindi meanings of the 1000 names. For me it is necessary because when you are reciting the names you should know the meaning and then only you can have the inner feeling and devotion. It is quite long and it took me a long time and lot of effort to create this post. It may still have some small errors in it and I apologize for those mistakes.
Procedure: The procedure is quite straightforward. One should have complete faith and devotion in Lord Vishnu while reciting it. It should preferably be recited in the morning everyday facing east direction.
Benefits of Reciting Vishnu Sahasranaama:
1) Those who chant these names daily are blessed by good luck and fortune
2) It helps in relieving one from fears and worries.
3) It protects one from evil energies as well as enemies.
4) All obstacles and problems are removed.
5) It brings one closer to Lord Vishnu and all the sins are absolved.
6) One gets released from the birth and death cycle and gets moksha.
7) All wishes are fulfilled.
There are many other benefits which can be seen below under Phal Shruti.
Note: If one can not recite the complete sanskrit shlokas below then one can recite only the 1000 names as well. That will work too.
प्रिय पाठकों
कई पाठकों ने मुझे विष्णु सहस्रनाम लिखने के लिए प्रेरित किया था। इसलिए इस पोस्ट में मैं विष्णु सहस्रनाम लिखने जा रहा हूँ। विष्णु सहस्रनाम जीवन की सभी समस्याओं के लिए एक बेहद प्रभावी उपाय है। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कहूंगा की ये एक चमत्कारिक उपाय है अगर इसे पूरी श्रद्धा और विशवास के साथ किया जाए। इस पोस्ट को लिखने के पीछे ख़ास कारण ये था की मैं विष्णु जी के 1000 नामों के हिंदी में मतलब ढूंढ रहा था लेकिन मुझे इंटरनेट पर कहीं भी नहीं मिला। तब मैंने इस पोस्ट को लिखना शुरू किया। इसमें मैंने सभी 1000 नामों के हिंदी और अंग्रेजी में मतलब लिखे हैं। मतलब देखने से उस नाम का जप करते हुए मन में श्रद्धा आती है इसलिए मैंने मतलब भी लिखे हैं। ये पोस्ट काफी लम्बी हो गयी है और इसलिए इसमें कई त्रुटियां भी रह गयी हो सकती हैं जिसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।
विधि: इसे करने की विधि बिलकुल सीधी है। इसे करते हुए मन में विष्णु जी के लिए अगाध प्रेम और श्रद्धा होनी चाहिए। इसे करने का सबसे अच्छा समय सुबह है और पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
विष्णु सहस्रनाम के फायदे :
1) इसका पाठ रोज़ करने वालों को सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
2) भय और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
3) इसे करने वाला काले जादू और अन्य नकारात्मक शक्तियों से बचा रहता है।
4) सभी अड़चनें और समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं।
5) यह प्रभु विष्णु के करीब लेकर आता है एवं इससे पाप कटते हैं।
6) इसे नित्य श्रद्धा से करने वाला जन्म मरण के चक्कर से छूट कर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
7) सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
इसे करने के और भी कई फायदे हैं जो नीचे फल श्रुति के अंतर्गत दिए गए हैं
नोट: अगर कोई नीचे दिए पूरे संस्कृत के श्लोक न पढ़ पाए तो केवल 1000 नाम भी पढ़ सकता है।
Procedure: The procedure is quite straightforward. One should have complete faith and devotion in Lord Vishnu while reciting it. It should preferably be recited in the morning everyday facing east direction.
Benefits of Reciting Vishnu Sahasranaama:
1) Those who chant these names daily are blessed by good luck and fortune
2) It helps in relieving one from fears and worries.
3) It protects one from evil energies as well as enemies.
4) All obstacles and problems are removed.
5) It brings one closer to Lord Vishnu and all the sins are absolved.
6) One gets released from the birth and death cycle and gets moksha.
7) All wishes are fulfilled.
There are many other benefits which can be seen below under Phal Shruti.
Note: If one can not recite the complete sanskrit shlokas below then one can recite only the 1000 names as well. That will work too.
प्रिय पाठकों
कई पाठकों ने मुझे विष्णु सहस्रनाम लिखने के लिए प्रेरित किया था। इसलिए इस पोस्ट में मैं विष्णु सहस्रनाम लिखने जा रहा हूँ। विष्णु सहस्रनाम जीवन की सभी समस्याओं के लिए एक बेहद प्रभावी उपाय है। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कहूंगा की ये एक चमत्कारिक उपाय है अगर इसे पूरी श्रद्धा और विशवास के साथ किया जाए। इस पोस्ट को लिखने के पीछे ख़ास कारण ये था की मैं विष्णु जी के 1000 नामों के हिंदी में मतलब ढूंढ रहा था लेकिन मुझे इंटरनेट पर कहीं भी नहीं मिला। तब मैंने इस पोस्ट को लिखना शुरू किया। इसमें मैंने सभी 1000 नामों के हिंदी और अंग्रेजी में मतलब लिखे हैं। मतलब देखने से उस नाम का जप करते हुए मन में श्रद्धा आती है इसलिए मैंने मतलब भी लिखे हैं। ये पोस्ट काफी लम्बी हो गयी है और इसलिए इसमें कई त्रुटियां भी रह गयी हो सकती हैं जिसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।
विधि: इसे करने की विधि बिलकुल सीधी है। इसे करते हुए मन में विष्णु जी के लिए अगाध प्रेम और श्रद्धा होनी चाहिए। इसे करने का सबसे अच्छा समय सुबह है और पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
विष्णु सहस्रनाम के फायदे :
1) इसका पाठ रोज़ करने वालों को सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
2) भय और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
3) इसे करने वाला काले जादू और अन्य नकारात्मक शक्तियों से बचा रहता है।
4) सभी अड़चनें और समस्याएँ समाप्त हो जाती हैं।
5) यह प्रभु विष्णु के करीब लेकर आता है एवं इससे पाप कटते हैं।
6) इसे नित्य श्रद्धा से करने वाला जन्म मरण के चक्कर से छूट कर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
7) सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
इसे करने के और भी कई फायदे हैं जो नीचे फल श्रुति के अंतर्गत दिए गए हैं
नोट: अगर कोई नीचे दिए पूरे संस्कृत के श्लोक न पढ़ पाए तो केवल 1000 नाम भी पढ़ सकता है।
Meditate on Lord Vishnu
ध्यान
śuklāṁbaradharaṁ viṣṇuṁ śaśivarṇaṁ caturbhujam |
prasannavadanaṁ dhyāyet sarvavighnōpaśāṁtaye || 1 ||
Dressed in white you are,
Oh, all pervading one,
And glowing with the colour of moon.
With four arms, you are, the all knowing one
I meditate on your ever-smiling face,
And pray, Remove all obstacles on my way.
आप चन्द्रमा जैसे श्वेत रंग में रंगे हुए हैं और उसी रंग में आपकी आभा चमक रही है। आप अन्तर्यामी हैं एवं चार भुजाओं वाले हैं। मैं आपके सदा मुस्कुराने वाले चेहरे पर ध्यान लगा रहा हूँ और प्रार्थना कर रहा हूँ की मेरे पथ की सारी समस्याएँ दूर हो जाएँ।
yasya dviradavaktrādyāḥ pāriṣadyāḥ paraḥ śatam |
vighnaṁ nighnanti satataṁ viṣvakasenaṁ tamāśraye || 2 ||
The elephant faced one along with his innumerable attendants,
Would always remove obstacles as we depend on Vishvaksena.
बहुत सारे सेवकों वाले हाथी समान चेहरे वाले विश्वक्सेना हमारे सभी कष्ट दूर करेंगे अगर हम उन पर पूरी तरह समर्पित हो जाएंगे।
vyāsaṁ vasiṣṭhanaptāraṁ śakteḥ pautramakalmaṣam |
parāśarātmajaṁ vaṁde śukatātaṁ tapōnidhim || 3 ||
I bow before you Vyasa,
The treasure house of penance,
The great grand son of Vasishta.
The grand son of Shakthi,
The son of Parasara.
And the father of Shuka.
मैं व्यास को प्रणाम करता हूँ जो तपस्या की मूर्ति हैं, वसिष्ठ ऋषि के परपोते हैं। शक्ति के पोते हैं। पराशर के पुत्र हैं। और शुक के पिता है।
vyāsāya viṣṇurūpāya vyāsarūpāya viṣṇave |
namō vai brahmanidhaye vāsiṣṭhāya namō namaḥ || 4 ||
Bow I before,
Vyasa who is Vishnu,
Vishnu who is Vyasa,
And again and again bow before,
He, who is born,
In the family of Vasishta.
व्यास ही विष्णु हैं और विष्णु ही व्यास हैं और मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ। वो जो वशिष्ठ के परिवार में जन्मा है उसे मेरा बारम्बार प्रणाम है।
avikārāya śuddhāya nityāya paramātmane |
sadaikarūparūpāya viṣṇave sarvajiṣṇave || 5 ||
Bow I before Vishnu
Who is pure,
Who is not affected,
Who is permanent,
Who is the ultimate truth.
And He who wins over,
All the mortals in this world.
वो जो पवित्र है, जो परम है, जो सदा सत्य है जो संसार की सब नश्वर वस्तुओं से ऊपर है उस विष्णु को मेरा प्रणाम है।
yasya smaraṇamātreṇa janmasaṁsārabaṁdhanāt |
vimucyate namastasmai viṣṇave prabhaviṣṇave || 6 ||
ōṁ namō viṣṇave prabhaviṣṇave ||
Bow I before Him,
The all-powerful Vishnu,
The mere thought of whom.
Releases one forever,
Of the ties of birth and life.
Bow I before the all powerful Vishnu.
मैं उस सर्वशक्तिमान विष्णु को प्रणाम करता हूँ जिसके बारे में सिर्फ एक बार सोचने से ही जन्म और मृत्यु बंधन कट जाते हैं। उस सर्वशक्तिमान विष्णु को बारम्बार प्रणाम है।
śrī vaiśaṁpāyana uvāca
śrutvā dharmānaśeṣeṇa pāvanāni ca sarvaśaḥ |
yudhiṣṭhiraḥ śāṁtanavaṁ punarevābhyabhyāṣata || 7 ||
Sri Vaisampayana said:
After hearing a lot,
About Dharma that carries life,
And of those methods great,
That removes sins from ones life,
For ever and to cleanse,
Yudhishtra asked again,
Bhishma, the abode of everlasting peace.
श्री वैशम्पायन ने कहा सब प्रकार सुनकर और यह समझकर सब प्रकार सुनकर और यह समझ कर कि अभी तक ऐसा कोई धर्म नहीं कहा गया जो सकल पुरुषार्थ का साधक और अल्प प्रयास से ही सिद्ध होने वाला होकर भी महान फलवाला हो शांतनु के पुत्र भीष्म से फिर पूछा।
śrī yudhiṣṭhira uvāca
kimekaṁ daivataṁ lōke kiṁ vāpyekaṁ parāyaṇaṁ |
stuvaṁtaḥ kaṁ kamarcaṁtaḥ prāpnuyurmānavāḥ śubham || 8 ||
kō dharmaḥ sarvadharmāṇāṁ bhavataḥ paramō mataḥ |
kiṁ japanmucyate jaṁturjanmasaṁsārabaṁdhanāt || 9 ||
Yudhishthira asked:
In this wide world, Oh Grandpa,
Which is that one God,
Who is the only shelter?
Who is He whom,
Beings worship and pray,
And get salvation great?
Who is He who should oft,
Be worshiped with love?
Which Dharma is so great,
There is none greater?
And which is to be oft chanted,
To get free.
From these bondage of life, cruel?
युधिष्ठर बोले समस्त विद्याओं के स्थान प्रकाश के हेतु स्वरूप लोक में एक ही देव कौन है जिसके विषय में कहा है कि जिस की आज्ञा से सब प्राणी प्रवृत्त होते हैं तथा एक ही परायण कौन है जिसका साक्षात्कार कर लेने पर सब संशय नष्ट हो जाते हैं तथा संपूर्ण कर्म क्षीण हो जाते हैं जिसके ज्ञान मात्र से ही आनंद स्वरूप मोक्ष प्राप्त होता है जिसका जानने वाला किसी से भय नहीं करता जिसमें प्रवेश करने वाले का फिर जन्म नहीं होता और कौन से देव की स्तुति गुण कीर्तन करने से तथा किस देव का नाना प्रकार अर्चन और आंतरिक पूजा करने से मनुष्य कल्याण की प्राप्ति कर सकते हैं। आप सब धर्मों समस्त धर्मों में पूर्वोक्त लक्षणों से युक्त किस धर्म को परम श्रेष्ठ मानते हैं तथा किस जपने का उच्च उपांशु और मानस जप करने से जीव जन्म संसार बंधन से मुक्त हो जाता है।
śrī bhīṣma uvāca
jagatprabhuṁ devadevamanaṁtaṁ puruṣōttamam |
stuvannāmasahasreṇa puruṣaḥ satatōtthitaḥ || 10 ||
tameva cārcayannityaṁ bhaktyā puruṣamavyayam |
dhyāyan stuvannamasyaṁśca yajamānastameva ca || 11 ||
anādi nidhanaṁ viṣṇuṁ sarvalōkamaheśvaram |
lōkādhyakṣaṁ stuvannityaṁ sarvaduḥkhātigō bhavet || 12 ||
brahmaṇyaṁ sarvadharmajñaṁ lōkānāṁ kīrtivardhanam |
lōkanāthaṁ mahadbhūtaṁ sarvabhūtabhavōdhbhavam || 13 ||
eṣa me sarvadharmāṇāṁ dharmōdhikatamō mataḥ
yadbhaktyā puṁḍarīkākṣaṁ stavairarcennaraḥ sadā || 14 ||
paramaṁ yō mahattejaḥ paramaṁ yō mahattapaḥ |
paramaṁ yō mahadbrahma paramaṁ yaḥ parāyaṇam || 15 ||
pavitrāṇāṁ pavitraṁ yō maṁgalānāṁ ca maṁgalam |
daivataṁ devatānāṁ ca bhūtānāṁ yōvyayaḥ pitā || 16 ||
yataḥ sarvāṇi bhūtāni bhavaṁtyādiyugāgame |
yasmiṁśca pralayaṁ yāṁti punareva yugakṣaye || 17 ||
tasya lōkapradhānasya jagannāthasya bhūpate |
viṣṇōrnāmasahasraṁ me śruṇu pāpabhayāpaham || 18 ||
yāni nāmāni gauṇāni vikhyātāni mahātmanaḥ |
ṛṣibhiḥ parigītāni tāni vakṣyāmi bhūtaye || 19 ||
r̥ṣirnāmnāṁ sahasrasya vedavyāsō mahāmuniḥ |
chaṁdōnuṣṭup tathā devō bhagavān devakīsutaḥ || 20 ||
amr̥tāṁśūdbhavō bījaṁ śaktirdevakinaṁdana: |
trisāmā hr̥dayaṁ tasya śāṁtyarthe viniyujyate || 21 ||
viṣṇuṁ jiṣṇuṁ mahāviṣṇuṁ prabhaviṣṇuṁ maheśvaram |
anekarūpadaityāṁtaṁ namāmi puruṣōttamam || 22 ||
Bhishma replied:
That purusha with endless devotion,
Who chants the thousand names,
Of He who is the lord of the Universe,
Of He who is the God of Gods,
Of He who is limitless,
Would get free,
From these bondage of life, cruel
He who also worships and prays,
Daily without break,
That Purusha who does not change,
That Vishnu who does not end or begin,
That God who is the lord of all worlds,
And Him, who presides over the universe,
Would loose without fail,
All the miseries in this life.
Chanting the praises,
Worshiping and singing,
With devotion great,
Of the lotus eyed one,
Who is partial to the Vedas,
Who is the only one, who knows the dharma,
Who increases the fame,
Of those who live in this world,
Who is the master of the universe,
Who is the truth among all those who has life,
And who decides the life of all living,
Is the dharma that is great.
That which is the greatest light,
That which is the greatest penance,
That which is the greatest brahmam,
Is the greatest shelter that I know.
Please hear from me,
The thousand holy names,
Which wash away all sins,
Of Him who is purest of the pure,
Of That which is holiest of holies,
Of Him who is God among Gods,
Of That father who lives Without death,
Among all that lives in this world,
Of Him whom all the souls,
Were born at the start of the world,
Of Him in whom, all that lives,
Will disappear at the end of the world,
And of that the chief of all this world,
Who bears the burden of this world.
भीष्म जी ने उत्तर दिया थावर जंगम रूप जो संसार है उसके प्रभु स्वामी जो देश काल और वस्तु से परे हैं उस पुरुषोत्तम का सहस्त्रनाम के द्वारा निरंतर तत्पर रहकर गुण संकीर्तन करने से पुरुष सब दुखों से पार हो जाता है तथा उसी अविनाशी विनाश क्रिया रहित पुरुष का नृत्य भजन और भक्ति से युक्त होकर पूजन करने से जीव सब दुखों से छूट जाता है अनादि निधन अर्थात होना जन्म लेना बढ़ना बदलना सीन होना और नष्ट होना इन 6 भाग विकारों से रहित विष्णु जो ब्रहमा आदि के भी स्वामी होने से सर्व लोक महेश्वर और सारे दृश्य वर्ग को अपने स्वाभाविक ज्ञान से साक्षात देखने के कारण लोक अध्यक्ष हैं उस देवकी निरंतर स्तुति करने से मनुष्य सब दुखों के पार हो जाता है जो ब्रह्मण्य अर्थात जगत की रचना करने वाले ब्रह्मा के तथा ब्राह्मण तप और श्रुति के हितकारी हैं सब धर्मों को जानते हैं। और प्राणियों के यश को उनमें अपनी शक्ति से प्रविष्ट होकर बढ़ाते हैं जो लोकनाथ अर्थात लोगों से प्रार्थना अथवा शासित करने वाले तथा उन पर सत्ता चलाने वाले हैं जो अपने समस्त उत्कर्ष से वर्तमान होने के कारण महद अर्थात ब्रह्म यानी परमार्थ सत्य हैं और जिनकी सन्निधि मात्र से समस्त भूतों का उत्पत्ति स्थान संसार उत्पन्न होता है इसलिए जो समस्त भूतों के उद्भव स्थान हैं उन परमेश्वर का स्तवन करने से मनुष्य सब दुखों से छूट जाता है। संपूर्ण विधि रूप धर्मों में मैं आगे बतलाए जाने वाले किसी धर्म को सबसे बड़ा मानता हूं कि मनुष्य श्री पुंडरीकाक्ष का अर्थात अपने हृदय कमल में विराजमान भगवान वासुदेव का भक्ति पूर्वक तत्परता सहित गुण संकीर्तन रूप स्तुतियों से सदा अर्चन करें यानी मनुष्य आदरपूर्वक पूजन करें यह धर्म ही मुझे सबसे अधिक मान्य है इस स्तुति रूप अर्चन की अधिक मान्यता का कारण क्या है सो बतलाते हैं, हिंसा आदि पापकर्म का अभाव तथा पुरुष एवं द्रव्य, देश और काल आदि के नियम की अनावश्यकता ही इसकी अधिक मान्यता का कारण है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि सतयुग में ध्यान से, त्रेता में यज्ञ-अनुष्ठान से, द्वापर में पूजा करने से मनुष्य जो कुछ पाता है वह कलयुग में भगवान कृष्ण का नाम संकीर्तन करने से ही पा लेता है। महाभारत में कहा है कि संपूर्ण धर्मों में जप सर्वश्रेष्ठ धर्म कहा जाता है क्योंकि जप यज्ञ प्राणियों की हिंसा किए बिना ही संपन्न हो जाता है। भगवान का भी वचन है कि यज्ञों में मैं जप यज्ञ हूं। जो सब का प्रकाशक परम अर्थात उत्तम और महान चिन्मय प्रकाश है जो परम तप अर्थात तपने वाला यानी आज्ञा देने वाला है उसका ऐश्वर्य अपरिमित है इस कारण वह महान है। जो पवित्रो में पवित्र है उनका ध्यान दर्शन कीर्तन स्तुति पूजा स्मरण तथा प्रणाम किए जाने पर समस्त पापों को जड़ से उखाड़ डालते हैं इसलिए वह परम पवित्र हैं। जिससे यह भूत उत्पन्न होते हैं जिससे उत्पन्न होने पर जीवित रहते हैं और फिर मर कर जिस में प्रवेश करते हैं। हे पृथ्वीपति ! ऐसे लक्षणों से बतलाए हुए उस एक देव के जो लोक प्रधान, संसार के स्वामी, निर्लेप परमात्मा तथा व्यापन शील हैं उनके अशुभ कर्म जनित पाप और संसार रूप भय को दूर करने वाले सहस्त्र हजार नाम मुझसे सुनो अर्थात मन को एकाग्र करके ग्रहण करो |
1000 Names of Vishnu Start from Here
यहाँ से 1000 नाम शुरू होते हैं
viśvaṁ viṣṇurvaṣaṭkārō bhūtabhavyabhavatprabhuḥ |
bhūtakṛdbhūtabhṛdbhāvō bhūtātmā bhūtabhāvanaḥ || 1 ||
1 vishwam: Who is the universe himself
2 vishnuh: He who pervades everywhere
3 vashatkaarah: He who is invoked for oblations
4 bhoota-bhavya-bhavat-prabhuh: The Lord of past, present and future
5 bhoota-krit: The creator of all creatures
6 bhoota-bhrit: He who nourishes all creatures
7 bhaavah: He who becomes all moving and non-moving things
8 bhootaatmaa: The aatman of all beings
9 bhoota-bhaavanah: The cause of the growth and birth of all creatures
1 विश्वम् : जो स्वयं में ब्रह्मांड हो जो हर जगह विद्यमान हो
2 विष्णुः जो हर जगह विद्यमान हो
3 वषट्कारः जिसका यज्ञ और आहुतियों के समय आवाहन किया जाता हो
4 भूतभव्यभवत्प्रभुः भूत, वर्तमान और भविष्य का स्वामी
5 भूतकृत् : सब जीवों का निर्माता
6 भूतभृत् : सब जीवों का पालनकर्ता
7 भावः भावना
8 भूतात्मा: सब जीवों का परमात्मा
9 भूतभावनःसब जीवों उत्पत्ति और पालना का आधार
pūtātmā paramātmā ca muktānāṁ paramā gatiḥ |
avyayaḥ puruṣaḥ sākṣī kṣetrajñōkṣara eva ca || 2 ||
10 pootaatmaa: He with an extremely pure essence
11 paramaatmaa: The Supersoul
12 muktaanaam paramaa gatih: The final goal, reached by liberated souls
13 avyayah: Without destruction
14 purushah: He who is manifestation of A soul with strong masculinity
15 saakshee: The witness
16 kshetrajnah: The knower of the field
17 aksharah: Indestructible
10 पूतात्मा: अत्यंत पवित्र सुगंधियों वाला
11 परमात्मा: परम आत्मा
12 मुक्तानां परमा गतिः: सभी आत्माओं के लिए पहुँचने वाला अंतिम लक्ष्य
13 अव्ययः अविनाशी
14 पुरुषः पुरुषोत्तम
15 साक्षी बिना किसी व्यवधान के अपने स्वरुपभूत ज्ञान से सब कुछ देखने वाला
16 क्षेत्रज्ञः क्षेत्र अर्थात शरीर; शरीर को जानने वाला
17 अक्षरः कभी क्षीण न होने वाला
yōgō yōgavidāṁ netā pradhānapuruṣeśvaraḥ |
nārasiṁhavapuḥ śrīmān keśavaḥ puruṣōttamaḥ || 3 ||
18 yogah: He who is realized through yoga
19 yoga-vidaam netaa: The guide of those who know yoga
20 pradhaana-purusheshvarah: Lord of pradhaana and purusha
21 naarasimha-vapuh: He whose form is man-lion
22 shreemaan: He who is always with shree
23 keshavah: He who has beautiful locks of hair, slayer of Keshi and one who is himself the three
24 purushottamah: The Supreme Controller
18 योगः जिसे योग द्वारा पाया जा सके
19 योगविदां नेता योग को जानने वाले योगवेत्ताओं का नेता
20 प्रधानपुरुषेश्वरः प्रधान अर्थात प्रकृति; पुरुष अर्थात जीव; इन दोनों का स्वामी
21 नारसिंहवपुः नर और सिंह दोनों के अवयव जिसमे दिखाई दें ऐसे शरीर वाला
22 श्रीमान् जिसके वक्ष स्थल में सदा श्री बसती हैं
23 केशवः जिसके केश सुन्दर हों
24 पुरुषोत्तमः पुरुषों में उत्तम
sarvaḥ śarvaḥ śivaḥ sthāṇurbhūtādirnidhiravyayaḥ |
saṁbhavō bhāvanō bhartā prabhavaḥ prabhurīśvaraḥ || 4 ||
25 sarvah: He who is everything
26 sharvas: The auspicious
27 shivah: He who is eternally pure
28 sthaanuh: The pillar, the immovable truth
29 bhootaadih: The cause of the five great elements
30 nidhir-avyayah: The imperishable treasure
31 sambhavah: He who descends of His own free will
32 bhaavanah: He who gives everything to his devotees
33 bhartaa: He who governs the entire living world
34 prabhavah: The womb of the five great elements
35 prabhuh: The Almighty Lord
36 eeshvarah: He who can do anything without any help
25 सर्वः सर्वदा सब कुछ जानने वाला
26 शर्वः विनाशकारी या पवित्र
27 शिवः सदा शुद्ध
28 स्थाणुः स्थिर सत्य
29 भूतादिः पंच तत्वों के आधार
30 निधिरव्ययः अविनाशी निधि
31 सम्भवः अपनी इच्छा से उत्पन्न होने वाले
32 भावनः समस्त भोक्ताओं के फलों को उत्पन्न करने वाले
33 भर्ता समस्त संसार का पालन करने वाले
34 प्रभवः पंच महाभूतों को उत्पन्न करने वाले
35 प्रभुः सर्वशक्तिमान भगवान्
36 ईश्वरः जो बिना किसी के सहायता के कुछ भी कर पाए
svayaṁbhūḥ śaṁbhurādityaḥ puṣkarākṣō mahāsvanaḥ |
anādinidhanō dhātā vidhātā dhāturuttamaḥ || 5 ||
37 svayambhooh He who manifests from Himself
38 shambhuh He who brings auspiciousness
39 aadityah The son of Aditi (Vaamana)
40 pushkaraakshah He who has eyes like the lotus
41 mahaasvanah He who has a thundering voice
42 anaadi-nidhanah He without origin or end
43 dhaataa He who supports all fields of experience
44 vidhaataa The dispenser of fruits of action
45 dhaaturuttamah The subtlest atom
37 स्वयम्भूः जो सबके ऊपर है और स्वयं होते हैं
38 शम्भुः भक्तों के लिए सुख की भावना की उत्पत्ति करने वाले हैं
39 आदित्यः अदिति के पुत्र (वामन)
40 पुष्कराक्षः जिनके नेत्र पुष्कर (कमल) समान हैं
41 महास्वनः अति महान स्वर या घोष वाले
42 अनादि-निधनः जिनका आदि और निधन दोनों ही नहीं हैं
43 धाता शेषनाग के रूप में विश्व को धारण करने वाले
44 विधाता कर्म और उसके फलों की रचना करने वाले
45 धातुरुत्तमः अनंतादि अथवा सबको धारण करने वाले हैं
aprameyō hṛṣīkeśaḥ padmanābhōmaraprabhuḥ |
viśvakarmā manusvtaṣṭā sthaviṣṭhassthavirō dhruvaḥ || 6 ||
46 aprameyah He who cannot be perceived
47 hrisheekeshah The Lord of the senses
48 padmanaabhah He from whose navel comes the lotus
49 amaraprabhuh The Lord of the devas
50 vishvakarmaa The creator of the universe
51 manuh He who has manifested as the Vedic mantras
52 tvashtaa He who makes huge things small
53 sthavishtah The supremely gross
54 sthaviro dhruvah The ancient, motionless one
46 अप्रमेयः जिन्हे जाना न जा सके
47 हृषीकेशः इन्द्रियों के स्वामी
48 पद्मनाभः जिसकी नाभि में जगत का कारण रूप पद्म स्थित है
49 अमरप्रभुः देवता जो अमर हैं उनके स्वामी
50 विश्वकर्मा विश्व जिसका कर्म अर्थात क्रिया है
51 मनुः मनन करने वाले
52 त्वष्टा संहार के समय सब प्राणियों को क्षीण करने वाले
53 स्थविष्ठः अतिशय स्थूल
54 स्थविरो ध्रुवः प्राचीन एवं स्थिर
agrāhyaḥ śāśvataḥ kṛṣṇō lōhitākṣaḥ pratardanaḥ |
prabhūtastrikakubdhāma pavitraṁ maṁgalaṁ param || 7 ||
55 agraahyah He who is not perceived sensually
56 shaashvatah He who always remains the same
57 krishnah He whose complexion is dark
58 lohitaakshah Red-eyed
59 pratardanah The Supreme destruction
60 prabhootas Ever-full
61 trikakub-dhaama The support of the three quarters
62 pavitram He who gives purity to the heart
63 mangalam param The Supreme auspiciousness
55 अग्राह्यः जो कर्मेन्द्रियों द्वारा ग्रहण नहीं किये जा सकते
56 शाश्वतः जो सब काल में हो
57 कृष्णः जिसका वर्ण श्याम हो
58 लोहिताक्षः जिनके नेत्र लाल हों
59 प्रतर्दनः जो प्रलयकाल में प्राणियों का संहार करते हैं
60 प्रभूतस् जो ज्ञान, ऐश्वर्य आदि गुणों से संपन्न हैं
61 त्रिकाकुब्धाम ऊपर, नीचे और मध्य तीनो दिशाओं के धाम हैं
62 पवित्रम् जो पवित्र करे
63 मंगलं-परम् जो सबसे उत्तम है और समस्त अशुभों को दूर करता है
īśānaḥ prāṇadaḥ prāṇō jyeṣṭhaḥ śreṣṭhaḥ prajāpatiḥ |
hiraṇyagarbhō bhūgarbhō mādhavō madhusūdanaḥ || 8 ||
64 eeshanah The controller of the five great elements
65 praanadah He who gives life
66 praanah He who ever lives
67 jyeshthah Older than all
68 shreshthah The most glorious
69 prajaapatih The Lord of all creatures
70 hiranyagarbhah He who dwells in the womb of the world
71 bhoogarbhah He who is the womb of the world
72 maadhavah Husband of Lakshmi
73 madhusoodanah Destroyer of the Madhu demon
64 ईशानः सर्वभूतों के नियंता
65 प्राणदः प्राणो को देने वाले
66 प्राणः जो सदा जीवित है
67 ज्येष्ठः सबसे अधिक वृद्ध या या बड़ा
68 श्रेष्ठः सबसे प्रशंसनीय
69 प्रजापतिः ईश्वररूप से सब प्रजाओं के पति
70 हिरण्यगर्भः ब्रह्माण्डरूप अंडे के भीतर व्याप्त होने वाले
71 भूगर्भः पृश्वी जिनके गर्भ में स्थित है
72 माधवः माँ अर्थात लक्ष्मी के धव अर्थात पति
73 मधुसूदनः मधु नामक दैत्य को मारने वाले
īśvarō vikramī dhanvī medhāvī vikramaḥ kramaḥ |
anuttamō durādharṣaḥ kṛtajñaḥ kṛtirātmavān || 9 ||
74 eeshvarah The controller
75 vikramee He who is full of prowess
76 dhanvee He who always has a divine bow
77 medhaavee Supremely intelligent
78 vikramah Valorous
79 kramah All-pervading
80 anuttamah Incomparably great
81 duraadharshah He who cannot be attacked successfully
82 kritagyah He who knows all that is
83 kritih He who rewards all our actions
84 aatmavaan The self in all beings
74 ईश्वरः सर्वशक्तिमान
75 विक्रमः शूरवीर
76 धन्वी धनुष धारण करने वाला
77 मेधावी बहुत से ग्रंथों को धारण करने के सामर्थ्य वाला
78 विक्रमः जगत को लांघ जाने वाला या गरुड़ पक्षी द्वारा गमन करने वाला
79 क्रमः क्रमण (लांघना, दौड़ना ) करने वाला या क्रम (विस्तार) वाला
80 अनुत्तमः जिससे उत्तम और कोई न हो
81 दुराधर्षः जो दैत्यादिकों से दबाया न जा सके
82 कृतज्ञः प्राणियों के किये हुए पाप पुण्यों को जानने वाले
83 कृतिः सर्वात्मक
84 आत्मवान् अपनी ही महिमा में स्थित होने वाले
sureśaḥ śaraṇaṁ śarma viśvaretāḥ prajābhavaḥ |
ahaḥ saṁvatsarō vyālaḥ pratyayassarvadarśanaḥ || 10 |
85 sureshah The Lord of the demigods
86 sharanam The refuge
87 sharma He who is Himself infinite bliss
88 visva-retaah The seed of the universe
89 prajaa-bhavah He from whom all praja comes
90 ahah He who is the nature of time
91 samvatsarah He from whom the concept of time comes
92 vyaalah The serpent (vyaalah) to atheists
93 pratyayah He whose nature is knowledge
94 sarvadarshanah All-seeing
85 सुरेशः देवताओं के ईश
86 शरणम् दीनों का दुःख दूर करने वाले
87 शर्म परमानन्दस्वरूप
88 विश्वरेताः विश्व के कारण
89 प्रजाभवः जिनसे सम्पूर्ण प्रजा उत्पन्न होती है
90 अहः प्रकाशस्वरूप
91 संवत्सरः कालस्वरूप से स्थित हुए
92 व्यालः व्याल (सर्प) के समान ग्रहण करने में न आ सकने वाले
93 प्रत्ययः प्रतीति रूप होने के कारण
94 सर्वदर्शनः सर्वरूप होने के कारण सभी के नेत्र हैं
ajaḥ sarveśvaraḥ siddhaḥ siddhiḥ sarvādiracyutaḥ |
vṛṣākapirameyātmā sarvayōgaviniḥsṛtaḥ || 11 ||
95 ajah Unborn
96 sarveshvarah Controller of all
97 siddhah The most famous
98 siddhih He who gives moksha
99 sarvaadih The beginning of all
100 achyutah Infallible
101 vrishaakapih He who lifts the world to dharma
102 ameyaatmaa He who manifests in infinite varieties
103 sarva-yoga-vinissritah He who is free from all attachments
95 अजः अजन्मा
96 सर्वेश्वरः ईश्वरों का भी ईश्वर
97 सिद्धः नित्य सिद्ध
98 सिद्धिः सबसे श्रेष्ठ
99 सर्वादिः सर्व भूतों के आदि कारण
100 अच्युतः अपनी स्वरुप शक्ति से च्युत न होने वाले
101 वृषाकपिः वृष (धर्म) रूप और कपि (वराह) रूप
102 अमेयात्मा जिनके आत्मा का माप परिच्छेद न किया जा सके
103 सर्वयोगविनिसृतः सम्पूर्ण संबंधों से रहित
vasurvasumanāḥ satyaḥ samātmā sammitaḥ samaḥ |
amōghaḥ puṇḍarīkākṣō vṛṣakarmā vṛṣākṛtiḥ || 12 ||
104 vasuh The support of all elements
105 vasumanaah He whose mind is supremely pure
106 satyah The truth
107 samaatmaa He who is the same in all
108 sammitah He who has been accepted by authorities
109 samah Equal
110 amoghah Ever useful
111 pundareekaakshah He who dwells in the heart
112 vrishakarmaa He whose every act is righteous
113 vrishaakritih The form of dharma
104 वसुः जो सब भूतों में बसते हैं और जिनमे सब भूत बसते हैं
105 वसुमनाः जिनका मन प्रशस्त (श्रेष्ठ) है
106 सत्यः सत्य स्वरुप
107 समात्मा जो राग द्वेषादि से दूर हैं
108 सम्मितः समस्त पदार्थों से परिच्छिन्न
109 समः सदा समस्त विकारों से रहित
110 अमोघः जो स्मरण किये जाने पर सदा फल देते हैं
111 पुण्डरीकाक्षः हृदयस्थ कमल में व्याप्त होते हैं
112 वृषकर्मा जिनके कर्म धर्मरूप हैं
113 वृषाकृतिः जिन्होंने धर्म के लिए ही शरीर धारण किया है
rudrō bahuśirā babhrurviśvayōniḥ śuciśravāḥ |
amṛtaḥ śāśvataḥ sthāṇurvarārōhō mahātapāḥ || 13 ||
114 rudrah He who is mightiest of the mighty or He who is "fierce"
115 bahu-shiraah He who has many heads
116 babhrur He who rules over all the worlds
117 vishvayonih The womb of the universe
118 shuchi-shravaah He who listens only the good and pure
119 amritah Immortal
120 shaashvatah-sthaanur Permanent and immovable
121 varaaroho The most glorious destination
122 mahaatapaah He of great tapas
114 रुद्रः दुःख को दूर भगाने वाले
115 बहुशिरः बहुत से सिरों वाले
116 बभ्रुः लोकों का भरण करने वाले
117 विश्वयोनिः विश्व के कारण
118 शुचिश्रवाः जिनके नाम सुनने योग्य हैं
119 अमृतः जिनका मृत अर्थात मरण नहीं होता
120 शाश्वतः-स्थाणुः शाश्वत (नित्य) और स्थाणु (स्थिर)
121 वरारोहः जिनका आरोह (गोद) वर (श्रेष्ठ) है
122 महातपः जिनका तप महान है
sarvagaḥ sarvavidbhānurviṣvaksenō janārdanaḥ |
vedō vedavidavyaṅgō vedāṅgō vedavit kaviḥ || 14 ||
123 sarvagah All-pervading
124 sarvavid-bhaanuh All-knowing and effulgent
125 vishvaksenah He against whom no army can stand
126 janaardanah He who gives joy to good people
127 vedah He who is the Vedas
128 vedavid The knower of the Vedas
129 avyangah Without imperfections
130 vedaangah He whose limbs are the Vedas
131 vedavit He who contemplates upon the Vedas
132 kavih The seer
123 सर्वगः जो सर्वत्र व्याप्त है
124 सर्वविद्भानुः जो सर्ववित् है और भानु भी है
125 विष्वक्सेनः जिनके सामने कोई सेना नहीं टिक सकती
126 जनार्दनः दुष्टजनों को नरकादि लोकों में भेजने वाले
127 वेदः वेद रूप
128 वेदविद् वेद जानने वाले
129 अव्यंगः जो किसी प्रकार ज्ञान से अधूरा न हो
130 वेदांगः वेद जिनके अंगरूप हैं
131 वेदविद् वेदों को विचारने वाले
132 कविः सबको देखने वाले
lōkādhyakṣaḥ surādhyakṣō dharmādhyakṣaḥ kṛtākṛta: |
caturātmā caturvyūhaścaturdaṁṣṭraścaturbhujaḥ || 15 ||
133 lokaadhyakshah He who presides over all lokas
134 suraadhyaksho He who presides over all devas
135 dharmaadhyakshah He who presides over dharma
136 krita-akritah All that is created and not created
137 chaturaatmaa The four-fold self
138 chaturvyoohah Vasudeva, Sankarshan etc.
139 chaturdamstrah He who has four canines (Narsimha)
140 chaturbhujah Four-handed
133 लोकाध्यक्षः समस्त लोकों का निरीक्षण करने वाले
134 सुराध्यक्षः सुरों (देवताओं) के अध्यक्ष
135 धर्माध्यक्षः धर्म और अधर्म को साक्षात देखने वाले
136 कृताकृतः कार्य रूप से कृत और कारणरूप से अकृत
137 चतुरात्मा चार पृथक विभूतियों वाले
138 चतुर्व्यूहः चार व्यूहों वाले
139 चतुर्दंष्ट्रः चार दाढ़ों या सींगों वाले
140 चतुर्भुजः चार भुजाओं वाले
bhrājiṣṇurbhōjanaṁ bhōktā sahiṣṇurjagadādijaḥ |
anaghō vijayō jetā viśvayōniḥ punarvasuḥ || 16 ||
141 bhraajishnuh Self-effulgent consciousness
142 bhojanam He who is the sense-objects
143 bhoktaa The enjoyer
144 sahishnuh He who can suffer patiently
145 jagadaadijah Born at the beginning of the world
146 anaghah Sinless
147 vijayah Victorious
148 jetaa Ever-successful
149 vishvayonih He who incarnates because of the world
150 punarvasuh He who lives repeatedly in different bodies
141 भ्राजिष्णुः एकरस प्रकाशस्वरूप
142 भोजनम् प्रकृति रूप भोज्य माया
143 भोक्ता पुरुष रूप से प्रकृति को भोगने वाले
144 सहिष्णुः दैत्यों को भी सहन करने वाले
145 जगदादिजः जगत के आदि में उत्पन्न होने वाले
146 अनघः जिनमे अघ (पाप) न हो
147 विजयः ज्ञान, वैराग्य व् ऐश्वर्य से विश्व को जीतने वाले
148 जेता समस्त भूतों को जीतने वाले
149 विश्वयोनिः विश्व और योनि दोनों वही हैं
150 पुनर्वसुः बार बार शरीरों में बसने वाले
upendrō vāmanaḥ prāṁśuramōghaḥ śucirūrjitaḥ |
atīndraḥ saṅgrahaḥ sargō dhṛtātmā niyamō yama || 17 ||
151 upendra The younger brother of Indra (Vamana)
152 vaamanah He with a dwarf body
153 praamshuh He with a huge body
154 amoghah He whose acts are for a great purpose
155 shuchih He who is spotlessly clean
156 oorjitah He who has infinite vitality
157 ateendrah He who surpasses Indra
158 samgrahah He who holds everything together
159 sargah He who creates the world from Himself
160 dhritaatmaa Established in Himself
161 niyamah The appointing authority
162 yamah The administrator
151 उपेन्द्रः अनुजरूप से इंद्र के पास रहने वाले
152 वामनः भली प्रकार भजने योग्य हैं
153 प्रांशुः तीनो लोकों को लांघने के कारण प्रांशु (ऊंचे) हो गए
154 अमोघः जिनकी चेष्टा मोघ (व्यर्थ) नहीं होती
155 शुचिः स्मरण करने वालों को पवित्र करने वाले
156 ऊर्जितः अत्यंत बलशाली
157 अतीन्द्रः जो बल और ऐश्वर्य में इंद्र से भी आगे हो
158 संग्रहः प्रलय के समय सबका संग्रह करने वाले
159 सर्गः जगत रूप और जगत का कारण
160 धृतात्मा अपने स्वरुप को एक रूप से धारण करने वाले
161 नियमः प्रजा को नियमित करने वाले
162 यमः अन्तः करण में स्थित होकर नियमन करने वाले
vedyō vaidyaḥ sadāyōgī vīrahā mādhavō madhuḥ |
atīndriyō mahāmāyō mahōtsāhō mahābalaḥ ||18 ||
163 vedyah That which is to be known
164 vaidyah The Supreme doctor
165 sadaa-yogee Always in yoga
166 veerahaa He who destroys the mighty heroes
167 maadhavah The Lord of all knowledge
168 madhuh Sweet
169 ateendriyah Beyond the sense organs
170 mahaamayah The Supreme Master of all Maya
171 mahotsaahah The great enthusiast
172 mahaabalah He who has supreme strength
163 वेद्यः कल्याण की इच्छा वालों द्वारा जानने योग्य
164 वैद्यः सब विद्याओं के जानने वाले
165 सदायोगी सदा प्रत्यक्ष रूप होने के कारण
166 वीरहा धर्म की रक्षा के लिए असुर योद्धाओं को मारते हैं
167 माधवः विद्या के पति
168 मधुः मधु (शहद) के समान प्रसन्नता उत्पन्न करने वाले
169 अतीन्द्रियः इन्द्रियों से परे
170 महामायः मायावियों के भी स्वामी
171 महोत्साहः जगत की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के लिए तत्पर रहने वाले
172 महाबलः सर्वशक्तिमान
mahābuddhirmahāvīryō mahāśaktirmahādyutiḥ |
anirdeśyavapuḥ śrīmānameyātmā mahādridhṛk || 19 ||
173 mahaabuddhir He who has supreme intelligence
174 mahaa-veeryah The supreme essence
175 mahaa-shaktih All-powerful
176 mahaa-dyutih Greatly luminous
177 anirdeshya-vapuh He whose form is indescribable
178 shreemaan He who is always courted by glories
179 ameyaatmaa He whose essence is immeasurable
180 mahaadri-dhrik He who supports the great mountain
173 महाबुद्धिः सर्वबुद्धिमान
174 महावीर्यः संसार के उत्पत्ति की कारणरूप
175 महाशक्तिः अति महान शक्ति और सामर्थ्य के स्वामी
176 महाद्युतिः जिनकी बाह्य और अंतर दयुति (ज्योति) महान है
177 अनिर्देश्यवपुः जिसे बताया न जा सके
178 श्रीमान् जिनमे श्री है
179 अमेयात्मा जिनकी आत्मा समस्त प्राणियों से अमेय(अनुमान न की जा सकने योग्य) है
180 महाद्रिधृक् मंदराचल और गोवर्धन पर्वतों को धारण करने वाले
maheṣvāsō mahībhartā śrīnivāsaḥ satāṁ gatiḥ |
aniruddhaḥ surānandō gōvindō gōvidāṁ patiḥ || 20 ||
181 maheshvaasah He who wields shaarnga
182 maheebhartaa The husband of mother earth
183 shreenivaasah The permanent abode of Shree
184 sataam gatih The goal for all virtuous people
185 aniruddhah He who cannot be obstructed
186 suraanandah He who gives out happiness
187 govindah The protector of the 'Go' - means Veda not Cow.
188 govidaam-patih The Lord of all men of wisdom
181 महेष्वासः जिनका धनुष महान है
182 महीभर्ता प्रलयकालीन जल में डूबी हुई पृथ्वी को धारण करने वाले
183 श्रीनिवासः श्री के निवास स्थान
184 सतां गतिः संतजनों के पुरुषार्थसाधन हेतु
185 अनिरुद्धः प्रादुर्भाव के समय किसी से निरुद्ध न होने वाले
186 सुरानन्दः सुरों (देवताओं) को आनंदित करने वाले
187 गोविन्दः वाणी (गौ) को प्राप्त कराने वाले
188 गोविदां-पतिः गौ (वाणी) पति
marīcirdamanō haṁsaḥ suparṇō bhujagōttamaḥ |
hiraṇyanābhaḥ sutapāḥ padmanābhaḥ prajāpati: || 21 ||
189 mareechih Effulgence
190 damanah He who controls rakshasas
191 hamsah The swan
192 suparnah Beautiful-winged (Two birds analogy)
193 bhujagottamah The serpent Ananta
194 hiranyanaabhah He who has a golden navel
195 sutapaah He who has glorious tapas
196 padmanaabhah He whose navel is like a lotus
197 prajaapatih He from whom all creatures emerge
189 मरीचिः तेजस्वियों के परम तेज
190 दमनः राक्षसों का दमन करने वाले
191 हंसः संसार भय को नष्ट करने वाले
192 सुपर्णः धर्म और अधर्मरूप सुन्दर पंखों वाले
193 भुजगोत्तमः भुजाओं से चलने वालों में उत्तम
194 हिरण्यनाभः हिरण्य (स्वर्ण) के समान नाभि वाले
195 सुतपाः सुन्दर तप करने वाले
196 पद्मनाभः पद्म के समान सुन्दर नाभि वाले
197 प्रजापतिः प्रजाओं के पिता
amṛtyuḥ sarvadṛk siṁhaḥ sandhātā sandhimān sthiraḥ |
ajō durmarṣaṇaḥ śāstā viśrutātmā surārihā || 22 ||
198 amrityuh He who knows no death
199 sarva-drik The seer of everything
200 simhah He who destroys
201 sandhaataa The regulator
202 sandhimaan He who seems to be conditioned
203 sthirah Steady
204 ajah He who takes the form of Aja, Brahma
205 durmarshanah He who cannot be vanquished
206 shaastaa He who rules over the universe
207 vishrutaatmaa He who is celebrated, most famous and heard about by one and all.
208 suraarihaa Destroyer of the enemies of the devas
198 अमृत्युः जिसकी मृत्यु न हो
199 सर्वदृक् प्राणियों के सब कर्म-अकर्मादि को देखने वाले
200 सिंहः हनन करने वाले हैं
201 सन्धाता मनुष्यों को उनके कर्मों के फल देते हैं
202 सन्धिमान् फलों के भोगनेवाले हैं
203 स्थिरः सदा एकरूप हैं
204 अजः भक्तों के ह्रदय में रहने वाले और असुरों का संहार करने वाले
205 दुर्मषणः दानवादिकों से सहन नहीं किये जा सकते
206 शास्ता श्रुति स्मृति से सबका अनुशासन करते हैं
207 विश्रुतात्मा सत्यज्ञानादि रूप आत्मा का विशेषरूप से श्रवण करने वाले
208 सुरारिहा सुरों (देवताओं) के शत्रुओं को मारने वाले
gururgurutamō dhāmaḥ satyaḥ satyaparākramaḥ |
nimiṣō nimiṣaḥ sragvī vācaspatirudāradhīḥ || 23 ||
209 guruh The teacher
210 gurutamah The greatest teacher
211 dhaama The goal
212 satyah He who is Himself the truth
213 satya-paraakramah Dynamic Truth
214 nimishah He who has closed eyes in contemplation
215 animishah He who remains unwinking; ever knowing
216 sragvee He who always wears a garland of undecaying flowers
217 vaachaspatir-udaara-dheeh He who is eloquent in championing the Supreme law of life; He with a large-hearted intelligence
209 गुरुः सब विद्याओं के उपदेष्टा और सबके जन्मदाता
210 गुरुतमः ब्रह्मा आदिको भी ब्रह्मविद्या प्रदान करने वाले
211 धाम परम ज्योति
212 सत्यः सत्य-भाषणरूप, धर्मस्वरूप
213 सत्यपराक्रमः जिनका पराक्रम सत्य अर्थात अमोघ है
214 निमिषः जिनके नेत्र योगनिद्रा में मूंदे हुए हैं
215 अनिमिषः मत्स्यरूप या आत्मारूप
216 स्रग्वी वैजयंती माला धारण करने वाले
217 वाचस्पतिः-उदारधीः विद्या के पति,सर्व पदार्थों को प्रत्यक्ष करने वाले
agraṇīrgrāmaṇīḥ śrīmān nyāyō netā samīraṇaḥ |
sahasramūrdhā viśvātmā sahasrākṣaḥ sahasrapāt || 24 ||
218 agraneeh He who guides us to the peak
219 graamaneeh He who leads the flock
220 shreemaan The possessor of light, effulgence, glory
221 nyaayah Justice
222 netaa The leader
223 sameeranah He who sufficiently administers all movements of all living creatures
224 sahasra-moordhaa He who has endless heads
225 vishvaatmaa The soul of the universe
226 sahasraakshah Thousands of eyes
227 sahasrapaat Thousand-footed
218 अग्रणीः मुमुक्षुओं को उत्तम पद पर ले जाने वाले
219 ग्रामणीः भूतग्राम का नेतृत्व करने वाले
220 श्रीमान् जिनकी श्री अर्थात कांति सबसे बढ़ी चढ़ी है
221 न्यायः न्यायस्वरूप
222 नेता जगतरूप यन्त्र को चलाने वाले
223 समीरणः श्वासरूप से प्राणियों से चेष्टा करवाने वाले
224 सहस्रमूर्धा सहस्र मूर्धा (सिर) वाले
225 विश्वात्मा विश्व के आत्मा
226 सहस्राक्षः सहस्र आँखों या इन्द्रियों वाले
227 सहस्रपात् सहस्र पाद (चरण) वाले
āvartanō nivṛttātmā saṁvṛtaḥ saṁpramardanaḥ |
ahaḥ saṁvartakō vahniranilō dharaṇīdharaḥ || 25 ||
228 aavartanah The unseen dynamism
229 nivritaatmaa The soul retreated from matter
230 samvritah He who is veiled from the jiva
231 sam-pramardanah He who persecutes evil men
232 ahassamvartakah He who thrills the day and makes it function vigorously
233 vahnih Fire
234 anilah Air
235 dharaneedharah He who supports the earth
228 आवर्तनः संसार चक्र का आवर्तन करने वाले हैं
229 निवृत्तात्मा संसार बंधन से निवृत्त (छूटे हुए) हैं
230 संवृतः आच्छादन करनेवाली अविद्या से संवृत्त (ढके हुए) हैं
231 संप्रमर्दनः अपने रूद्र और काल रूपों से सबका मर्दन करने वाले हैं
232 अहः संवर्तकः दिन के प्रवर्तक हैं
233 वह्निः हविका वहन करने वाले हैं
234 अनिलः अनादि
235 धरणीधरः वराहरूप से पृथ्वी को धारण करने वाले हैं
suprasādaḥ prasannātmā viśvadhṛgviśvabhugvibhuḥ |
satkartā satkṛtaḥ sādhurjahnurnārāyaṇō naraḥ || 26 ||
236 suprasaadah Fully satisfied
237 prasanaatmaa Ever pure and all-blissful self
238 vishva-dhrik Supporter of the world
239 vishvabhuk He who enjoys all experiences
240 vibhuh He who manifests in endless forms
241 satkartaa He who adores good and wise people
242 satkritah He who is adored by all good people
243 saadhur He who lives by the righteous codes
244 jahnuh Leader of men
245 naaraayanah He who resides on the waters
246 narah The guide
236 सुप्रसादः जिनकी कृपा अति सुन्दर है
237 प्रसन्नात्मा जिनका अन्तः करण रज और तम से दूषित नहीं है
238 विश्वधृक् विश्व को धारण करने वाले हैं
239 विश्वभुक् विश्व का पालन करने वाले हैं
240 विभुः हिरण्यगर्भादिरूप से विविध होते हैं
241 सत्कर्ता सत्कार करते अर्थात पूजते हैं
242 सत्कृतः पूजितों से भी पूजित
243 साधुः साध्यमात्र के साधक हैं
244 जह्नुः अज्ञानियों को त्यागते और भक्तो को परमपद पर ले जाने वाले
245 नारायणः नर से उत्पन्न हुए तत्व नार हैं जो भगवान् के अयन (घर) थे
246 नरः नयन कर्ता है इसलिए सनातन परमात्मा नर कहलाता है
asaṅkhyeyō prameyātmā viśiṣṭaḥ śiṣṭakṛcchuciḥ |
siddhārthaḥ siddhasaṅkalpaḥ siddhidaḥ siddhisādhanaḥ || 27 ||
247 asankhyeyah He who has numberless names and forms
248 aprameyaatmaa A soul not known through the pramanas
249 vishishtah He who transcends all in His glory
250 shishta-krit The law-maker
251 shuchih He who is pure
252 siddhaarthah He who has all arthas
253 siddhasankalpah He who gets all He wishes for
254 siddhidah The giver of benedictions
255 siddhisaadhanah The power behind our sadhana
247 असंख्येयः जिनमे संख्या अर्थात नाम रूप भेदादि नहीं हो
248 अप्रमेयात्मा जिनका आत्मा अर्थात स्वरुप अप्रमेय है
249 विशिष्टः जो सबसे अतिशय (बढे चढ़े) हैं
250 शिष्टकृत् जो शासन करते हैं
251 शुचिः जो मलहीन है
252 सिद्धार्थः जिनका अर्थ सिद्ध हो
253 सिद्धसंकल्पः जिनका संकल्प सिद्ध हो
254 सिद्धिदः कर्ताओं को अधिकारानुसार फल देने वाले
255 सिद्धिसाधनः सिद्धि के साधक
vṛṣāhī vṛṣabhō viṣṇurvṛṣaparvā vṛṣōdaraḥ |
vardhanō vardhamānaśca viviktaḥ śrutisāgaraḥ || 28 ||
256 vrishaahee Controller of all actions
257 vrishabhah He who showers all dharmas
258 vishnuh Long-striding
259 vrishaparvaa The ladder leading to dharma (As well as dharma itself)
260 vrishodarah He from whose belly life showers forth
261 vardhanah The nurturer and nourisher
262 vardhamaanah He who can grow into any dimension
263 viviktah Separate
264 shruti-saagarah The ocean for all scripture
256 वृषाही जिनमे वृष(धर्म) जोकि अहः (दिन) है वो स्थित है
257 वृषभः जो भक्तों के लिए इच्छित वस्तुओं की वर्षा करते हैं
258 विष्णुः सब और व्याप्त रहने वाले
259 वृषपर्वा धर्म की तरफ जाने वाली सीढ़ी
260 वृषोदरः जिनका उदर मानो प्रजा की वर्षा करता है
261 वर्धनः बढ़ाने और पालना करने वाले
262 वर्धमानः जो प्रपंचरूप से बढ़ते हैं
263 विविक्तः बढ़ते हुए भी पृथक ही रहते हैं
264 श्रुतिसागरः जिनमे समुद्र के सामान श्रुतियाँ रखी हुई हैं
subhujō durdharō vāgmī mahendrō vasudō vasuḥ |
naikarūpō bṛhadrūpaḥ śipiviṣṭaḥ prakāśanaḥ || 29 ||
265 subhujah He who has graceful arms
266 durdharah He who cannot be known by great yogis
267 vaagmee He who is eloquent in speech
268 mahendrah The lord of Indra
269 vasudah He who gives all wealth
270 vasuh He who is Wealth
271 naika-roopo He who has unlimited forms
272 brihad-roopah Vast, of infinite dimensions
273 shipivishtah The presiding deity of the sun
274 prakaashanah He who illuminates
265 सुभुजः जिनकी जगत की रक्षा करने वाली भुजाएं अति सुन्दर हैं
266 दुर्धरः जो मुमुक्षुओं के ह्रदय में अति कठिनता से धारण किये जाते हैं
267 वाग्मी जिनसे वेदमयी वाणी का प्रादुर्भाव हुआ है
268 महेन्द्रः ईश्वरों के भी इश्वर
269 वसुदः वसु अर्थात धन देते हैं
270 वसुः दिया जाने वाला वसु (धन) भी वही हैं
271 नैकरूपः जिनके अनेक रूप हों
272 बृहद्रूपः जिनके वराह आदि बृहत् (बड़े-बड़े) रूप हैं
273 शिपिविष्टः जो शिपि (पशु) में यञरूप में स्थित होते हैं
274 प्रकाशनः सबको प्रकाशित करने वाले
ōjastejōdyutidharaḥ prakāśātmā pratāpanaḥ |
ṛddhaḥ spaṣṭākṣarō mantraścandrāṁśurbhāskaradyutiḥ || 30 ||
275 ojas-tejo-dyutidharah The possessor of vitality, effulgence and beauty
276 prakaashaatmaa The effulgent self
277 prataapanah Thermal energy; one who heats
278 riddhah Full of prosperity
279 spashtaaksharah One who is indicated by OM
280 mantrah The nature of the Vedic mantras
281 chandraamshuh The rays of the moon
282 bhaaskara-dyutih The effulgence of the sun
275 ओजस्तेजोद्युतिधरः ओज, प्राण और बल को धारण करने वाले
276 प्रकाशात्मा जिनकी आत्मा प्रकाश स्वरुप है
277 प्रतापनः जो अपनी किरणों से धरती को तप्त करते हैं
278 ऋद्धः जो धर्म, ज्ञान और वैराग्य से संपन्न हैं
279 स्पष्टाक्षरः जिनका ओंकाररूप अक्षर स्पष्ट है
280 मन्त्रः मन्त्रों से जानने योग्य
281 चन्द्रांशुः मनुष्यों को चन्द्रमा की किरणों के समान आल्हादित करने वाले
282 भास्करद्युतिः सूर्य के तेज के समान धर्म वाले
amṛtāṁśūdbhavō bhānuḥ śaśabinduḥ sureśvaraḥ |
auṣadhaṁ jagataḥ setuḥ satyadharmaparākramaḥ || 31 ||
283 amritaamshoodbhavah The Paramatman from whom Amrutamshu or the Moon originated at the time of the churning of the Milk-ocean.
284 bhaanuh Self-effulgent
285 shashabindhuh The moon who has a rabbit-like spot
286 sureshvarah A person of extreme charity
287 aushadham Medicine
288 jagatas-setuh A bridge across the material energy
289 satya-dharma-paraakramah One who champions heroically for truth and righteousness
283 अमृतांशोद्भवः समुद्र मंथन के समय जिनके कारण चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई
284 भानुः भासित होने वाले
285 शशबिन्दुः चन्द्रमा के समान प्रजा का पालन करने वाले
286 सुरेश्वरः देवताओं के इश्वर
287 औषधम् संसार रोग के औषध
288 जगतः सेतुः लोकों के पारस्परिक असंभेद के लिए इनको धारण करने वाला सेतु
289 सत्यधर्मपराक्रमःजिनके धर्म-ज्ञान और पराक्रमादि गुण सत्य है
bhūtabhavyabhavannāthaḥ pavanaḥ pāvanōnalaḥ |
kāmahā kāmakṛt kāmtaḥ kānaḥ kāmapradaḥ prabhuḥ || 32 ||
290 bhoota-bhavya-bhavan-naathah The Lord of past, present and future
291 pavanah The air that fills the universe
292 paavanah He who gives life-sustaining power to air
293 analah Fire
294 kaamahaa He who destroys all desires
295 kaamakrit He who fulfills all desires
296 kaantah He who is of enchanting form
297 kaamah The beloved
298 kaamapradah He who supplies desired objects
299 prabhuh The Lord
290 भूतभव्यभवन्नाथः भूत, भव्य (भविष्य) और भवत (वर्तमान) प्राणियों के नाथ है
291 पवनः पवित्र करने वाले हैं
292 पावनः चलाने वाले हैं
293 अनलः प्राणों को आत्मभाव से ग्रहण करने वाले हैं
294 कामहा मोक्षकामी भक्तों और हिंसकों की कामनाओं को नष्ट करने वाले
295 कामकृत् सात्विक भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
296 कान्तः अत्यंत रूपवान हैं
297 कामः पुरुषार्थ की आकांक्षा वालों से कामना किये जाते हैं
298 कामप्रदः भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
299 प्रभुः प्रकर्ष
yugādikṛdyugāvartō naikamāyō mahāśanaḥ |
adṛśyō vyaktarūpaśca sahasrajidanantajit || 33 ||
300 yugaadi-krit The creator of the yugas
301 yugaavartah The law behind time
302 naikamaayah He whose forms are endless and varied
303 mahaashanah He who eats up everything
304 adrishyah Imperceptible
305 vyaktaroopah He who is perceptible to the yogi
306 sahasrajit He who vanquishes thousands
307 anantajit Ever-victorious
300 युगादिकृत् युगादि का आरम्भ करने वाले हैं
301 युगावर्तः सतयुग आदि युगों का आवर्तन करने वाले हैं
302 नैकमायः अनेकों मायाओं को धारण करने वाले हैं
303 महाशनः कल्पांत में संसार रुपी अशन (भोजन) को ग्रसने वाले
304 अदृश्यः समस्त ज्ञानेन्द्रियों के अविषय हैं
305 व्यक्तरूपः स्थूल रूप से जिनका स्वरुप व्यक्त है
306 सहस्रजित् युद्ध में सहस्रों देवशत्रुओं को जीतने वाले
307 अनन्तजित् अचिन्त्य शक्ति से समस्त भूतों को जीतने वाले
iṣṭō’viśiṣṭaḥ śiṣṭeṣṭaḥ śikhaṇḍī nahuṣō vṛṣaḥ |
krōdhahā krōdhakṛtkartā viśvabāhurmahīdharaḥ || 34 ||
308 ishtah He who is invoked through Vedic rituals
309 visishtah The noblest and most sacred
310 sishteshtah The greatest beloved
311 shikhandee He who wears a peacock feather
312 nahushah He who binds all with maya
313 vrishah He who is dharma
314 krodhahaa He who destroys anger
315 krodhakrit-kartaa He who generates anger against the lower tendency
316 visvabaahuh He whose hand is in everything
317 maheedharah The support of the earth
308 इष्टः यज्ञ द्वारा पूजे जाने वाले
309 विशिष्टः अन्तर्यामी
310 शिष्टेष्टः विद्वानों के ईष्ट
311 शिखण्डी शिखण्ड (मयूरपिच्छ) जिनका शिरोभूषण है
312 नहुषः भूतों को माया से बाँधने वाले
313 वृषः कामनाओं की वर्षा करने वाले
314 क्रोधहा साधुओं का क्रोध नष्ट करने वाले
315 क्रोधकृत्कर्ता क्रोध करने वाले दैत्यादिकों के कर्तन करने वाले हैं
316 विश्वबाहुः जिनके बाहु सब और हैं
317 महीधरः महि (पृथ्वी) को धारण करते हैं
acyutaḥ prathitaḥ prāṇaḥ prāṇadō vāsavānujaḥ |
apāṁnidhiradhiṣṭhānamapramattaḥ pratiṣṭhitaḥ || 35 ||
318 achyutah He who undergoes no changes
319 prathitah He who exists pervading all
320 praanah The prana in all living creatures
321 praanadah He who gives prana
322 vaasavaanujah The brother of Indra
323 apaam-nidhih Treasure of waters (the ocean)
324 adhishthaanam The substratum of the entire universe
325 apramattah He who never makes a wrong judgement
326 pratishthitah He who has no cause
318 अच्युतः छः भावविकारों से रहित रहने वाले
319 प्रथितः जगत की उत्पत्ति आदि कर्मो से प्रसिद्ध
320 प्राणः हिरण्यगर्भ रूप से प्रजा को जीवन देने वाले
321 प्राणदः देवताओं और दैत्यों को प्राण देने या नष्ट करने वाले हैं
322 वासवानुजः वासव (इंद्र) के अनुज (वामन अवतार)
323 अपां-निधिः जिसमे अप (जल) एकत्रित रहता है वो सागर हैं
324 अधिष्ठानम् जिनमे सब भूत स्थित हैं
325 अप्रमत्तः कर्मानुसार फल देते हुए कभी चूकते नहीं हैं
326 प्रतिष्ठितः जो अपनी महिमा में स्थित हैं
skandaḥ skandadharō dhuryō varadō vāyuvāhanaḥ |
vāsudevō bṛhadbhānurādidevaḥ purandaraḥ || 36 ||
327 skandah He whose glory is expressed through Subrahmanya
328 skanda-dharah Upholder of withering righteousness
329 dhuryah Who carries out creation etc. without hitch
330 varadah He who fulfills boons
331 vaayuvaahanah Controller of winds
332 vaasudevah Dwelling in all creatures although not affected by that condition
333 brihat-bhaanuh He who illumines the world with the rays of the sun and moon
334 aadidevah The primary source of everything
335 purandarah Destroyer of cities
327 स्कन्दः स्कंदन करने वाले हैं
328 स्कन्दधरः स्कन्द अर्थात धर्ममार्ग को धारण करने वाले हैं
329 धूर्यः समस्त भूतों के जन्मादिरूप धुर (बोझे) को धारण करने वाले हैं
330 वरदः इच्छित वर देने वाले हैं
331 वायुवाहनः आवह आदि सात वायुओं को चलाने वाले हैं
332 वासुदेवः जो वासु हैं और देव भी हैं
333 बृहद्भानुः अति बृहत् किरणों से संसार को प्रकाशित करने वाले
334 आदिदेवः सबके आदि हैं और देव भी हैं
335 पुरन्दरः देवशत्रुओं के पूरों (नगर)का ध्वंस करने वाले हैं
aśōkastāraṇastāraḥ śūraḥ śaurirjaneśvaraḥ |
anukūlaḥ śatāvartaḥ padmī padmanibhekṣaṇaḥ || 37 ||
336 ashokah He who has no sorrow
337 taaranah He who enables others to cross
338 taarah He who saves
339 shoorah The valiant
340 shaurih He who incarnated in the dynasty of Shoora
341 janeshvarah The Lord of the people
342 anukoolah Well-wisher of everyone
343 shataavarttah He who takes infinite forms
344 padmee He who holds a lotus
345 padmanibhekshanah Lotus-eyed
336 अशोकः शोकादि छः उर्मियों से रहित हैं
337 तारणः संसार सागर से तारने वाले हैं
338 तारः भय से तारने वाले हैं
339 शूरः पुरुषार्थ करने वाले हैं
340 शौरिः वासुदेव की संतान
341 जनेश्वरः जन अर्थात जीवों के इश्वर
342 अनुकूलः सबके आत्मारूप हैं
343 शतावर्तः जिनके धर्म रक्षा के लिए सैंकड़ों अवतार हुए हैं
344 पद्मी जिनके हाथ में पद्म है
345 पद्मनिभेक्षणः जिनके नेत्र पद्म समान हैं
padmanābhōravindākṣaḥ padmagarbhaḥ śarīrabhṛt |
maharddhir ṛddhō vṛddhātmā mahākṣō garuḍadhvajaḥ || 38 ||
346 padmanaabhah He who has a lotus-navel
347 aravindaakshah He who has eyes as beautiful as the lotus
348 padmagarbhah He who is being meditated upon in the lotus of the heart
349 shareerabhrit He who sustains all bodies
350 maharddhi One who has great prosperity
351 riddhah He who has expanded Himself as the universe
352 Vriddhaatmaa The ancient self
353 mahaakshah The great-eyed
354 garudadhvajah One who has Garuda on His flag
346 पद्मनाभः हृदयरूप पद्म की नाभि के बीच में स्थित हैं
347 अरविन्दाक्षः जिनकी आँख अरविन्द (कमल) के समान है
348 पद्मगर्भः हृदयरूप पद्म में मध्य में उपासना करने वाले हैं
349 शरीरभृत् अपनी माया से शरीर धारण करने वाले हैं
350 महर्द्धिः जिनकी विभूति महान है
351 ऋद्धः प्रपंचरूप
352 वृद्धात्मा जिनकी देह वृद्ध या पुरातन है
353 महाक्षः जिनकी अनेको महान आँखें (अक्षि) हैं
354 गरुडध्वजः जिनकी ध्वजा गरुड़ के चिन्ह वाली है
atulaḥ śarabhō bhīmaḥ samayajñō havirhariḥ |
sarvalakṣaṇalakṣaṇyō lakṣmīvān samitiñjayaḥ || 39 ||
355 atulah Incomparable
356 sharabhah One who dwells and shines forth through the bodies
357 bheemah The terrible
358 samayajnah One whose worship is nothing more than keeping an equal vision of the mind by the devotee
359 havirharih The receiver of all oblation
360 sarva-lakshana-lakshanyah Known through all proofs
361 lakshmeevaan The consort of Laksmi
362 samitinjayah Ever-victorious
355 अतुलः जिनकी कोई तुलना नहीं है
356 शरभः जो नाशवान शरीर में प्रयगात्मा रूप से भासते हैं
357 भीमः जिनसे सब डरते हैं
358 समयज्ञः समस्त भूतों में जो समभाव रखते हैं
359 हविर्हरिः यज्ञों में हवि का भाग हरण करते हैं
360 सर्वलक्षणलक्षण्यः परमार्थस्वरूप
361 लक्ष्मीवान् जिनके वक्ष स्थल में लक्ष्मी जी निवास करती हैं
362 समितिञ्जयः समिति अर्थात युद्ध को जीतते हैं
vikṣarō rōhitō mārgō heturdamodarassahaḥ |
mahīdharō mahābhāgō vegavānamitāśanaḥ || 40 ||
363 viksharah Imperishable
364 rohitah The fish incarnation
365 maargah The path
366 hetuh The cause
367 daamodarah Who has a rope around his stomach
368 sahah All-enduring
369 maheedharah The bearer of the earth
370 mahaabhaagah He who gets the greatest share in every Yajna
371 vegavaan He who is swift
372 amitaashanah Of endless appetite
363 विक्षरः जिनका क्षर अर्थात नाश नहीं है
364 रोहितः अपनी इच्छा से रोहितवर्ण मूर्ति का स्वरुप धारण करने वाले
365 मार्गः जिनसे परमानंद प्राप्त होता है
366 हेतुः संसार के निमित्त और उपादान कारण हैं
367 दामोदरः दाम लोकों का नाम है जिसके वे उदर में हैं
368 सहः सबको सहन करने वाले हैं
369 महीधरः पर्वतरूप होकर मही को धारण करते हैं
370 महाभागः हर यज्ञ में जिन्हे सबसे बड़ा भाग मिले
371 वेगवान् तीव्र गति वाले हैं
372 अमिताशनः संहार के समय सारे विश्व को खा जाने वाले हैं
udbhavaḥ, kṣōbhaṇō devaḥ śrīgarbhaḥ parameśvaraḥ |
karaṇaṁ kāraṇaṁ kartā vikartā gahanō guhaḥ || 41 ||
373 udbhavah The originator
374 kshobhanah The agitator
375 devah He who revels
376 shreegarbhah He in whom are all glories
377 parameshvarah Parama + Ishvara = Supreme Lord, Parama (MahaLakshmi i.e. above all the shaktis) + Ishvara (Lord) = Lord of MahaLakshmi
378 karanam The instrument
379 kaaranam The cause
380 kartaa The doer
381 vikartaa Creator of the endless varieties that make up the universe
382 gahanah The unknowable
383 guhah He who dwells in the cave of the heart
373 उद्भवः भव यानी संसार से ऊपर हैं
374 क्षोभणः जगत की उत्पत्ति के समय प्रकृति और पुरुष में प्रविष्ट होकर क्षुब्ध करने वाले
375 देवः जो स्तुत्य पुरुषों से स्तवन किये जाते हैं और सर्वत्र जाते हैं
376 श्रीगर्भः जिनके उदर में संसार रुपी श्री स्थित है
377 परमेश्वरः जो परम है और ईशनशील हैं
378 करणम् संसार की उत्पत्ति के सबसे बड़े साधन हैं
379 कारणम् जगत के उपादान और निमित्त
380 कर्ता स्वतन्त्र
381 विकर्ता विचित्र भुवनों की रचना करने वाले हैं
382 गहनः जिनका स्वरुप, सामर्थ्य या कृत्य नहीं जाना जा सकता
383 गुहः अपनी माया से स्वरुप को ढक लेने वाले
vyavasāyō vyavasthānaḥ saṁsthānaḥ sthānadō dhruvaḥ |
pararddhiḥ paramaspaṣṭastuṣṭaḥ puṣṭaḥ śubhekṣaṇaḥ || 42 ||
384 vyavasaayah Resolute
385 vyavasthaanah The substratum
386 samsthaanah The ultimate authority
387 sthaanadah He who confers the right abode
388 dhruvah The changeless in the midst of changes
389 pararddhih He who has supreme manifestations
390 paramaspashtah The extremely vivid
391 tushtah One who is contented with a very simple offering
392 pushtah One who is ever-full
393 shubhekshanah All-auspicious gaze
384 व्यवसायः ज्ञानमात्रस्वरूप
385 व्यवस्थानः जिनमे सबकी व्यवस्था है
386 संस्थानः परम सत्ता
387 स्थानदः ध्रुवादिकों को उनके कर्मों के अनुसार स्थान देते हैं
388 ध्रुवः अविनाशी
389 परर्धिः जिनकी विभूति श्रेष्ठ है
390 परमस्पष्टः परम और स्पष्ट हैं
391 तुष्टः परमानन्दस्वरूप
392 पुष्टः सर्वत्र परिपूर्ण
393 शुभेक्षणः जिनका दर्शन सर्वदा शुभ है
rāmō virāmō virajō mārgō neyō nayōnayaḥ |
vīraḥ śaktimatāṁ śreṣṭhō dharmō dharmaviduttamaḥ || 43 ||
394 raamah One who is most handsome
395 viraamah The abode of perfect-rest
396 virajo Passionless
397 maargah The path
398 neyah The guide
399 nayah One who leads
400 anayah One who has no leader
401 veerah The valiant
402 shaktimataam-shresthah The best among the powerful
403 dharmah The law of being
404 dharmaviduttamah The highest among men of realisation
394 रामः अपनी इच्छा से रमणीय शरीर धारण करने वाले
395 विरामः जिनमे प्राणियों का विराम (अंत) होता है
396 विरजः विषय सेवन में जिनका राग नहीं रहा है
397 मार्गः जिन्हे जानकार मुमुक्षुजन अमर हो जाते हैं
398 नेयः ज्ञान से जीव को परमात्वभाव की तरफ ले जाने वाले
399 नयः नेता
400 अनयः जिनका कोई और नेता नहीं है
401 वीरः विक्रमशाली
402 शक्तिमतां श्रेष्ठः सभी शक्तिमानों में श्रेष्ठ
403 धर्मः समस्त भूतों को धारण करने वाले
404 धर्मविदुत्तमः श्रुतियाँ और स्मृतियाँ जिनकी आज्ञास्वरूप है
vaikuṇṭhaḥ puruṣaḥ prāṇaḥ prāṇadaḥ praṇavaḥ pṛthuḥ |
hiraṇyagarbhaḥ śatrughnō vyāptō vāyuradhōkṣajaḥ || 44 ||
405 vaikunthah Lord of supreme abode, Vaikuntha
406 purushah One who dwells in all bodies
407 praanah Life
408 praanadah Giver of life
409 pranavah He who is praised by the gods
410 prituh The expanded
411 hiranyagarbhah The creator
412 shatrughnah The destroyer of enemies
413 vyaaptah The pervader
414 vaayuh The air
415 adhokshajah One whose vitality never flows downwards
405 वैकुण्ठः जगत के आरम्भ में बिखरे हुए भूतों को परस्पर मिलाकर उनकी गति रोकने वाले
406 पुरुषः सबसे पहले होने वाले
407 प्राणः प्राणवायुरूप होकर चेष्टा करने वाले हैं
408 प्राणदः प्रलय के समय प्राणियों के प्राणों का खंडन करते हैं
409 प्रणवः जिन्हे वेद प्रणाम करते हैं
410 पृथुः प्रपंचरूप से विस्तृत हैं
411 हिरण्यगर्भः ब्रह्मा की उत्पत्ति के कारण
412 शत्रुघ्नः देवताओं के शत्रुओं को मारने वाले हैं
413 व्याप्तः सब कार्यों को व्याप्त करने वाले हैं
414 वायुः गंध वाले हैं
415 अधोक्षजः जो कभी अपने स्वरुप से नीचे न हो
ṛtuḥ sudarśanaḥ kālaḥ parameṣṭhī parigrahaḥ |
ugraḥ saṁvatsarō dakṣō viśrāmō viśvadakṣiṇaḥ || 45 ||
416 rituh The seasons
417 sudarshanah He whose meeting is auspicious
418 kaalah He who judges and punishes beings
419 parameshthee One who is readily available for experience within heart
420 parigrahah The receiver
421 ugrah The terrible
422 samvatsarah The year
423 dakshah The smart
424 vishraamah The resting place
425 vishva-dakshinah The most skilful and efficient
416 ऋतुः ऋतु शब्द द्वारा कालरूप से लक्षित होते हैं
417 सुदर्शनः उनके नेत्र अति सुन्दर हैं
418 कालः सबकी गणना करने वाले हैं
419 परमेष्ठी हृदयाकाश के भीतर परम महिमा में स्थित रहने के स्वभाव वाले
420 परिग्रहः भक्तों के अर्पण किये जाने वाले पुष्पादि को ग्रहण करने वाले
421 उग्रः जिनके भय से सूर्य भी निकलता है
422 संवत्सरः जिनमे सब भूत बसते हैं
423 दक्षः जो सब कार्य बड़ी शीघ्रता से करते हैं
424 विश्रामः मोक्ष देने वाले हैं
425 विश्वदक्षिणः जो समस्त कार्यों में कुशल हैं
vistāraḥ sthāvaraḥsthāṇuḥ pramāṇaṁ bījamavyayam |
arthōnarthō mahākōśō mahābhōgō mahādhanaḥ|| 46 ||
426 vistaarah The extension
427 sthaavarah-sthaanuh The firm and motionless
428 pramaanam The proof
429 beejamavyayam The Immutable Seed
430 arthah He who is worshiped by all
431 anarthah One to whom there is nothing yet to be fulfilled
432 mahaakoshah He who has got around him great sheaths
433 mahaabhogah He who is of the nature of enjoyment
434 mahaadhanah He who is supremely rich
426 विस्तारः जिनमे समस्त लोक विस्तार पाते हैं
427 स्थावरस्स्थाणुः स्थावर और स्थाणु हैं
428 प्रमाणम् संवितस्वरूप
429 बीजमव्ययम् बिना अन्यथाभाव के ही संसार के कारण हैं
430 अर्थः सबसे प्रार्थना किये जाने वाले हैं
431 अनर्थः जिनका कोई प्रयोजन नहीं है
432 महाकोशः जिन्हे महान कोष ढकने वाले हैं
433 महाभोगः जिनका सुखरूप महान भोग है
434 महाधनः जिनका भोगसाधनरूप महान धन है
anirviṇṇaḥ sthaviṣṭhōbhūrdharmayūpō mahāmakhaḥ |
nakṣatranemirnakṣatrī kṣamaḥ, kṣāmaḥ samīhanaḥ || 47 ||
435 anirvinnah He who has no discontent
436 sthavishthah One who is supremely huge
437 a-bhooh One who has no birth
438 dharma-yoopah The post to which all dharma is tied
439 mahaa-makhah The great sacrificer
440 nakshatranemir The nave of the stars
441 nakshatree The Lord of the stars (the moon)
442 kshamah He who is supremely efficient in all undertakings
443 kshaamah He who ever remains without any scarcity
444 sameehanah One whose desires are auspicious
435 अनिर्विण्णः जिन्हे कोई निर्वेद (उदासीनता) नहीं है
436 स्थविष्ठः वैराजरूप से स्थित होने वाले हैं
437 अभूः अजन्मा
438 धर्मयूपः धर्म स्वरुप यूप में जिन्हे बाँधा जाता है
439 महामखः जिनको अर्पित किये हुए मख (यज्ञ) महान हो जाते हैं
440 नक्षत्रनेमिः सम्पूर्ण नक्षत्रमण्डल के केंद्र हैं
441 नक्षत्री चन्द्ररूप
442 क्षमः समस्त कार्यों में समर्थ
443 क्षामः जो समस्त विकारों के क्षीण हो जाने पर आत्मभाव से स्थित रहते हैं
444 समीहनः सृष्टि आदि के लिए सम्यक चेष्टा करते हैं
yajña ijyō mahejyaśca kratuḥ satraṁ satāṁ gatiḥ |
sarvadarśī vimuktātmā sarvajñō jñānamuttamam || 48 ||
445 yajnah One who is of the nature of yajna
446 ijyah He who is fit to be invoked through yajna
447 mahejyah One who is to be most worshiped
448 kratuh The animal-sacrifice
449 satram Protector of the good
450 sataam-gatih Refuge of the good
451 sarvadarshee All-knower
452 vimuktaatmaa The ever-liberated self
453 sarvajno Omniscient
454 jnaanamuttamam The Supreme Knowledge
445 यज्ञः सर्वयज्ञस्वरूप
446 इज्यः जो पूज्य हैं
447 महेज्यः मोक्षरूप फल देने वाले सबसे अधिक पूजनीय
448 क्रतुः तद्रूप
449 सत्रम् जो विधिरूप धर्म को प्राप्त करता है
450 सतां-गतिः जिनके अलावा कोई और गति नहीं है
451 सर्वदर्शी जो प्राणियों के सम्पूर्ण कर्मों को देखते हैं
452 विमुक्तात्मा स्वभाव से ही जिनकी आत्मा मुक्त है
453 सर्वज्ञः जो सर्व है और ज्ञानरूप है
454 ज्ञानमुत्तमम् जो प्रकृष्ट, अजन्य, और सबसे बड़ा साधक ज्ञान है
suvrataḥ sumukhaḥ sūkṣmaḥ sughōṣaḥ sukhadaḥ suhṛt |
manōharō jitakrōdhō vīrabāhurvidāraṇaḥ || 49 ||
455 suvratah He who ever-perfoeming the pure vow
456 sumukhah One who has a charming face
457 sookshmah The subtlest
458 sughoshah Of auspicious sound
459 sukhadah Giver of happiness
460 suhrit Friend of all creatures
461 manoharah The stealer of the mind
462 jita-krodhah One who has conquered anger
463 veerabaahur Having mighty arms
464 vidaaranah One who splits asunder
455 सुव्रतः जिन्होंने अशुभ व्रत लिया है
456 सुमुखः जिनका मुख सुन्दर है
457 सूक्ष्मः शब्दादि स्थूल कारणों से रहित हैं
458 सुघोषः मेघ के समान गंभीर घोष वाले हैं
459 सुखदः सदाचारियों को सुख देने वाले हैं
460 सुहृत् बिना प्रत्युपकार की इच्छा के ही उपकार करने वाले हैं
461 मनोहरः मन का हरण करने वाले हैं
462 जितक्रोधः क्रोध को जीतने वाले
463 वीरबाहुः अति विक्रमशालिनी बाहु के स्वामी
464 विदारणः अधार्मिकों को विदीर्ण करने वाले हैं
svāpanassvavaśō vyāpī naikātmā naikakarmakṛt |
vatsarō vatsalō vatsī ratnagarbhō dhaneśvaraḥ || 50 ||
465 svaapanah One who puts people to sleep
466 svavashah He who has everything under His control
467 vyaapee All-pervading
468 naikaatmaa Many souled
469 naikakarmakrit One who does many actions
470 vatsarah The abode
471 vatsalah The supremely affectionate
472 vatsee The father
473 ratnagarbhah The jewel-wombed
474 dhaneshvarah The Lord of wealth
465 स्वापनः जीवों को माया से आत्मज्ञानरूप जाग्रति से रहित करने वाले हैं
466 स्ववशः जगत की उत्पत्ति, स्थिति और लय के कारण हैं
467 व्यापी सर्वव्यापी
468 नैकात्मा जो विभिन्न विभूतियों के द्वारा नाना प्रकार से स्थित हैं
469 नैककर्मकृत् जो संसार की उत्पत्ति, उन्नति और विपत्ति आदि अनेक कर्म करते हैं
470 वत्सरः जिनमे सब कुछ बसा हुआ है
471 वत्सलः भक्तों के स्नेही
472 वत्सी वत्सों का पालन करने वाले
473 रत्नगर्भः रत्न जिनके गर्भरूप हैं
474 धनेश्वरः जो धनों के स्वामी हैं
dharmagubdharmakṛddharmī sadasatkṣaramakṣaram |
avijñātā sahasrāṁśurvidhātā kṛtalakṣaṇaḥ || 51 ||
475 dharmagub One who protects dharma
476 dharmakrit One who acts according to dharma
477 dharmee The supporter of dharma
478 sat existence
479 asat illusion
480 ksharam He who appears to perish
481 aksharam Imperishable
482 avigyaataa The non-knower (The knower being the conditioned soul within the body)
483 sahasraamshur The thousand-rayed
484 vidhaataa All supporter
485 kritalakshanah One who is famous for His qualities
475 धर्मगुब् धर्म का गोपन(रक्षा) करने वाले हैं
476 धर्मकृत् धर्म की मर्यादा के अनुसार आचरण वाले हैं
477 धर्मी धर्मों को धारण करने वाले हैं
478 सत् सत्यस्वरूप परब्रह्म
479 असत् प्रपंचरूप अपर ब्रह्म
480 क्षरम् सर्व भूत
481 अक्षरम् कूटस्थ
482 अविज्ञाता वासना को न जानने वाला
483 सहस्रांशुः जिनके तेज से प्रज्वल्लित होकर सूर्य तपता है
484 विधाता समस्त भूतों और पर्वतों को धारण करने वाले
485 कृतलक्षणः नित्यसिद्ध चैतन्यस्वरूप
gabhastinemiḥ sattvasthaḥ siṁhō bhūtamaheśvaraḥ |
ādidevō mahādevō deveśō devabhṛdguruḥ || 52 ||
486 gabhastinemih The hub of the universal wheel
487 sattvasthah Situated in sattva
488 simhah The lion
489 bhoota-maheshvarah The great lord of beings
490 aadidevah The first deity
491 mahaadevah The great deity
492 deveshah The Lord of all devas
493 devabhrit-guruh Advisor of Indra
486 गभस्तिनेमिः जो गभस्तियों (किरणों) के बीच में सूर्यरूप से स्थित हैं
487 सत्त्वस्थः जो समस्त प्राणियों में स्थित हैं
488 सिंहः जो सिंह के समान पराक्रमी हैं
489 भूतमहेश्वरः भूतों के महान इश्वर हैं
490 आदिदेवः जो सब भूतों का ग्रहण करते हैं और देव भी हैं
491 महादेवः जो अपने महान ज्ञानयोग और ऐश्वर्य से महिमान्वित हैं
492 देवेशः देवों के ईश हैं
493 देवभृद्गुरुः देंताओं के पालक इन्द्र के भी शासक हैं
uttarō gōpatirgōptā jñānagamyaḥ purātanaḥ |
śarīrabhūtabhṛdbhōktā kapīndrō bhūridakṣiṇaḥ || 53 ||
494 uttarah He who lifts us from the ocean of samsara
495 gopatih The shepherd
496 goptaa The protector
497 jnaanagamyah One who is experienced through pure knowledge
498 puraatanah He who was even before time
499 shareera-bhootabhrit One who nourishes the nature from which the bodies came
500 bhoktaa The enjoyer
501 kapeendrah Lord of the monkeys (Rama)
502 bhooridakshinah He who gives away large gifts
494 उत्तरः जो संसारबंधन से मुक्त हैं
495 गोपतिः गौओं के पालक
496 गोप्ता समस्त भूतों के पालक और जगत के रक्षक
497 ज्ञानगम्यः जो केवल ज्ञान से ही जाने जाते हैं
498 पुरातनः जो काल से भी पहले रहते हैं
499 शरीरभूतभृत् शरीर की रचना करने वाले भूतों के पालक
500 भोक्ता पालन करने वाले
501 कपीन्द्रः वानरों के स्वामी
502 भूरिदक्षिणः जिनकी बहुत सी दक्षिणाएँ रहती हैं
sōmapōmṛtapaḥ sōmaḥ purujit purusattamaḥ |
vinayō jayaḥ satyasandhō dāśārhassātvatāṁ patiḥ || 54 ||
503 somapah One who takes Soma in the yajnas
504 amritapah One who drinks the nectar
505 somah One who as the moon nourishes plants
506 purujit One who has conquered numerous enemies
507 purusattamah The greatest of the great
508 vinayah He who humiliates those who are unrighteous
509 jayah The victorious
510 satyasandhah Of truthful resolution
511 daashaarhah One who was born in the Dasarha race
512 saatvataam-patih The Lord of the Satvatas
503 सोमपः जो समस्त यज्ञों में देवतारूप से सोमपान करते हैं
504 अमृतपः आत्मारूप अमृतरस का पान करने वाले
505 सोमः चन्द्रमा (सोम) रूप से औषधियों का पोषण करने वाले
506 पुरुजित् पुरु अर्थात बहुतों को जीतने वाले
507 पुरुसत्तमः विश्वरूप अर्थात पुरु और उत्कृष्ट अर्थात सत्तम हैं
508 विनयः दुष्ट प्रजा को विनय अर्थात दंड देने वाले हैं
509 जयः सब भूतों को जीतने वाले हैं
510 सत्यसन्धः जिनकी संधा अर्थात संकल्प सत्य हैं
511 दाशार्हः जो दशार्ह कुल में उत्पन्न हुए
512 सात्त्वतां पतिः सात्वतों (वैष्णवों) के स्वामी
jīvō vinayitāsākṣī mukundōmitavikramaḥ |
ambhōnidhiranantātmā mahōdadhiśayōntakaḥ || 55 ||
513 jeevah One who functions as the ksetrajna
514 vinayitaa-saakshee The witness of modesty
515 mukundah The giver of liberation
516 amitavikramah Of immeasurable prowess
517 ambho-nidhir The substratum of the four types of beings
518 anantaatmaa The infinite self
519 mahodadhishayah One who rests on the great ocean
520 antakah The death
513 जीवः क्षेत्रज्ञरूप से प्राण धारण करने वाले
514 विनयितासाक्षी प्रजा की विनयिता को साक्षात देखने वाले
515 मुकुन्दः मुक्ति देने वाले हैं
516 अमितविक्रमः जिनका विक्रम (शूरवीरता) अतुलित है
517 अम्भोनिधिः जिनमे अम्भ (देवता) रहते हैं
518 अनन्तात्मा जो देश, काल और वस्तु से अपरिच्छिन्न हैं
519 महोदधिशयः जो महोदधि (समुद्र) में शयन करते हैं
520 अन्तकः भूतों का अंत करने वाले
ajō mahārhaḥ svābhāvyō jitāmitraḥ pramōdanaḥ |
ānandō nandanō nandaḥ satyadharmā trivikramaḥ || 56 ||
521 ajah Unborn
522 mahaarhah One who deserves the highest worship
523 svaabhaavyah Ever rooted in the nature of His own self
524 jitaamitrah One who has conquered all enemies
525 pramodanah Ever-blissful
526 aanandah A mass of pure bliss
527 nandanah One who makes others blissful
528 nandah Free from all worldly pleasures
529 satyadharmaa One who has in Himself all true dharmas
530 trivikramah One who took three steps
521 अजः अजन्मा
522 महार्हः मह (पूजा) के योग्य
523 स्वाभाव्यः नित्यसिद्ध होने के कारण स्वभाव से ही उत्पन्न नहीं होते
524 जितामित्रः जिन्होंने शत्रुओं को जीता है
525 प्रमोदनः जो अपने ध्यानमात्र से ध्यानियों को प्रमुदित करते हैं
526 आनन्दः आनंदस्वरूप
527 नन्दनः आनंदित करने वाले हैं
528 नन्दः सब प्रकार की सिद्धियों से संपन्न
529 सत्यधर्मा जिनके धर्म ज्ञानादि गुण सत्य हैं
530 त्रिविक्रमः जिनके तीन विक्रम (डग) तीनों लोकों में क्रान्त (व्याप्त) हो गए
maharṣiḥ kapilācāryaḥ kṛtajñō medinīpatiḥ |
tripadastridaśādhyakṣō mahāśṛṅgaḥ kṛtāntakṛt || 57 ||
531 maharshih kapilaachaaryah He who incarnated as Kapila, the great sage
532 kritajnah The knower of the creation
533 medineepatih The Lord of the earth
534 tripadah One who has taken three steps
535 tridashaadhyaksho The Lord of the three states of consciousness
536 mahaashringah Great-horned (Matsya)
537 kritaantakrit Destroyer of the creation
531 महर्षिः कपिलाचार्यः जो ऋषि रूप से उत्पन्न हुए कपिल हैं
532 कृतज्ञः कृत (जगत) और ज्ञ (आत्मा) हैं
533 मेदिनीपतिः मेदिनी (पृथ्वी) के पति
534 त्रिपदः जिनके तीन पद हैं
535 त्रिदशाध्यक्षः जागृत , स्वप्न और सुषुप्ति इन तीन अवस्थाओं के अध्यक्ष
536 महाशृंगः मत्स्य अवतार
537 कृतान्तकृत् कृत (जगत) का अंत करने वाले हैं
mahāvarāhō gōvindaḥ suṣeṇaḥ kanakāṅgadī |
guhyō gabhīrō gahanō guptaścakragadādharaḥ || 58 ||
538 mahaavaraaho The great boar
539 govindah One who is known through Vedanta
540 sushenah He who has a charming army
541 kanakaangadee Wearer of bright-as-gold armlets
542 guhyo The mysterious
543 gabheerah The unfathomable
544 gahano Impenetrable
545 guptah The well-concealed
546 chakra-gadaadharah Bearer of the disc and mace
538 महावराहः महान हैं और वराह हैं
539 गोविन्दः गो अर्थात वाणी से प्राप्त होने वाले हैं
540 सुषेणः जिनकी पार्षदरूप सुन्दर सेना है
541 कनकांगदी जिनके कनकमय (सोने के) अंगद(भुजबन्द) हैं
542 गुह्यः गुहा यानि हृदयाकाश में छिपे हुए हैं
543 गभीरः जो गंभीर हैं
544 गहनः कठिनता से प्रवेश किये जाने योग्य हैं
545 गुप्तः जो वाणी और मन के अविषय हैं
546 चक्रगदाधरः मन रुपी चक्र और बुद्धि रुपी गदा को लोक रक्षा हेतु धारण करने वाले
vedhāḥ svāṅgo’jitaḥ kṛṣṇo dṛḍhaḥ saṅkarṣaṇo’cyutaḥ |
varuṇo vāruṇo vṛukṣaḥ puṣkarākṣo mahāmanāḥ || 59 ||
547 vedhaah Creator of the universe
548 svaangah One with well-proportioned limbs
549 ajitah Vanquished by none
550 krishnah Dark-complexioned
551 dridhah The firm
552 sankarshanochyutah He who absorbs the whole creation into His nature and never falls away from that nature
553 varunah One who sets on the horizon (Sun)
554 vaarunah The son of Varuna (Vasistha or Agastya)
555 vrikshah The tree
556 pushkaraakshah Lotus eyed
557 mahaamanaah Great-minded
547 वेधाः विधान करने वाले हैं
548 स्वांगः कार्य करने में स्वयं ही अंग हैं
549 अजितः अपने अवतारों में किसी से नहीं जीते गए
550 कृष्णः कृष्णद्वैपायन
551 दृढः जिनके स्वरुप सामर्थ्यादि की कभी च्युति नहीं होती
552 संकर्षणोऽच्युतः जो एक साथ ही आकर्षण करते हैं और पद च्युत नहीं होते
553 वरुणः अपनी किरणों का संवरण करने वाले सूर्य हैं
554 वारुणः वरुण के पुत्र वसिष्ठ या अगस्त्य
555 वृक्षः वृक्ष के समान अचल भाव से स्थित
556 पुष्कराक्षः हृदय कमल में चिंतन किये जाते हैं
557 महामनः सृष्टि,स्थिति और अंत ये तीनों कर्म मन से करने वाले
bhagavān bhagahānandī vanamālī halāyudhaḥ |
ādityō jyōtirādityaḥ sahiṣṇurgatisattamaḥ || 60 ||
558 bhagavaan One who possesses six opulences
559 bhagahaa One who destroys the six opulences during pralaya
560 aanandee One who gives delight
561 vanamaalee One who wears a garland of forest flowers
562 halaayudhah One who has a plough as His weapon
563 aadityah Son of Aditi
564 jyotiraadityah The resplendence of the sun
565 sahishnuh One who calmly endures duality
566 gatisattamah The ultimate refuge for all devotees
558 भगवान् सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य जिनमें है
559 भगहा संहार के समय ऐश्वर्यादि का हनन करने वाले हैं
560 आनन्दी सुखस्वरूप
561 वनमाली वैजयंती नाम की वनमाला धारण करने वाले हैं
562 हलायुधः जिनका आयुध (शस्त्र) ही हल है
563 आदित्यः अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने वाले
564 ज्योतिरादित्यः सूर्यमण्डलान्तर्गत ज्योति में स्थित
565 सहिष्णुः शीतोष्णादि द्वंद्वों को सहन करने वाले
566 गतिसत्तमः गति हैं और सर्वश्रेष्ठ हैं
sudhanvā khaṇḍaparaśurdāruṇō draviṇapradaḥ |
divaspṛk sarvadṛgvyāsō vācaspatirayōnijaḥ || 61 ||
567 sudhanvaa One who has Shaarnga
568 khanda-parashur One who holds an axe
569 daarunah Merciless towards the unrighteous
570 dravinapradah One who lavishly gives wealth
571 divah-sprik Sky-reaching
572 sarvadrik-vyaaso One who creates many men of wisdom
573 vaachaspatir-ayonijah One who is the master of all vidyas and who is unborn through a womb
567 सुधन्वा जिनका इन्द्रियादिमय सुन्दर शारंग धनुष है
568 खण्डपरशु: जिनका परशु अखंड है
569 दारुणः सन्मार्ग के विरोधियों के लिए दारुण (कठोर) हैं
570 द्रविणप्रदः भक्तों को द्रविण (इच्छित धन) देने वाले हैं
571 दिवःस्पृक् दिव (स्वर्ग) का स्पर्श करने वाले हैं
572 सर्वदृग्व्यासः सम्पूर्ण ज्ञानों का विस्तार करने वाले हैं
573 वाचस्पतिरयोनिजः विद्या के पति और जननी से जन्म न लेने वाले हैं
trisāmā sāmagaḥ sāma nirvāṇaṁ bheṣajaṁ bhiṣak |
saṁnyāsakṛcchamaśyāntō niṣṭhā śāntiḥ parāyaṇam || 62 ||
574 trisaamaa One who is glorified by Devas, Vratas and Saamans
575 saamagah The singer of the sama songs
576 saama The Sama Veda
577 nirvaanam All-bliss
578 bheshajam Medicine
579 bhishak Physician
580 samnyaasa-krit Institutor of sannyasa
581 samah Calm
582 shaantah Peaceful within
583 nishthaa Abode of all beings
584 shaantih One whose very nature is peace
585 paraayanam The way to liberation
574 त्रिसामा तीन सामों द्वारा सामगान करने वालों से स्तुति किये जाने वाले हैं
575 सामगः सामगान करने वाले हैं
576 साम सामवेद
577 निर्वाणम् परमानंदस्वरूप ब्रह्म
578 भेषजम् संसार रूप रोग की औषध
579 भृषक् संसाररूप रोग से छुड़ाने वाली विद्या का उपदेश देने वाले हैं
580 संन्यासकृत् मोक्ष के लिए संन्यास की रचना करने वाले हैं
581 समः सन्यासियों को ज्ञान के साधन शम का उपदेश देने वाले
582 शान्तः विषयसुखों में अनासक्त रहने वाले
583 निष्ठा प्रलयकाल में प्राणी सर्वथा जिनमे वास करते हैं
584 शान्तिः सम्पूर्ण अविद्या की निवृत्ति
585 परायणम् पुनरावृत्ति की शंका से रहित परम उत्कृष्ट स्थान हैं
śubhāṅgaḥ śāntidaḥ sraṣṭā kumudaḥ kuvaleśayaḥ |
gōhitō gōpatirgōptā vṛṣabhākṣō vṛṣapriyaḥ || 63 ||
586 shubhaangah One who has the most beautiful form
587 shaantidah Giver of peace
588 srashtaa Creator of all beings
589 kumudah He who delights in the earth
590 kuvaleshayah He who reclines in the waters
591 gohitah One who does welfare for cows
592 gopatih Husband of the earth
593 goptaa Protector of the universe
594 vrishabhaaksho One whose eyes rain fulfilment of desires
595 vrishapriyah One who delights in dharma
586 शुभांगः सुन्दर शरीर धारण करने वाले हैं
587 शान्तिदः शान्ति देने वाले हैं
588 स्रष्टा आरम्भ में सब भूतों को रचने वाले हैं
589 कुमुदः कु अर्थात पृथ्वी में मुदित होने वाले हैं
590 कुवलेशयः कु अर्थात पृथ्वी के वलन करने से जल कुवल कहलाता है उसमे शयन करने वाले हैं
591 गोहितः गौओं के हितकारी हैं
592 गोपतिः गो अर्थात भूमि के पति हैं
593 गोप्ता जगत के रक्षक हैं
594 वृषभाक्षः वृष अर्थात धर्म जिनकी दृष्टि है
595 वृषप्रियः जिन्हे वृष अर्थात धर्म प्रिय है
anivartī nivṛttātmā saṁkṣeptā kṣemakṛcchivaḥ |
śrīvatsavakṣāḥ śrīvāsaḥ śrīpatiḥ śrīmatāṁ varaḥ || 64 ||
596 anivartee One who never retreats
597 nivrittaatmaa One who is fully restrained from all sense indulgences
598 samksheptaa The involver
599 kshemakrit Doer of good
600 shivah Auspiciousness
601 shreevatsa-vakshaah One who has sreevatsa on His chest
602 shrevaasah Abode of Sree
603 shreepatih Lord of Laksmi
604 shreemataam varah The best among glorious
596 अनिवर्ती देवासुरसंग्राम से पीछे न हटने वाले हैं
597 निवृतात्मा जिनकी आत्मा स्वभाव से ही विषयों से निवृत्त है
598 संक्षेप्ता संहार के समय विस्तृत जगत को सूक्ष्मरूप से संक्षिप्त करने वाले हैं
599 क्षेमकृत् प्राप्त हुए पदार्थ की रक्षा करने वाले हैं
600 शिवः अपने नामस्मरणमात्र से पवित्र करने वाले हैं
601 श्रीवत्सवक्षाः जिनके वक्षस्थल में श्रीवत्स नामक चिन्ह है
602 श्रीवासः जिनके वक्षस्थल में कभी नष्ट न होने वाली श्री वास करती हैं
603 श्रीपतिः श्री के पति
604 श्रीमतां वरः ब्रह्मादि श्रीमानों में प्रधान हैं
śrīdaḥ śrīśaḥ śrīnivāsaḥ śrīnidhiḥ śrīvibhāvanaḥ |
śrīdharaḥ śrīkaraḥ śreyaḥ śrīmān lōkatrayāśrayaḥ || 65 ||
605 shreedah Giver of opulence
606 shreeshah The Lord of Sree
607 shreenivaasah One who dwells in the good people
608 shreenidhih The treasure of Sree
609 shreevibhaavanah Distributor of Sree
610 shreedharah Holder of Sree
611 shreekarah One who gives Sree
612 shreyah Liberation
613 shreemaan Possessor of Sree
614 loka-trayaashrayah Shelter of the three worlds
605 श्रीदः भक्तों को श्री देते हैं इसलिए श्रीद हैं
606 श्रीशः जो श्री के ईश हैं
607 श्रीनिवासः जो श्रीमानों में निवास करते हैं
608 श्रीनिधिः जिनमे सम्पूर्ण श्रियां एकत्रित हैं
609 श्रीविभावनः जो समस्त भूतों को विविध प्रकार की श्रियां देते हैं
610 श्रीधरः जिन्होंने श्री को छाती में धारण किया हुआ हैं
611 श्रीकरः भक्तों को श्रीयुक्त करने वाले हैं
612 श्रेयः जिनका स्वरुप कभी न नष्ट होने वाले सुख को प्राप्त कराता है
613 श्रीमान् जिनमे श्रियां हैं
614 लोकत्रयाश्रयः जो तीनों लोकों के आश्रय हैं
svakṣaḥ svaṅgaḥ śatānaṅdō naṅdirjyōtirgaṇeśvaraḥ |
vijitātmā vidheyātmā satkīrtiśchinnasaṁśayaḥ || 66 ||
615 svakshah Beautiful-eyed
616 svangah Beautiful-limbed
617 shataanandah Of infinite varieties and joys
618 nandih Infinite bliss
619 jyotir-ganeshvarah Lord of the luminaries in the cosmos
620 vijitaatmaa One who has conquered the sense organs
621 vidheyaatmaa One who is ever available for the devotees to command in love
622 sat-keertih One of pure fame
623 chinnasamshayah One whose doubts are ever at rest
615 स्वक्षः जिनकी आँखें कमल के समान सुन्दर हैं
616 स्वङ्गः जिनके अंग सुन्दर हैं
617 शतानन्दः जो परमानंद स्वरुप उपाधि भेद से सैंकड़ों प्रकार के हो जाते हैं
618 नन्दिः परमानन्दस्वरूप
619 ज्योतिर्गणेश्वरः ज्योतिर्गणों के इश्वर
620 विजितात्मा जिन्होंने आत्मा अर्थात मन को जीत लिया है
621 विधेयात्मा जिनका स्वरुप किसीके द्वारा विधिरूप से नहीं कहा जा सकता
622 सत्कीर्तिः जिनकी कीर्ति सत्य है
623 छिन्नसंशयः जिन्हे कोई संशय नहीं है
udīrṇaḥ sarvataścakṣuranīśaḥ śāśvatasthiraḥ |
bhūśayō bhūṣaṇō bhūtirviśōkaḥ śōkanāśanaḥ || 67 ||
624 udeernah The great transcendent
625 sarvatah-chakshuh One who has eyes everywhere
626 aneeshah One who has none to Lord over Him
627 shaashvata-sthirah One who is eternal and stable
628 bhooshayah One who rested on the ocean shore (Rama)
629 bhooshanah One who adorns the world
630 bhootih One who is pure existence
631 vishokah Sorrowless
632 shoka-naashanah Destroyer of sorrows
624 उदीर्णः जो सब प्राणीओं से उत्तीर्ण है
625 सर्वतश्चक्षुः जो अपने चैतन्यरूप से सबको देखते हैं
626 अनीशः जिनका कोई ईश नहीं है
627 शाश्वतः-स्थिरः जो नित्य होने पर भी कभी विकार को प्राप्त नहीं होते
628 भूशयः लंका जाते समय समुद्रतट पर भूमि पर सोये थे
629 भूषणः जो अपने अवतारों से पृथ्वी को भूषित करते रहे हैं
630 भूतिः समस्त विभूतियों के कारण हैं
631 विशोकः जो शोक से परे हैं
632 शोकनाशनः जो स्मरणमात्र से भक्तों का शोक नष्ट कर दे
arciṣmānarcitaḥ kuṁbhō viśuddhātmā viśōdhanaḥ |
aniruddhōpratirathaḥ pradyumnōmitavikramaḥ || 68 ||
633 archishmaan The effulgent
634 architah One who is constantly worshipped by His devotees
635 kumbhah The pot within whom everything is contained
636 vishuddhaatmaa One who has the purest soul
637 vishodhanah The great purifier
638 aniruddhah He who is invincible by any enemy
639 apratirathah One who has no enemies to threaten Him
640 pradyumnah Very rich
641 amitavikramah Of immeasurable prowess
633 अर्चिष्मान् जिनकी अर्चियों (किरणों) से सूर्य, चन्द्रादि अर्चिष्मान हो रहे हैं
634 अर्चितः जो सम्पूर्ण लोकों से अर्चित (पूजित) हैं
635 कुम्भः कुम्भ(घड़े) के समान जिनमे सब वस्तुएं स्थित हैं
636 विशुद्धात्मा तीनों गुणों से अतीत होने के कारण विशुद्ध आत्मा हैं
637 विशोधनः अपने स्मरण मात्र से पापों का नाश करने वाले हैं
638 अनिरुद्धः शत्रुओं द्वारा कभी रोके न जाने वाले
639 अप्रतिरथः जिनका कोई विरुद्ध पक्ष नहीं है
640 प्रद्युम्नः जिनका दयुम्न (धन) श्रेष्ठ है
641 अमितविक्रमःजिनका विक्रम अपरिमित है
kālaneminihā vīraḥ śauriḥ śūrajaneśvaraḥ |
trilōkātmā trilōkeśaḥ keśavaḥ keśihā hariḥ || 69 ||
642 kaalanemi-nihaa Slayer of Kalanemi
643 veerah The heroic victor
644 shauri One who always has invincible prowess
645 shoora-janeshvarah Lord of the valiant
646 trilokaatmaa The self of the three worlds
647 trilokeshah The Lord of the three worlds
648 keshavah One whose rays illumine the cosmos
649 keshihaa Killer of Kesi
650 harih The destroyer
642 कालनेमीनिहा कालनेमि नामक असुर का हनन करने वाले
643 वीरः जो शूर हैं
644 शौरी जो शूरकुल में उत्पन्न हुए हैं
645 शूरजनेश्वरः इंद्र आदि शूरवीरों के भी शासक
646 त्रिलोकात्मा तीनों लोकों की आत्मा हैं
647 त्रिलोकेशः जिनकी आज्ञा से तीनों लोक अपना कार्य करते हैं
648 केशवः ब्रह्मा,विष्णु और शिव नाम की शक्तियां केश हैं उनसे युक्त होने वाले
649 केशिहा केशी नामक असुर को मारने वाले
650 हरिः अविद्यारूप कारण सहित संसार को हर लेते हैं
kāmadevaḥ kāmapālaḥ kāmī kāntaḥ kṛtāgamaḥ |
anirdeśyavapurviṣṇurvīrōnantō dhanañjayaḥ || 70 ||
651 kaamadevah The beloved Lord
652 kaamapaalah The fulfiller of desires
653 kaamee One who has fulfilled all His desires
654 kaantah Of enchanting form
655 kritaagamah The author of the agama scriptures
656 anirdeshya-vapuh Of Indescribable form
657 vishnuh All-pervading
658 veerah The courageous
659 anantah Endless
660 dhananjayah One who gained wealth through conquest
651 कामदेवः कामना किये जाते हैं इसलिए काम हैं और देव भी हैं
652 कामपालः कामियों की कामनाओं का पालन करने वाले हैं
653 कामी पूर्णकाम हैं
654 कान्तः परम सुन्दर देह वाले हैं
655 कृतागमः जिन्होंने श्रुति,स्मृति आदि आगम(शास्त्र) रचे हैं
656 अनिर्देश्यवपुः जिनका रूप निर्दिष्ट नहीं किया जा सकता
657 विष्णुः जिनकी प्रचुर कांति पृथ्वी और आकाश को व्याप्त करके स्थित है
658 वीरः गति आदि से युक्त हैं
659 अनन्तः देश, काल, वस्तु, सर्वात्मा आदि से अपरिच्छिन्न
660 धनञ्जयः अर्जुन के रूप में जिन्होंने दिग्विजय के समय बहुत सा धन जीता था
brahmaṇyō brahmakṛdbrahmā brahma brahmavivardhanaḥ |
brahmavidbrāhmaṇō brahmī brahmajñō brāhmaṇapriyaḥ || 71 ||
661 brahmanyah Protector of Brahman (anything related to Narayana)
662 brahmakrit One who acts in Brahman
663 brahmaa Creator
664 brahma Biggest
665 brahma-vivardhanah One who increases the Brahman
666 brahmavid One who knows Brahman
667 braahmanah One who has realised Brahman
668 brahmee One who is with Brahma
669 brahmajno One who knows the nature of Brahman
670 braahmana-priyah Dear to the brahmanas
661 ब्रह्मण्यः जो तप,वेद,ब्राह्मण और ज्ञान के हितकारी हैं
662 ब्रह्मकृत् तपादि के करने वाले हैं
663 ब्रह्मा ब्रह्मरूप से सबकी रचना करने वाले हैं
664 ब्रहम बड़े तथा बढ़ानेवाले हैं
665 ब्रह्मविवर्धनः तपादि को बढ़ाने वाले हैं
666 ब्रह्मविद् वेद तथा वेद के अर्थ को यथावत जानने वाले हैं
667 ब्राह्मणः ब्राह्मण रूप
668 ब्रह्मी ब्रह्म के शेषभूत जिनमे हैं
669 ब्रह्मज्ञः जो अपने आत्मभूत वेदों को जानते हैं
670 ब्राह्मणप्रियः जो ब्राह्मणों को प्रिय हैं
mahākramō mahākarmā mahātejā mahōragaḥ |
mahākraturmahāyajvā mahāyajñō mahāhaviḥ || 72 ||
671 mahaakramo Of great step
672 mahaakarmaa One who performs great deeds
673 mahaatejaah One of great resplendence
674 mahoragah The great serpent
675 mahaakratuh The great sacrifice
676 mahaayajvaa One who performed great yajnas
677 mahaayajnah The great yajna
678 mahaahavih The great offering
671 महाक्रमः जिनका डग महान है
672 महाकर्मा जगत की उत्पत्ति जैसे जिनके कर्म महान हैं
673 महातेजा जिनका तेज महान है
674 महोरगः जो महान उरग (वासुकि सर्परूप) है
675 महाक्रतुः जो महान क्रतु (यज्ञ) है
676 महायज्वा महान हैं और लोक संग्रह के लिए यज्ञानुष्ठान करने से यज्वा भी हैं
677 महायज्ञः महान हैं और यज्ञ हैं
678 महाहविः महान हैं और हवि हैं
stavyaḥ stavapriyaḥ stōtraṁ stutiḥ stōtā raṇapriyaḥ |
pūrṇaḥ pūrayitā puṇyaḥ puṇyakīrtiranāmayaḥ || 73 ||
679 stavyah One who is the object of all praise
680 stavapriyah One who is invoked through prayer
681 stotram The hymn
682 stutih The act of praise
683 stotaa One who adores or praises
684 ranapriyah Lover of battles
685 poornah The complete
686 poorayitaa The fulfiller
687 punyah The truly holy
688 punya-keertir Of Holy fame
689 anaamayah One who has no diseases
679 स्तव्यः जिनकी सब स्तुति करते हैं लेकिन स्वयं किसीकी स्तुति नहीं करते
680 स्तवप्रियः जिनकी सभी स्तुति करते हैं
681 स्तोत्रम् वह गुण कीर्तन हैं जिससे उन्ही की स्तुति की जाती है
682 स्तुतिः स्तवन क्रिया
683 स्तोता सर्वरूप होने के कारण स्तुति करने वाले भी स्वयं हैं
684 रणप्रियः जिन्हे रण प्रिय है
685 पूर्णः जो समस्त कामनाओं और शक्तियों से संपन्न हैं
686 पूरयिता जो केवल पूर्ण ही नहीं हैं बल्कि सबको संपत्ति से पूर्ण करने भी वाले हैं
687 पुण्यः स्मरण मात्र से पापों का क्षय करने वाले हैं
688 पुण्यकीर्तिः जिनकी कीर्ति मनुष्यों को पुण्य प्रदान करने वाली है
689 अनामयः जो व्याधियों से पीड़ित नहीं होते
manōjavastīrthakarō vasuretā vasupradaḥ |
vasupradō vāsudevō vasurvasumanā haviḥ || 74 ||
690 manojavah Swift as the mind
691 teerthakaro The teacher of the tirthas
692 vasuretaah He whose essence is golden
693 vasupradah The free-giver of wealth
694 vasupradah The giver of salvation, the greatest wealth
695 vaasudevo The son of Vasudeva
696 vasuh The refuge for all
697 vasumanaa One who is attentive to everything
698 havih The oblation
690 मनोजवः जिनका मन वेग समान तीव्र है
691 तीर्थकरः जो चौदह विद्याओं और वेद विद्याओं के कर्ता तथा वक्ता हैं
692 वसुरेताः स्वर्ण जिनका वीर्य है
693 वसुप्रदः जो खुले हाथ से धन देते हैं
694 वसुप्रदः जो भक्तों को मोक्षरूप उत्कृष्ट फल देते हैं
695 वासुदेवः वासुदेवजी के पुत्र
696 वसुः जिनमे सब भूत बसते हैं
697 वसुमना जो समस्त पदार्थों में सामान्य भाव से बसते हैं
698 हविः जो ब्रह्म को अर्पण किया जाता है
sadgatiḥ satkṛtiḥ sattā sadbhūtiḥ satparāyaṇaḥ |
śūrasenō yaduśreṣṭhaḥ sannivāsaḥ suyāmunaḥ || 75 ||
699 sadgatih The goal of good people
700 satkritih One who is full of Good actions
701 satta One without a second
702 sadbhootih One who has rich glories
703 satparaayanah The Supreme goal for the good
704 shoorasenah One who has heroic and valiant armies
705 yadu-shresthah The best among the Yadava clan
706 sannivaasah The abode of the good
707 suyaamunah One who attended by the people dwelling on the banks of Yamuna
699 सद्गतिः जिनकी गति यानी बुद्धि श्रेष्ठ है
700 सत्कृतिः जिनकी जगत की उत्पत्ति आदि कृति श्रेष्ठ है
701 सत्ता सजातीय, विजातीय भेद से रहित अनुभूति हैं
702 सद्भूतिः जो अबाधित और बहुत प्रकार से भासित हैं
703 सत्परायणः सत्पुरुषों के श्रेष्ठ स्थान हैं
704 शूरसेनः जिनकी सेना शूरवीर है और हनुमान जैसे शूरवीर उनकी सेना में हैं
705 यदुश्रेष्ठः यदुवंशियों में प्रधान हैं
706 सन्निवासः विद्वानों के आश्रय है
707 सुयामुनः जिनके यामुन अर्थात यमुना सम्बन्धी सुन्दर हैं
bhūtāvāsō vāsudevaḥ sarvāsunilayōnalaḥ |
darpahā darpadō dṛptō durdharōthāparājitaḥ || 76 ||
708 bhootaavaaso The dwelling place of the elements
709 vaasudevah One who envelops the world with Maya
710 sarvaasunilayah The abode of all life energies
711 analah One of unlimited wealth, power and glory
712 darpahaa The destroyer of pride in evil-minded people
713 darpadah One who creates pride, or an urge to be the best, among the righteous
714 driptah One who is drunk with Infinite bliss
715 durdharah The object of contemplation
716 athaaparaajitah The unvanquished
708 भूतावासः जिनमे सर्व भूत मुख्य रूप से निवास करते हैं
709 वासुदेवः जगत को माया से आच्छादित करते हैं और देव भी हैं
710 सर्वासुनिलयः सम्पूर्ण प्राण जिस जीवरूप आश्रय में लीन हो जाते हैं
711 अनलः जिनकी शक्ति और संपत्ति की समाप्ति नहीं है
712 दर्पहा धर्मविरुद्ध मार्ग में रहने वालों का दर्प नष्ट करते हैं
713 दर्पदः धर्म मार्ग में रहने वालों को दर्प(गर्व) देते हैं
714 दृप्तः अपने आत्मारूप अमृत का आखादन करने के कारण नित्य प्रमुदित रहते हैं
715 दुर्धरः जिन्हे बड़ी कठिनता से धारण किया जा सकता है
716 अथापराजितः जो किसी से पराजित नहीं होते
viśvamūrtirmahāmūrtirdīptamūrtiramūrtimān |
anekamūrtiravyaktaḥ śatamūrtiḥ śatānanaḥ || 77 ||
717 vishvamoortih Of the form of the entire Universe
718 mahaamortir The great form
719 deeptamoortir Of resplendent form
720 a-moortirmaan Having no form
721 anekamoortih Multi-formed
722 avyaktah Unmanifeset
723 shatamoortih Of many forms
724 shataananah Many-faced
717 विश्वमूर्तिः विश्व जिनकी मूर्ति है
718 महामूर्तिः जिनकी मूर्ति बहुत बड़ी है
719 दीप्तमूर्तिः जिनकी मूर्ति दीप्तमति है
720 अमूर्तिमान् जिनकी कोई कर्मजन्य मूर्ति नहीं है
721 अनेकमूर्तिः अवतारों में लोकों का उपकार करने वाली अनेकों मूर्तियां धारण करते हैं
722 अव्यक्तः जो व्यक्त नहीं होते
723 शतमूर्तिः जिनकी विकल्पजन्य अनेक मूर्तियां हैं
724 शताननः जो सैंकड़ों मुख वाले है
ekō naikaḥ savaḥ kaḥ kiṁ yattatpadamanuttamam |
lōkabandhurlōkanāthō mādhavō bhaktavatsalaḥ || 78 ||
725 ekah The one
726 naikah The many
727 savah The nature of the sacrifice
728 kah One who is of the nature of bliss
729 kim What (the one to be inquired into)
730 yat Which
731 tat That
732 padam-anuttamam The unequalled state of perfection
733 lokabandhur Friend of the world
734 lokanaathah Lord of the world
735 maadhavah Born in the family of Madhu
736 bhaktavatsalah One who loves His devotees
725 एकः जो सजातीय, विजातीय और बाकी भेदों से शून्य हैं
726 नैकः जिनके माया से अनेक रूप हैं
727 सवः वो यज्ञ हैं जिससे सोम निकाला जाता है
728 कः सुखस्वरूप
729 किम् जो विचार करने योग्य है
730 यत् जिनसे सब भूत उत्पन्न होते हैं
731 तत् जो विस्तार करता है
732 पदमनुत्तमम् वह पद हैं और उनसे श्रेष्ठ कोई नहीं है इसलिए अनुत्तम भी हैं
733 लोकबन्धुः जिनमे सब लोक बंधे रहते हैं
734 लोकनाथः जो लोकों से याचना किये जाते हैं और उनपर शासन करते हैं
735 माधवः मधुवंश में उत्पन्न होने वाले हैं
736 भक्तवत्सलः जो भक्तों के प्रति स्नेहयुक्त हैं
suvarṇavarṇō hemāṅgō varāṅgaścandanāṅgadī |
vīrahā viṣamaḥ śūnyō ghṛtāśīracalaścalaḥ || 79 ||
737 suvarna-varnah Golden-coloured
738 hemaangah One who has limbs of gold
739 varaangah With beautiful limbs
740 chandanaangadee One who has attractive armlets
741 veerahaa Destroyer of valiant heroes
742 vishama Unequalled
743 shoonyah The void
744 ghritaaseeh One who has no need for good wishes
745 acalah Non-moving
746 chalah Moving
737 सुवर्णवर्णः जिनका वर्ण सुवर्ण के समान है
738 हेमांगः जिनका शरीर हेम(सुवर्ण) के समान है
739 वरांगः जिनके अंग वर (सुन्दर) हैं
740 चन्दनांगदी जो चंदनों और अंगदों(भुजबन्द) से विभूषित हैं
741 वीरहा धर्म की रक्षा के लिए दैत्यवीरों का हनन करने वाले हैं
742 विषमः जिनके समान कोई नहीं है
743 शून्यः जो समस्त विशेषों से रहित होने के कारण शून्य के समान हैं
744 घृताशी जिनकी आशिष घृत यानी विगलित हैं
745 अचलः जो किसी भी तरह से विचलित नहीं होते
746 चलः जो वायुरूप से चलते हैं
amānī mānadō mānyō lōkasvāmī trilōkadhṛt |
sumedhā medhajō dhanyaḥ satyamedhā dharādharaḥ || 80 ||
747 amaanee Without false vanity
748 maanadah One who causes, by His maya, false identification with the body
749 maanyah One who is to be honoured
750 lokasvaamee Lord of the universe
751 trilokadhrik One who is the support of all the three worlds
752 sumedhaa One who has pure intelligence
753 medhajah Born out of sacrifices
754 dhanyah Fortunate
755 satyamedhah One whose intelligence never fails
756 dharaadharah The sole support of the earth
747 अमानी जिन्हे अनात्म वस्तुओं में आत्माभिमान नहीं है
748 मानदः जो भक्तों को आदर मान देते हैं
749 मान्यः जो सबके माननीय पूजनीय हैं
750 लोकस्वामी चौदहों लोकों के स्वामी हैं
751 त्रिलोकधृक् तीनों लोकों को धारण करने वाले हैं
752 सुमेधा जिनकी मेधा अर्थात प्रज्ञा सुन्दर है
753 मेधजः मेध अर्थात यज्ञ में उत्पन्न होने वाले हैं
754 धन्यः कृतार्थ हैं
755 सत्यमेधः जिनकी मेधा सत्य है
756 धराधरः जो अपने सम्पूर्ण अंशों से पृथ्वी को धारण करते हैं
tejōvṛṣō dyutidharaḥ sarvaśastrabhṛtāṁ varaḥ |
pragrahō nigrahō vyagrō naikaśṛṅgō gadāgrajaḥ || 81 ||
757 tejovrisho One who showers radiance
758 dyutidharah One who bears an effulgent form
759 sarva-shastra-bhritaam-varah The best among those who wield weapons
760 pragrahah Receiver of worship
761 nigrahah The killer
762 vyagrah One who is ever engaged in fulfilling the devotee's desires
763 naikashringah One who has many horns
764 gadaagrajah One who is invoked through mantra
757 तेजोवृषः आदित्यरूप से सदा तेज की वर्षा करते हैं
758 द्युतिधरः द्युति को धारण करने वाले हैं
759 सर्वशस्त्रभृतां वरः समस्त शस्त्रधारियों में श्रेष्ठ
760 प्रग्रहः भक्तों द्वारा समर्पित किये हुए पुष्पादि ग्रहण करने वाले हैं
761 निग्रहः अपने अधीन करके सबका निग्रह करते हैं
762 व्यग्रः जिनका नाश नहीं होता
763 नैकशृंगः चार सींगवाले हैं
764 गदाग्रजः मंत्र से पहले ही प्रकट होते हैं
caturmūrtiścaturbāhuścaturvyūhaścaturgatiḥ |
caturātmā caturbhāvaścaturvedavidekapāt || 82 ||
765 chaturmoortih Four-formed
766 chaturbaahuh Four-handed
767 chaturvyoohah One who expresses Himself as the dynamic centre in the four vyoohas
768 chaturgatih The ultimate goal of all four varnas and asramas
769 chaturaatmaa Clear-minded
770 chaturbhaavas The source of the four
771 chatur-vedavid Knower of all four vedas
772 ekapaat One-footed (BG 10.42)
765 चतुर्मूर्तिः जिनकी चार मूर्तियां हैं
766 चतुर्बाहुः जिनकी चार भुजाएं हैं
767 चतुर्व्यूहः जिनके चार व्यूह हैं
768 चतुर्गतिः जिनके चार आश्रम और चार वर्णों की गति है
769 चतुरात्मा राग द्वेष से रहित जिनका मन चतुर है
770 चतुर्भावः जिनसे धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष पैदा होते हैं
771 चतुर्वेदविद् चारों वेदों को जानने वाले
772 एकपात् जिनका एक पाद है
samāvartō nivṛttātmā durjayō duratikramaḥ |
durlabhō durgamō durgō durāvāsō durārihā || 83 ||
773 samaavartah The efficient turner
774 nivrittaatmaa One whose mind is turned away from sense indulgence
775 durjayah The invincible
776 duratikramah One who is difficult to be disobeyed
777 durlabhah One who can be obtained with great efforts
778 durgamah One who is realised with great effort
779 durgah Not easy to storm into
780 duraavaasah Not easy to lodge
781 duraarihaa Slayer of the asuras
773 समावर्तः संसार चक्र को भली प्रकार घुमाने वाले हैं
774 निवृत्तात्मा जिनका मन विषयों से निवृत्त है
775 दुर्जयः जो किसी से जीते नहीं जा सकते
776 दुरतिक्रमः जिनकी आज्ञा का उल्लंघन सूर्यादि भी नहीं कर सकते
777 दुर्लभः दुर्लभ भक्ति से प्राप्त होने वाले हैं
778 दुर्गमः कठिनता से जाने जाते हैं
779 दुर्गः कई विघ्नों से आहत हुए पुरुषों द्वारा कठिनता से प्राप्त किये जाते हैं
780 दुरावासः जिन्हे बड़ी कठिनता से चित्त में बसाया जाता है
781 दुरारिहा दुष्ट मार्ग में चलने वालों को मारते हैं
śubhāṅgō lōkasāraṅgaḥ sutantustantuvardhanaḥ |
indrakarmā mahākarmā kṛtakarmā kṛtāgamaḥ || 84 ||
782 shubhaangah One with enchanting limbs
783 lokasaarangah One who understands the universe
784 sutantuh Beautifully expanded
785 tantu-vardhanah One who sustains the continuity of the drive for the family
786 indrakarmaa One who always performs gloriously auspicious actions
787 mahaakarmaa One who accomplishes great acts
788 kritakarmaa One who has fulfilled his acts
789 kritaagamah Author of the Vedas
782 शुभांगः सुन्दर अंगों से ध्यान किये जाते हैं
783 लोकसारंगः लोकों के सार हैं
784 सुतन्तुः जिनका तंतु - यह विस्तृत जगत सुन्दर हैं
785 तन्तुवर्धनः उसी तंतु को बढ़ाते या काटते हैं
786 इन्द्रकर्मा जिनका कर्म इंद्र के कर्म के समान ही है
787 महाकर्मा जिनके कर्म महान हैं
788 कृतकर्मा जिन्होंने धर्म रूप कर्म किया है
789 कृतागमः जिन्होंने वेदरूप आगम बनाया है
udbhavaḥ sundaraḥ sundō ratnanābhaḥ sulōcanaḥ |
arkō vājasanaḥ śṛṅgī jayantaḥ sarvavijjayī || 85 ||
790 udbhavah The ultimate source
791 sundarah Of unrivalled beauty
792 sundah Of great mercy
793 ratna-naabhah Of beautiful navel
794 sulochanah One who has the most enchanting eyes
795 arkah One who is in the form of the sun
796 vaajasanah The giver of food
797 shringee The horned one
798 jayantah The conqueror of all enemies
799 sarvavij-jayee One who is at once omniscient and victorious
790 उद्भवः जिनका जन्म नहीं होता
791 सुन्दरः विश्व से बढ़कर सौभाग्यशाली
792 सुन्दः शुभ उंदन (आर्द्रभाव) करते हैं
793 रत्ननाभः जिनकी नाभि रत्न के समान सुन्दर है
794 सुलोचनः जिनके लोचन सुन्दर हैं
795 अर्कः ब्रह्मा आदि पूजनीयों के भी पूजनीय हैं
796 वाजसनः याचकों को वाज(अन्न) देते हैं
797 शृंगी प्रलय समुद्र में सींगवाले मत्स्यविशेष का रूप धारण करने वाले हैं
798 जयन्तः शत्रुओं को अतिशय से जीतने वाले हैं
799 सर्वविज्जयी जो सर्ववित हैं और जयी हैं
suvarṇabindurakṣōbhyaḥ sarvavāgīśvareśvaraḥ |
mahāhradō mahāgartō mahābhūtō mahānidhiḥ || 86 ||
800 suvarna-binduh With limbs radiant like gold
801 akshobhyah One who is ever unruffled
802 sarva-vaageeshvareshvarah Lord of the Lord of speech
803 mahaahradah One who is like a great refreshing swimming pool
804 mahaagartah The great chasm
805 mahaabhootah The great being
806 mahaanidhih The great abode
800 सुवर्णबिन्दुः जिनके अवयव सुवर्ण के समान हैं
801 अक्षोभ्यः जो राग द्वेषादि और देवशत्रुओं से क्षोभित नहीं होते
802 सर्ववागीश्वरेश्वरः ब्रह्मादि समस्त वागीश्वरों के भी इश्वर हैं
803 महाहृदः एक बड़े सरोवर समान हैं
804 महागर्तः जिनकी माया गर्त (गड्ढे) के समान दुस्तर है
805 महाभूतः तीनों काल से अनवच्छिन्न (विभाग रहित) स्वरुप हैं
806 महानिधिः जो महान हैं और निधि भी हैं
kumudaḥ kundaraḥ kundaḥ parjanyaḥ pāvanōnilaḥ
amṛtāśōmṛtavapuḥ sarvajñaḥ sarvatōmukhaḥ || 87 ||
807 kumudah One who gladdens the earth
808 kundarah The one who lifted the earth
809 kundah One who is as attractive as Kunda flowers
810 parjanyah He who is similar to rain-bearing clouds
811 paavanah One who ever purifies
812 anilah One who never slips
813 amritaashah One whose desires are never fruitless
814 amritavapuh He whose form is immortal
815 sarvajna Omniscient
816 sarvato-mukhah One who has His face turned everywhere
807 कुमुदः कु (पृथ्वी) को उसका भार उतारते हुए मोदित करते हैं
808 कुन्दरः कुंद पुष्प के समान शुद्ध फल देते हैं
809 कुन्दः कुंद के समान सुन्दर अंगवाले हैं
810 पर्जन्यः पर्जन्य (मेघ) के समान कामनाओं को वर्षा करने वाले हैं
811 पावनः स्मरणमात्र से पवित्र करने वाले हैं
812 अनिलः जो इल (प्रेरणा करने वाला) से रहित हैं
813 अमृतांशः अमृत का भोग करने वाले हैं
814 अमृतवपुः जिनका शरीर मरण से रहित है
815 सर्वज्ञः जो सब कुछ जानते हैं
816 सर्वतोमुखः सब ओर नेत्र, शिर और मुख वाले हैं
sulabhaḥ suvrataḥ siddhaḥ śatrujicchatrutāpanaḥ |
nyagrōdhōdumbarōśvatthaścāṇūrāndhraniṣūdanaḥ || 88 ||
817 sulabhah One who is readily available
818 suvratah One who has taken the most auspicious forms
819 siddhah One who is perfection
820 shatrujit One who is ever victorious over His hosts of enemies
821 shatrutaapanah The scorcher of enemies
822 nyagrodhah The one who veils Himself with Maya
823 udumbarah Nourishment of all living creatures
824 ashvattas Tree of life
825 chaanooraandhra-nishoodanah The slayer of Canura
817 सुलभः केवल समर्पित भक्ति से सुखपूर्वक मिल जाने वाले हैं
818 सुव्रतः जो सुन्दर व्रत(भोजन) करते हैं
819 सिद्धः जिनकी सिद्धि दूसरे के अधीन नहीं है
820 शत्रुजित् देवताओं के शत्रुओं को जीतने वाले हैं
821 शत्रुतापनः देवताओं के शत्रुओं को तपानेवाले हैं
822 न्यग्रोधः जो नीचे की ओर उगते हैं और सबके ऊपर विराजमान हैं
823 उदुम्बरः अम्बर से भी ऊपर हैं
824 अश्वत्थः श्व अर्थात कल भी रहनेवाला नहीं है
825 चाणूरान्ध्रनिषूदनः चाणूर नामक अन्ध्र जाति के वीर को मारने वाले हैं
sahasrārciḥ saptajihvaḥ saptaidhāḥ saptavāhanaḥ |
amūrtiranaghōcintyō bhayakṛdbhayanāśanaḥ || 89 ||
826 sahasraarchih He who has thousands of rays
827 saptajihvah He who expresses himself as the seven tongues of fire (Types of agni)
828 saptaidhaah The seven effulgences in the flames
829 saptavaahanah One who has a vehicle of seven horses (sun)
830 amoortih Formless
831 anaghah Sinless
832 acintyo Inconceivable
833 bhayakrit Giver of fear
834 bhayanaashanah Destroyer of fear
826 सहस्रार्चिः जिनकी सहस्र अर्चियाँ (किरणें) हैं
827 सप्तजिह्वः उनकी अग्निरूपी सात जिह्वाएँ हैं
828 सप्तैधाः जिनकी सात ऐधाएँ हैं अर्थात दीप्तियाँ हैं
829 सप्तवाहनः सात घोड़े(सूर्यरूप) जिनके वाहन हैं
830 अमूर्तिः जो मूर्तिहीन हैं
831 अनघः जिनमे अघ(दुःख) या पाप नहीं है
832 अचिन्त्यः सब प्रमाणों के अविषय हैं
833 भयकृत् भक्तों का भय काटने वाले हैं
834 भयनाशनः धर्म का पालन करने वालों का भय नष्ट करने वाले हैं
aṇurbṛhatkṛśaḥ sthūlō guṇabhṛnnirguṇō mahān |
adhṛtassvadhṛtasvāsyaḥ prāgvaṁśō vaṁśavardhanaḥ || 90 ||
835 anuh The subtlest
836 brihat The greatest
837 krishah Delicate, lean
838 sthoolah One who is the fattest
839 gunabhrit One who supports
840 nirgunah Without any properties
841 mahaan The mighty
842 adhritah Without support
843 svadhritah Self-supported
844 svaasyah One who has an effulgent face
845 praagvamshah One who has the most ancient ancestry
846 vamshavardhanah He who multiplies His family of descendents
835 अणुः जो अत्यंत सूक्ष्म हैं
836 बृहत् जो महान से भी अत्यंत महान हैं
837 कृशः जो अस्थूल हैं
838 स्थूलः जो सर्वात्मक हैं
839 गुणभृत् जो सत्व, रज और तम गुणों के अधिष्ठाता हैं
840 निर्गुणः जिनमे गुणों का अभाव है
841 महान् जो अंग, शब्द, शरीर और स्पर्श से रहित हैं और महान हैं
842 अधृतः जो किसी से भी धारण नहीं किये जाते
843 स्वधृतः जो स्वयं अपने आपसे ही धारण किये जाते हैं
844 स्वास्यः जिनका ताम्रवर्ण मुख अत्यंत सुन्दर है
845 प्राग्वंशः जिनका वंश सबसे पहले हुआ है
846 वंशवर्धनः अपने वंशरूप प्रपंच को बढ़ाने अथवा नष्ट करने वाले हैं
bhārabhṛt kathitō yōgī yōgīśaḥ sarvakāmadaḥ |
āśramaḥ śramaṇaḥ, kṣāmaḥ suparṇō vāyuvāhanaḥ || 91 ||
847 bhaarabhrit One who carries the load of the universe
848 kathitah One who is glorified in all scriptures
849 yogee One who can be realised through yoga
850 yogeeshah The king of yogis
851 sarvakaamadah One who fulfils all desires of true devotees
852 aashramah Haven
853 shramanah One who persecutes the worldly people
854 kshaamah One who destroys everything
855 suparnah The golden leaf (Vedas) BG 15.1
856 vaayuvaahanah The mover of the winds
847 भारभृत् अनंतादिरूप से पृथ्वी का भार उठाने वाले हैं
848 कथितः सम्पूर्ण वेदों में जिनका कथन है
849 योगी योग ज्ञान को कहते हैं उसी से प्राप्त होने वाले हैं
850 योगीशः जो अंतरायरहित हैं
851 सर्वकामदः जो सब कामनाएं देते हैं
852 आश्रमः जो समस्त भटकते हुए पुरुषों के लिए आश्रम के समान हैं
853 श्रमणः जो समस्त अविवेकियों को संतप्त करते हैं
854 क्षामः जो सम्पूर्ण प्रजा को क्षाम अर्थात क्षीण करते हैं
855 सुपर्णः जो संसारवृक्षरूप हैं और जिनके छंद रूप सुन्दर पत्ते हैं
856 वायुवाहनः जिनके भय से वायु चलती है
dhanurdharō dhanurvedō daṅḍō damayitā damaḥ |
aparājitassarvasahō niyantā niyamō yamaḥ || 92 ||
857 dhanurdharah The wielder of the bow
858 dhanurvedah One who declared the science of archery
859 dandah One who punishes the wicked
860 damayitaa The controller
861 damah Beautitude in the self
862 aparaajitah One who cannot be defeated
863 sarvasahah One who carries the entire Universe
864 aniyantaa One who has no controller
865 niyamah One who is not under anyone's laws
866 ayamah One who knows no death
857 धनुर्धरः जिन्होंने राम के रूप में महान धनुष धारण किया था
858 धनुर्वेदः जो दशरथकुमार धनुर्वेद जानते हैं
859 दण्डः जो दमन करनेवालों के लिए दंड हैं
860 दमयिता जो यम और राजा के रूप में प्रजा का दमन करते हैं
861 दमः दण्डकार्य और उसका फल दम
862 अपराजितः जो शत्रुओं से पराजित नहीं होते
863 सर्वसहः समस्त कर्मों में समर्थ हैं
864 अनियन्ता सबको अपने अपने कार्य में नियुक्त करते हैं
865 नियमः जिनके लिए कोई नियम नहीं है
866 अयमः जिनके लिए कोई यम अर्थात मृत्यु नहीं है
sattvavān sāttvikaḥ satyaḥ satyadharmaparāyaṇaḥ |
abhiprāyaḥ priyārhōrhaḥ priyakṛt pritivardhanaḥ || 93 ||
867 sattvavaan One who is full of exploits and courage
868 saattvikah One who is full of sattvic qualities
869 satyah Truth
870 satya-dharma-paraayanah One who is the very abode of truth and dharma
871 abhipraayah One who is faced by all seekers marching to the infinite
872 priyaarhah One who deserves all our love
873 arhah One who deserves to be worshiped
874 priyakrit One who is ever-obliging in fulfilling our wishes
875 preetivardhanah One who increases joy in the devotee's heart
867 सत्त्ववान् जिनमे शूरता-पराक्रम आदि सत्व हैं
868 सात्त्विकः जिनमे सत्वगुण प्रधानता से स्थित है
869 सत्यः सभी चीनों में साधू हैं
870 सत्यधर्मपरायणः जो सत्य हैं और धर्मपरायण भी हैं
871 अभिप्रायः प्रलय के समय संसार जिनके सम्मुख जाता है
872 प्रियार्हः जो प्रिय ईष्ट वस्तु निवेदन करने योग्य है
873 अर्हः जो पूजा के साधनों से पूजनीय हैं
874 प्रियकृत् जो स्तुतिआदि के द्वारा भजने वालों का प्रिय करते हैं
875 प्रीतिवर्धनः जो भजने वालों की प्रीति भी बढ़ाते हैं
vihāyasagatirjyōtiḥ surucirhutabhugvibhuḥ |
ravirvirōcanaḥ sūryaḥ savitā ravilōcanaḥ || 94 ||
876 vihaayasa-gatih One who travels in space
877 jyotih Self-effulgent
878 suruchih Whose desire manifests as the universe
879 hutabhuk One who enjoys all that is offered in yajna
880 vibhuh All-pervading
881 ravi One who dries up everything
882 virochanah One who shines in different forms
883 sooryah The one source from where everything is born
884 savitaa The one who brings forth the Universe from Himself
885 ravilochanah One whose eye is the sun
876 विहायसगतिः जिनकी गति अर्थात आश्रय आकाश है
877 ज्योतिः जो स्वयं ही प्रकाशित होते हैं
878 सुरुचिः जिनकी रुचि सुन्दर है
879 हुतभुक् जो यज्ञ की आहुतियों को भोगते हैं
880 विभुः जो सर्वत्र वर्तमान हैं और तीनों लोकों के प्रभु हैं
881 रविः जो रसों को ग्रहण करते हैं
882 विरोचनः जो विविध प्रकार से सुशोभित होते हैं
883 सूर्यः जो श्री(शोभा) को जन्म देते हैं
884 सविता सम्पूर्ण जगत का प्रसव(उत्पत्ति) करने वाले हैं
885 रविलोचनः रवि जिनका लोचन अर्थात नेत्र हैं
anantō hutabhugbhōktā sukhadō naikajōgrajaḥ |
anirviṇṇaḥ sadāmarṣī lōkādhiṣṭhānamadbhutaḥ || 95 ||
886 anantah Endless
887 hutabhuk One who accepts oblations
888 bhoktaaA One who enjoys
889 sukhadah Giver of bliss to those who are liberated
890 naikajah One who is born many times
891 agrajah The first-born
892 anirvinnah One who feels no disappointment
893 sadaamarshee One who forgives the trespasses of His devotees
894 lokaadhishthaanam The substratum of the universe
895 adbhutah Wonderful
886 अनन्तः जिनमे नित्य, सर्वगत और देशकालपरिच्छेद का अभाव है
887 हुतभुक् जो हवन किये हुए को भोगते हैं
888 भोक्ता जो जगत का पालन करते हैं
889 सुखदः जो भक्तों को मोक्षरूप सुख देते हैं
890 नैकजः जो धर्मरक्षा के लिए बारबार जन्म लेते हैं
891 अग्रजः जो सबसे आगे उत्पन्न होता है
892 अनिर्विण्णः जिन्हे सर्वकामनाएँ प्राप्त होनेकारण अप्राप्ति का खेद नहीं है
893 सदामर्षी साधुओं को अपने सम्मुख क्षमा करते हैं
894 लोकाधिष्ठानम् जिनके आश्रय से तीनों लोक स्थित हैं
895 अद्भुतः जो अपने स्वरुप, शक्ति, व्यापार और कार्य में अद्भुत है
sanātsanātanatamaḥ kapilaḥ kapiravyayaḥ |
svastidaḥ svastikṛt svasti svastibhuk svastidakṣiṇaḥ || 96 ||
896 sanaat The beginningless and endless factor
897 sanaatanatamah The most ancient
898 kapilah The great sage Kapila
899 kapih One who drinks water
900 avyayah The one in whom the universe merges
901 svastidah Giver of Svasti
902 svastikrit One who robs all auspiciousness
903 svasti One who is the source of all auspiciouness
904 svastibhuk One who constantly enjoys auspiciousness
905 svastidakshinah Distributor of auspiciousness
896 सनात् काल भी जिनका एक विकल्प ही है
897 सनातनतमः जो ब्रह्मादि सनतानों से भी अत्यंत सनातन हैं
898 कपिलः बडवानलरूप में जिनका वर्ण कपिल है
899 कपिः जो सूर्यरूप में जल को अपनी किरणों से पीते हैं
900 अव्ययः प्रलयकाल में जगत में विलीन होते हैं
901 स्वस्तिदः भक्तों को स्वस्ति अर्थात मंगल देते हैं
902 स्वस्तिकृत् जो स्वस्ति ही करते हैं
903 स्वस्ति जो परमानन्दस्वरूप हैं
904 स्वस्तिभुक् जो स्वस्ति भोगते हैं और भक्तों की स्वस्ति की रक्षा करते हैं
905 स्वस्तिदक्षिणः जो स्वस्ति करने में समर्थ हैं
araudraḥ kunḍalī cakrī vikramyūrjitaśāsanaḥ |
śabdātigaḥ śabdasahaḥ śiśiraḥ śarvarīkaraḥ || 97 ||
906 araudrah One who has no negative emotions or urges
907 kundalee One who wears shark earrings
908 chakree Holder of the chakra
909 vikramee The most daring
910 oorjita-shaasanah One who commands with His hand
911 shabdaatigah One who transcends all words
912 shabdasahah One who allows Himself to be invoked by Vedic declarations
913 shishirah The cold season, winter
914 sharvaree-karah Creator of darkness
906 अरौद्रः कर्म, राग और कोप जिनमे ये तीनों रौद्र नहीं हैं
907 कुण्डली सूर्यमण्डल के समान कुण्डल धारण किये हुए हैं
908 चक्री सम्पूर्ण लोकों की रक्षा के लिए मनस्तत्त्वरूप सुदर्शन चक्र धारण किया है
909 विक्रमी जिनका डग तथा शूरवीरता समस्त पुरुषों से विलक्षण है
910 ऊर्जितशासनः जिनका श्रुति-स्मृतिस्वरूप शासन अत्यंत उत्कृष्ट है
911 शब्दातिगः जो शब्द से कहे नहीं जा सकते
912 शब्दसहः समस्त वेद तात्पर्यरूप से जिनका वर्णन करते हैं
913 शिशिरः जो तापत्रय से तपे हुओं के लिए विश्राम का स्थान हैं
914 शर्वरीकरः ज्ञानी-अज्ञानी दोनों की शर्वरीयों (रात्रि) के करने वाले हैं
akrūraḥ peśalō dakṣō dakṣiṇaḥ, kṣamiṇāṁ varaḥ |
vidvattamō vītabhayaḥ puṇyaśravaṇakīrtanaḥ || 98 ||
915 akroorah Never cruel
916 peshalah One who is supremely soft
917 dakshah Prompt
918 dakshinah The most liberal
919 kshaminaam-varah One who has the greatest amount of patience with sinners
920 vidvattamah One who has the greatest wisdom
921 veetabhayah One with no fear
922 punya-shravana-keertanah The hearing of whose glory causes holiness to grow
915 अक्रूरः जिनमे क्रूरता नहीं है
916 पेशलः जो कर्म, मन, वाणी और शरीर से सुन्दर हैं
917 दक्षः बढ़ा-चढ़ा, शक्तिमान तथा शीघ्र कार्य करने वाला ये तीनों दक्ष जिनमे है
918 दक्षिणः जो सब ओर जाते हैं और सबको मारते हैं
919 क्षमिणांवरः जो क्षमा करने वाले योगियों आदि में श्रेष्ठ हैं
920 विद्वत्तमः जिन्हे सब प्रकार का ज्ञान है और किसी को नहीं है
921 वीतभयः जिनका संसारिकरूप भय बीत(निवृत्त हो) गया है
922 पुण्यश्रवणकीर्तनः जिनका श्रवण और कीर्तन पुण्यकारक है
uttāraṇō duṣkṛtihā puṇyō duḥsvapnanāśanaḥ |
vīrahā rakṣaṇassaṁtō jīvanaḥ paryavasthitaḥ || 99 ||
923 uttaaranah One who lifts us out of the ocean of change
924 dushkritihaa Destroyer of bad actions
925 punyah Supremely pure
926 duh-svapna-naashanah One who destroys all bad dreams
927 veerahaa One who ends the passage from womb to womb
928 rakshanah Protector of the universe
929 santah One who is expressed through saintly men
930 jeevanah The life spark in all creatures
931 paryavasthitah One who dwells everywhere
923 उत्तारणः संसार सागर से पार उतारने वाले हैं
924 दुष्कृतिहा पापनाम की दुष्क्रितयों का हनन करने वाले हैं
925 पुण्यः अपनी स्मृतिरूप वाणी से सबको पुण्य का उपदेश देने वाले हैं
926 दुःस्वप्ननाशनः दुःस्वप्नों को नष्ट करने वाले हैं
927 वीरहा संसारियों को मुक्ति देकर उनकी गतियों का हनन करने वाले हैं
928 रक्षणः तीनों लोकों की रक्षा करने वाले हैं
929 सन्तः सन्मार्ग पर चलने वाले संतरूप हैं
930 जीवनः प्राणरूप से समस्त प्रजा को जीवित रखने वाले हैं
931 पर्यवस्थितः विश्व को सब ओर से व्याप्त करके स्थित है
anantarūpōnantaśrīrjitamanyurbhayāpahaḥ |
caturaśrō gabhīrātmā vidiśō vyādiśō diśaḥ || 100 ||
932 anantaroopah One of infinite forms
933 anantashreeh Full of infinite glories
934 jitamanyuh One who has no anger
935 bhayapahah One who destroys all fears
936 chaturashrah One who deals squarely
937 gabheeraatmaa Too deep to be fathomed
938 vidishah One who is unique in His giving
939 vyaadishah One who is unique in His commanding power
940 dishah One who advises and gives knowledge
932 अनन्तरूपः जिनके रूप अनंत हैं
933 अनन्तश्रीः जिनकी श्री अपरिमित है
934 जितमन्युः जिन्होंने मन्यु अर्थात क्रोध को जीता है
935 भयापहः पुरुषों का संस्कारजन्य भय नष्ट करने वाले हैं
936 चतुरश्रः न्याययुक्त
937 गभीरात्मा जिनका मन गंभीर है
938 विदिशः जो विविध प्रकार के फल देते हैं
939 व्यादिशः इन्द्रादि को विविध प्रकार की आज्ञा देने वाले हैं
940 दिशः सबको उनके कर्मों का फल देने वाले हैं
anādirbhūrbhuvō lakṣmīssuvīrō rucirāṅgadaḥ |
jananō janajanmādirbhīmō bhīmaparākramaḥ || 101 ||
941 anaadih One who is the first cause
942 bhoor-bhuvo The substratum of the earth
943 lakshmeeh The glory of the universe
944 suveerah One who moves through various ways
945 ruchiraangadah One who wears resplendent shoulder caps
946 jananah He who delivers all living creatures
947 jana-janmaadir The cause of the birth of all creatures
948 bheemah Terrible form
949 bheema-paraakramah One whose prowess is fearful to His enemies
941 अनादिः जिनका कोई आदि नहीं है
942 भूर्भूवः भूमि के भी आधार है
943 लक्ष्मीः पृथ्वी की लक्ष्मी अर्थात शोभा हैं
944 सुवीरः जो विविध प्रकार से सुन्दर स्फुरण करते हैं
945 रुचिरांगदः जिनकी अंगद(भुजबन्द) कल्याणस्वरूप हैं
946 जननः जंतुओं को उत्पन्न करने वाले हैं
947 जनजन्मादिः जन्म लेनेवाले जीव की उत्पत्ति के कारण हैं
948 भीमः भय के कारण हैं
949 भीमपराक्रमः जिनका पराक्रम असुरों के भय का कारण होता है
ādhāranilayōdhātā puṣpahāsaḥ prajāgaraḥ |
ūrdhvagassatpathācāraḥ prāṇadaḥ praṇavaḥ paṇaḥ || 102 ||
950 aadhaaranilayah The fundamental sustainer
951 adhaataa Above whom there is no other to command
952 pushpahaasah He who shines like an opening flower
953 prajaagarah Ever-awakened
954 oordhvagah One who is on top of everything
955 satpathaachaarah One who walks the path of truth
956 praanadah Giver of life
957 pranavah Omkara
958 panah The supreme universal manager
950 आधारनिलयः पृथ्वी आदि पंचभूत आधारों के भी आधार है
951 अधाता जिनका कोई धाता(बनाने वाला) नहीं है
952 पुष्पहासः पुष्पों के हास (खिलने)के समान जिनका प्रपंचरूप से विकास होता है
953 प्रजागरः प्रकर्षरूप से जागने वाले हैं
954 ऊर्ध्वगः सबसे ऊपर हैं
955 सत्पथाचारः जो सत्पथ का आचरण करते हैं
956 प्राणदः जो मरे हुओं को जीवित कर सकते हैं
957 प्रणवः जिनके वाचक ॐ कार का नाम प्रणव है
958 पणः जो व्यवहार करने वाले हैं
pramāṇaṁ prāṇanilayaḥ prāṇabhṛt prāṇajīvanaḥ |
tattvaṁ tattvavidekātmā janmamṛtyujarātigaḥ || 103 ||
959 pramaanam He whose form is the Vedas
960 praananilayah He in whom all prana is established
961 praanibhrit He who rules over all pranas
962 praanajeevanah He who maintains the life-breath in all living creatures
963 tattvam The reality
964 tattvavit One who has realised the reality
965 ekaatmaa The one self
966 janma-mrityu-jaraatigah One who knows no birth, death or old age in Himself
959 प्रमाणम् जो स्वयं प्रमारूप हैं
960 प्राणनिलयः जिनमे प्राण अर्थात इन्द्रियां लीन होती है
961 प्राणभृत् जो अन्नरूप से प्राणों का पोषण करते हैं
962 प्राणजीवनः प्राण नामक वायु से प्राणियों को जीवित रखते हैं
963 तत्त्वम् तथ्य, अमृत, सत्य ये सब शब्द जिनके वाचक हैं
964 तत्त्वविद् तत्व अर्थात स्वरुप को यथावत जानने वाले हैं
965 एकात्मा जो एक आत्मा हैं
966 जन्ममृत्युजरातिगः जो न जन्म लेते हैं न मरते हैं
bhūrbhuvaḥsvastarustāraḥ savitā prapitāmahaḥ |
yajñō yajñapatiryajvā yajñāṅgō yajñavāhanaḥ || 104 ||
967 bhoor-bhuvah svas-taruh The tree of the three worlds (bhoo=terrestrial, svah=celestial and bhuvah=the world in between)
968 taarah One who helps all to cross over
969 savitaa The father of all
970 prapitaamahah The father of the father of beings (Brahma)
971 yajnah One whose very nature is yajna
972 yajnapatih The Lord of all yajnas
973 yajvaa The one who performs yajna
974 yajnaangah One whose limbs are the things employed in yajna
975 yajnavaahanah One who fulfils yajnas in complete
967 भूर्भुवःस्वस्तरुः भू,भुवः और स्वः जिनका सार है उनका होमादि करके प्रजा तरती है
968 तारः संसार सागर से तारने वाले हैं
969 सविताः सम्पूर्ण लोक के उत्पन्न करने वाले हैं
970 प्रपितामहः पितामह ब्रह्मा के भी पिता है
971 यज्ञः यज्ञरूप हैं
972 यज्ञपतिः यज्ञों के स्वामी हैं
973 यज्वा जो यजमान रूप से स्थित हैं
974 यज्ञांगः यज्ञ जिनके अंग हैं
975 यज्ञवाहनः फल हेतु यज्ञों का वहन करने वाले हैं
yajñabhṛdyajñakṛdyajñī yajñabhugyajñasādhanaḥ |
yajñāntakṛdyajñaguhyamannamannāda eva ca || 105 ||
976 yajnabhrid The ruler of the yajanas
977 yajnakrit One who performs yajna
978 yajnee Enjoyer of yajnas
979 yajnabhuk Receiver of all that is offered
980 yajnasaadhanah One who fulfils all yajnas
981 yajnaantakrit One who performs the concluding act of the yajna
982 yajnaguhyam The person to be realised by yajna
983 annam One who is food
984 annaadah One who eats the food
976 यज्ञभृद् यज्ञ को धारण कर उसकी रक्षा करने वाले हैं
977 यज्ञकृत् जगत के आरम्भ और अंत में यज्ञ करते हैं
978 यज्ञी अपने आराधनात्मक यज्ञों के शेषी हैं
979 यज्ञभुक् यज्ञ को भोगने वाले हैं
980 यज्ञसाधनः यज्ञ जिनकी प्राप्ति का साधन है
981 यज्ञान्तकृत् यज्ञ के फल की प्राप्ति कराने वाले हैं
982 यज्ञगुह्यम् यज्ञ द्वारा प्राप्त होने वाले
983 अन्नम् भूतों से खाये जाते हैं
984 अन्नादः अन्न को खाने वाले हैं
ātmayōniḥ svayaṁjātō vaikhānaḥ sāmagāyanaḥ |
devakīnandanaḥ sraṣṭā kṣitīśaḥ pāpanāśanaḥ || 106 ||
985 aatmayonih The uncaused cause
986 svayamjaatah Self-born
987 vaikhaanah The one who cut through the earth
988 saamagaayanah One who sings the sama songs; one who loves hearing saama chants;
989 devakee-nandanah Son of Devaki
990 srashtaa Creator
991 kshiteeshah The Lord of the earth
992 paapa-naashanah Destroyer of sin
985 आत्मयोनिः आत्मा ही योनि है इसलिए वे आत्मयोनि है
986 स्वयंजातः निमित्त कारण भी वही हैं
987 वैखानः जिन्होंने वराह रूप धारण करके पृथ्वी को खोदा था
988 सामगायनः सामगान करने वाले है
989 देवकीनन्दनः देवकी के पुत्र
990 स्रष्टा सम्पूर्ण लोकों के रचयिता हैं
991 क्षितीशः क्षिति अर्थात पृथ्वी के ईश (स्वामी) हैं
992 पापनाशनः पापों का नाश करने वाले हैं
śaṅkhabhṛnnandakī cakrī śārṅgadhanvā gadādharaḥ |
rathāṅgapāṇirakṣōbhyaḥ sarvapraharaṇāyudhaḥ || 107 ||
993 samkha-bhrit One who has the divine Pancajanya
994 nandakee One who holds the Nandaka sword
995 chakree Carrier of Sudarsana
996 shaarnga-dhanvaa One who aims His shaarnga bow
997 gadaadharah Carrier of Kaumodaki club
998 rathaanga-paanih One who has the wheel of a chariot as His weapon; One with the strings of the chariot in his hands;
999 akshobhyah One who cannot be annoyed by anyone
1000 sarva-praharanaayudhah He who has all implements for all kinds of assault and fight
993 शंखभृत् जिन्होंने पांचजन्य नामक शंख धारण किया हुआ है
994 नन्दकी जिनके पास विद्यामय नामक खडग है
995 चक्री जिनकी आज्ञा से संसारचक्र चल रहा है
996 शार्ङ्गधन्वा जिन्होंने शारंग नामक धनुष धारण किया है
997 गदाधरः जिन्होंने कौमोदकी नामक गदा धारण किया हुआ है
998 रथांगपाणिः जिनके हाथ में रथांग अर्थात चक्र है
999 अक्षोभ्यः जिन्हे क्षोभित नहीं किया जा सकता
1000 सर्वप्रहरणायुधः प्रहार करने वाली सभी वस्तुएं जिनके आयुध हैं
vanamālī gadī śārṅgī śaṅkhī cakrī ca nandakī |
śrīmān nārāyaṇō viṣṇurvāsudevōbhirakṣatu || 108 ||(Chant this shloka 3 times)
Protect us Oh Lord Narayana
Who wears the forest garland,
Who has the mace, conch, sword and the wheel.
And who is called Vishnu and the Vasudeva.
हे भगवान् नारायण हमारी रक्षा कीजिये
वही विष्णु भगवान् जिन्होंने वनमाला पहनी है
जिन्होंने गदा, शंख, खडग और चक्र धारण किया हुआ है
वही विष्णु हैं और वही वासुदेव हैं
Phala Shruti
फल श्रुति
Vasudevaitīdaṁ kīrtanīyasya keśavasya mahātmanaḥ |
nāmnāṁ sahasraṁ divyānāmaśeṣeṇa prakīrtitam || 1 ||
Thus was told,
All the holy thousand names,
Of Kesava who is great.
भीष्म बोले
इस प्रकार विष्णु जी के सहस्र नाम होते हैं
ya idaṁ śṛṇuyānnityaṁ yaścāpi parikīrtayet |
nāśubhaṁ prāpnuyāt kiñcit sōmutreha ca mānavaḥ || 2 ||
He who hears or sings,
It all without fail,
In all days of the year,
Will never get in to bad,
In this life and after.
जो सदा नियमित होकर इसका पाठ सुनता है या जपता है
उसे जीवन में और मृत्यु के बाद भी कभी अशुभता नहीं देखनी पड़ती
vedāntagō brāhmaṇaḥ syāt kṣatriyō vijayī bhavet |
vaiśyō dhanasamṛddhaḥ syāt śūdrassukhamavāpnuyāt || 3 ||
The Brahmin will get knowledge,
The kshatriya will get victory,
The vaisya will get wealth,
The shudra will get pleasures,
By reading these.
सहस्रनाम का श्रवण करने से
ब्राह्मण विद्या पाता है,
क्षत्रिय विजय पाता है, वैश्य धन पाता है और
शूद्र सुख पाता है।
dharmārthī prāpnuyāddharmam arthārthī cārthamāpnuyāt |
kāmānavāpnuyāt kāmī prajārthī cāpnuyāt prajām || 4 ||
He who seeks Dharma,
He who seeks wealth,
He who seeks pleasures,
He who seeks children,
Will all without fail,
Get what they want.
सहस्रनाम का पाठ करने से
जिसे धर्म चाहिए उसे धर्म मिलता है,
जिसे धन चाहिए उसे धन मिलता है,
जिसे सुख चाहिए उसे सुख मिलता है,
जिसे संतान चाहिए उसे संतान मिलती है।
bhaktimān yaḥ sadōtthāya śucistadgatamānasaḥ |
sahasraṁ vāsudevasya nāmnāmetat prakīrtayet || 5 ||
yaśaḥ prāpnōti vipulaṁ yāti prādhānyameva ca |
acalāṁ śriyamāpnōti śreyaḥ prāpnōtyanuttamam || 6 ||
na bhayaṁ kvacidāpnōti vīryaṁ tejaśca viṁdati |
bhavatyarōgō dyutimān balarūpaguṇānvitaḥ || 7 ||
rōgārtō mucyate rōgādbaddhō mucyeta bandhanāt |
bhayānmucyeta bhītastu mucyetāpanna āpadaḥ || 8 ||
He who sings the thousand names of Vasudeva,
With utmost devotion,
After he rises in the morn,
With a mind tied in Him always,
Will get fame without fail,
Will be first in what he does,
Will get riches that last,
Would attain salvation from these bonds,
Will never be afraid of anything,
Will be bubbling with vim and valour,
Will not get any ills,
Will be handsome forever,
Will have all the virtues in this wide world,
And he who is ill will get cured,
He who is bound will be free,
He who is afraid, will get rid of fear,
He who is in danger, will be safe.
जो वासुदेव अर्थात विष्णु के 1000 नामों का भजन रोज़ सुबह करता है
और जिसका मन सहस्रनाम करते हुए लगातार भगवान् विष्णु में लगा रहता है
उसे प्रसिद्धि मिलती है, वह हर जगह सबसे आगे रहता है, वह धनवान बनता है
उसे मोक्ष मिलता है, उसे किसी का डर नहीं रहेगा, उसकी कीर्ति पताका फहराने लगेगी
वह बीमार नहीं पड़ेगा, वह हमेशा ही स्वस्थ और सुन्दर दिखेगा,
उसके पास सब भौतिक सुविधाएं रहेंगी, जो बीमार है वह स्वस्थ हो जायेगा
जो बंधन में है वो स्वतंत्र हो जायेगा, जो भय में है उसका भय दूर होगा
और जो खतरे में है वो सुरक्षित हो जायेगा।
durgāṇyatitaratyāśu puruṣaḥ puruṣōttamam |
stuvannāmasahasreṇa nityaṁ bhaktisamanvitaḥ || 9 ||
He who chants these holy thousand names,
With devotion to Purushottama,
Will cross the miseries,
That cannot be crossed
Without fail.
जो पुरुषोत्तम में पूरी श्रद्धा रखकर सहस्रनाम का पाठ करता है,
वह अत्यंत दुष्कर दुखों को भी पार कर जाएगा।
vāsudevāśrayō martyō vāsudevaparāyaṇaḥ |
sarvapāpaviśuddhātmā yāti brahma sanātanam || 10 ||
The man who nears Vasudeva,
The man who takes Him as shelter,
Would get rid of all sins,
And become purer than the pure,
And will reach Brahmam,
Which existed forever.
जो व्यक्ति वासुदेव जी की शरण में आता है और उनके निकट रहता है,
उसके सभी पाप धुल जाते हैं, वह अत्यंत शुद्ध हो जाता है
और परमब्रह्म तक पहुंच जाता है।
na vāsudevabhaktānāmaśubhaṁ vidyate kvacit |
janmamṛtyujarāvyādhibhayaṁ naivōpajāyate || 11 ||
The devotees of Vasudeva the great,
Never fall into days that are difficult,
And never forever suffer,
Of birth, death, old age and fear.
वासुदेव के भक्तों पर कभी भी मुश्किल दिन नहीं आते
और वे कभी भी जीवन,मृत्यु, वृद्धावस्था और भय के दुखों को नहीं झेलते।
imaṁ stavamadhīyānaḥ śraddhābhaktisamanvitaḥ |
yujyetātmāsukhakṣāmtiśrīdhṛtismṛtikīrtibhiḥ || 12 ||
He who sings these names with devotion,
And with Bhakthi,
Will get pleasure the great,
Patience to allure,
Wealth to attract,
Bravery and memory to excel.
जो इन नामों को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ जाता है
वह परम सुख पाता है, धैर्य, स्मृति और कीर्ति पाता है।
na krōdhō na ca mātsaryaṁ na lōbhō nāśubhā matiḥ |
bhavanti kṛtapuṇyānāṁ bhaktānāṁ puruṣōttame || 13 ||
The devotee of the Lord Purushottama,
Has neither anger nor fear,
Nor avarice and nor bad thoughts.
पुरुषोत्तम भगवान् के भक्तों को क्रोध, लोभ और अशुभ बुद्धि नहीं होती।
dyaussacandrārkanakṣatrā khaṁ diśō bhūrmahōdadhiḥ |
vāsudevasya vīryeṇa vidhṛtāni mahātmanaḥ || 14 ||
All this world of sun and stars,
Moon and sky, Sea and the directions,
Are but borne by valour the great,
Of the great god Vasudeva.
चन्द्रमा, सूर्य और नक्षत्रों के सहित आकाश, दिशाएँ तथा समुद्र ये सब वासुदेव जी के वीर्य
से ही धारण किये गए हैं।
sasurāsuragandharvaṁ sayakṣōragarākṣasam |
jagadvaśe vartatedaṁ kṛṣṇasya sacarācaram || 15 ||
All this world,
Which moves and moves not,
And which has devas, rakshasas and Gandharwas,
And also asuras and nagas,
Is with Lord Krishna without fail.
देवता, असुर, गन्धर्व, यक्ष, सर्प और राक्षसों के सहित यह सम्पूर्ण जगत श्रीकृष्ण के ही वशवर्ती हैं।
indriyāṇi manō buddhiḥ sattvaṁ tejō balaṁ dhṛtiḥ |
vāsudevātmakānyāhuḥ, kṣetraṁ kṣetrajña eva ca || 16 ||
The learned ones say,
That all the limbs,
Mind, wisdom, and thought,
And also strength, bravery, body and the soul,
Are full of Vasudeva.
इन्द्रियां, मन, बुद्धि, अंतःकरण, तेज, बल, क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ इन सबको वासुदेवरूप ही कहा है।
sarvāgamānāmācāraḥ prathamaṁ parikalypate |
ācāraprabhavō dharmō dharmasya prabhuracyutaḥ || 17 ||
Rule of life was first born
And from it came Dharma,
And from it came Achyutha the Lord.
सब शास्त्रों में सबसे पहले आचार ही की कल्पना होती है, आचार से ही धर्म होता है, और धर्म के प्रभु श्रीअच्युत ही हैं।
ṛṣayaḥ pitarō devā mahābhūtāni dhātavaḥ |
jaṅgamājaṅgamaṁ cedaṁ jagannārāyaṇōdbhavam || 18 ||
All the sages,
All the ancestors,
All the devas,
All the five elements,
All the pleasures,
All the luck,
All that moves,
All that does not move,
All came only,
From the great Narayana.
ऋषि, पितर, देवता, महाभूत, धातुएँ और ये चराचर जगत नारायण से ही उत्पन्न हुए हैं।
yōgō jñānaṁ tathā sāṁkhyaṁ vidyāḥ śilpādikarma ca |
vedāśśāstrāṇi vijñānametatsarvaṁ janārdanāt || 19 ||
The art of Yoga
And the science of Sankhya.
The treasure of knowledge.
The divine art of sculpture.
And all Vedas and sciences,
All these came from Janardhana.
योग, ज्ञान तथा सांख्यादि विद्याएँ, शिल्पादि कर्म एवं वेद, शास्त्र और विज्ञान ये सब शृजनार्दन से ही हुए हैं।
ekō viṣṇurmahadbhūtaṁ pṛthagbhūtānyanekaśaḥ |
trīn–lōkānvyāpya bhūtātmā bhuṅkte viśvabhugavyayaḥ || 20 ||
Vishnu is many,
But He is one,
And he divides himself,
And exists in all beings,
That is in three worlds,
And rules all of them,
Without death and decay.
एकमात्र विष्णुभगवान ही महत्स्वरूप हैं, वह सर्वभूतात्मा विश्वभोक्ता अविनाशी प्रभु ही तीनों लोकों को व्याप्तकर नाना भूतों को तरह तरह से भोगते हैं।
imaṁ stavaṁ bhagavatō viṣṇōrvyāsena kīrtitam |
paṭhedya icchetpuruṣaḥ śreyaḥ prāptuṁ sukhāni ca || 21 ||
He who desires fame and pleasure,
Should chant these verses, sung by Vyasa,
Of this great stotra of Vishnu without fail.
जिस पुरुष को कल्याण और सुख पाने की इच्छा हो वह श्रीव्यास जी के कहे हुए भगवान् विष्णु के इस स्तोत्र का पाठ करे।
viśveśvaramajaṁ devaṁ jagataḥ prabhavāpyayam |
bhajanti ye puṣkarākṣaṁ na te yānti parābhavam || 22 ||
|| na tē yāṁti parābhavam ōṁ nama iti ||
He will never fail,
Who sings the praise of the Lord,
Of this universe,
Who does not have birth,
Who is always stable,
And who shines and sparkles,
And has lotus eyes.
Om Nama He will not fail.
जो मनुष्य विश्वेश्वर, अजन्मा और संसार की उत्पत्ति तथा लय के स्थान देवदेव पुण्डरीकाक्ष को भजते हैं उनका कभी पराभव नहीं होता।
arjuna uvāca
padmapatra viśālākṣa padmanābha surōttama |
bhaktānāmanuraktānāṁ trātā bhava janārdana || 23 ||
Arjuna said:
Oh God Who has eyes,
Like the petals of lotus,
Oh God, Who has a lotus,
On his stomach,
Oh God, Who has eyes,
Seeing all things,
Oh God, Who is the Lord,
Of all devas,
Please be kind,
And be shelter,To all your devotees,
Who come to you with love.
अर्जुन ने कहा
हे कमल की पंखुड़ियों के समान नेत्रों वाले भगवान्
हे भगवान् जिनके उदर पर कमल पुष्प है
हे भगवान् जिनके नेत्र सर्वत्र देखने वाले हैं
हे भगवान् जो सभी देवों के देव हैं
कृपया उन सभी भक्तों को जो आपकी शरण में बड़े प्रेम से आते हैं उनपर आप दया दृष्टि रखें।
śrī bhagavānuvāca
yō māṁ nāmasahasrēṇa stōtumicchati pāṁḍava |
sōhamēkēna ślōkēna stuta ēva na saṁśayaḥ || 24 ||
|| stuta ēva na saṁśaya ōṁ nama iti ||
The Lord said:
He who likes, Oh Arjuna,
To sing my praise,
Using these thousand names,
Should know Arjuna ,
That I would be satisfied,
By his singing of,
Even one stanza ,
Without any doubt.
Om Nama without any doubt.
भगवान् ने कहा
हे अर्जुन ! जो इस सहस्रनाम द्वारा मेरे गीत गाता है उसे यह पता होना चाहिए की मैं तो केवल इसके एक श्लोक से ही प्रसन्न हो जाता हूँ।
vyāsa uvāca
vāsanādvāsudēvasya vāsitaṁ tē jagatrayam |
sarvabhūtanivāsōsi vāsudēva namōstu tē || 25 ||
|| śrīvāsudēva namōstuta ōṁ nama iti ||
Vyasa said:
My salutations to you Vasudeva,
Because you who live in all the worlds,
Make these worlds as places ,
Where beings live,
And also Vasudeva,
You live in all beings,
As their soul.
Om Nama salutations to Vasudeva.
व्यास जी ने कहा
उन वासुदेव जी को जो सभी लोकों में रहते हैं, इन लोकों को जीवों के रहने योग्य बनाते हैं और वो जो सब जीवों में जीवात्मा बनकर रहते हैं उन्हें मेरा बारम्बार प्रणाम है।
pārvatyuvāca
kēnōpāyēna laghunā viṣṇōrnāmasahasrakam |
paṭhyatē paṁḍitairnityaṁ śrōtumicchāmyahaṁ prabhō || 26 ||
Parvathi said:
I am desirous to know oh Lord,
How the scholars of this world,
Will chant without fail,
These thousand names,
By a method that is easy and quick.
पार्वती ने कहा
हे प्रभु ! मैं यह जानने के लिए तत्पर हूँ की इस संसार के बुद्धिमान मनुष्य सहस्रनामों को नित्य ही किस विधि से करेंगे जो आसान हो।
īśvara uvāca
rīrāma rāma rāmēti ramē rāmē manōramē |
sahasranāmatattulyaṁ rāmanāma varānanē || 27 || (Chant this shloka 3 times)
|| śrī rāmanāma varānana ōṁ nama iti ||
Lord Shiva said:
Hey beautiful one,
I play with Rama always,
By chanting Rama Rama and Rama,
Hey lady with a beautiful face,
Chanting of the name Rama ,
Is same as the thousand names.
Om Nama Rama Nama Rama.
भगवान् ने कहा
भगवान् राम का नाम ही इन सहस्र नामों के बराबर है
brahmōvāca
namōstvanaṁtāya sahasramūrtayē
sahasrapādākṣiśirōrubāhavē |
sahasranāmnē puruṣāya śāśvatē
sahasrakōṭiyugadhāriṇē namaḥ || 28 ||
|| sahasrakōṭiyugadhāriṇē nama ōṁ nama iti ||
Brahma said:
Salutations to thee oh lord,
Who runs the immeasurable time,
Of thousand crore yugas,
Who has no end,
Who has thousand names,
Who has thousand forms,
Who has thousand feet,
Who has thousand eyes,
Who has thousand heads,
Who has thousand arms,
And Who is always there.
Om Nama He who runs thousand crore yugas.
ब्रह्माजी ने कहा
उन प्रभु को प्रणाम है जिनका कोई अंत नहीं है
जिनके सहस्र नाम हैं
जिनके सहस्र रूप हैं
जिनके सहस्र पैर हैं
जिनके सहस्र नेत्र हैं
जिनके सहस्र सिर हैं
जिनकी सहस्र भुजाएं हैं
और जो सदा हैं
sanjaya uvāca
yatra yōgēśvaraḥ kr̥ṣṇō yatra pārthō dhanurdharaḥ |
tatra śrīrvijayō bhūtirdhruvā nītirmatirmama || 29 ||
Sanjaya said:
Where Krisna, the king of Yogas,
And where the wielder of bow,
Arjuna is there,
There will exist all the good,
All the the victory,
All the fame ,
And all the justice.
In this world.
संजय ने कहा
जहाँ योगेश्वर कृष्ण और धनुर्धर अर्जुन हैं वहां सब शुभ हैं, वहां विजय है, वहां कीर्ति है और न्याय है।
śrībhagavānuvāca
ananyāściṁtayaṁtō māṁ yē janāḥ paryupāsatē |
tēṣāṁ nityābhiyuktānāṁ yōgakṣēmaṁ vahāmyaham || 30 ||
paritrāṇāya sādhūnāṁ vināśāya ca duṣkr̥tām |
dharmasaṁsthāpanārthāya saṁbhavāmi yugē yugē || 31 ||
ārtā viṣaṇṇāḥ śithilāśca bhītāḥ
ghōrēṣu ca vyādhiṣu vartamānāḥ |
saṁkīrtya nārāyaṇaśabdamātraṁ
vimuktaduḥkhāḥ sukhinō bhavaṁti || 32 ||
Sri Bhagavan said:
I would take care,
Of worries and cares of Him,
Who thinks and serves me ,
Without any other Thoughts,
To take care of Dharma,
To protect those who are good,
And to destroy all who are bad.
I will be born from time to time.
If he who is worried,
If he who is sad,
If he who is broken,
If he who is afraid,
If he who is severely ill,
If he who has heard tidings bad,
Sings Narayana and Narayana,
All his cares would be taken care of.
भगवान् ने कहा
जो बिना कुछ और सोचे सिर्फ मेरे बारे है और मेरी सेवा करता है मैं उसकी सब चिंताएं मिटा देता हूँ। धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए मैं जन्म लेता रहूँगा। अगर कोई उदास है, चिंतित है, दुखी है, भयभीत है, अत्यधिक बीमार है वह अगर नारायण नारायण का गीत गा ले तो मैं उसकी सारी समस्याओं का निराकरण कर दूंगा।
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Gaurav Malhotra
Wonderful job
ReplyDeleteThanks Saurabh ji
DeleteI am grateful to you for such explanations which are easy to understand.
DeleteMy pranam to you and thanks.
Truly Commendable Gaurav ji
ReplyDeleteWhat you have published today is not easy .... Its a looooot of research and hard work
It was indeed lot of hard work and research. Thanks for recognizing my effort :)
DeleteNamaste Guruji
ReplyDeleteThanku for such a wonderful blog
U r really a divine soul always
Working on the welfare of we people
Many thanks for your kind and encouraging words.
DeleteMany many thanks sir. I have one doubt. Can I get chant the Hindi 1000 names of Vishnu instead of the shlokas because my Sanskrit is not good and I do lot of mistakes in pronouncing Sanskrit words. But the Hindi words are easier to say
ReplyDeleteYes you can chant 1000 names as well
DeleteThank you so much sir...for your hard work and helping us...
ReplyDeleteShould I buy a camera for my girlfriend even if she's already have one?
ReplyDeleteDo not waste you money on another camera for her, especially not
a "tiny Polaroid camera". Ask her what accessories she might want for
the good camera she already has. What you "don't like" might be just the thing she could be begging for.
And make sure that whatever you buy suits her... show more No because she knows what she wants and you don't.
Ask her what she would like instead. You could get her
some large picture frames of A3 upwards plus some memory cards.
Take her out for a slap up meal instead
बहुत सुन्दर, बहुत अच्छी तरह विस्तृत व्याख्या की गई है। पढ़कर और सुनकर मन को बहुत शांति मिलती है. जय श्री हरी...... ॐ नमो नारायणा.... जय श्री कृष्णा।।
ReplyDeleteThank you so much for such detail translation.
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteSir itni saralta se samjhaane ke liye aapka teh dil se shukriya aur Vishnu aap par hamesha kripa barsaaye
ReplyDeleteKahena bahut kuch hai.... Shabd nai mil rahe.... Dilse THANK YOU.... bhai..
ReplyDeleteWhat an easy, understanding and simple translation of bhagwan shri Vishu shahstranam strotra. Wonderful.
ReplyDeleteThanks you
Hello sir, is there any link to download.
ReplyDeleteThanks
Thank you so much. You have done a great great job.
ReplyDeleteThanks for the meanings sir.
ReplyDeleteWonderful only dhyaan sloka missing
ReplyDeleteThe meaning so easily explained in hindi
ReplyDeleteThank you, I read it every day and immense joy fills my soul. Some time ago I had losses of money in my job. For the time of reading this sacred text, I was able to earn the money that I lost.
ReplyDeleteI feel so much bliss and joy that I am like a drunk person, after days of depression and fear
ReplyDeleteI grow flowers. Some time ago they were not good, some died, others didn't grow and didn't bloom, flowers without flowers. I don't know why, because I use all good things to care of them. After I started chanting 1000 names of God Vishnu, they started to grow very well, big lush leaves. Now I see buds coming. The flowers that were dying are getting better now, I see new leaves growing.
ReplyDeleteWe are blessed to know and hear about HIM and HIS 1000 names through you, Guruji. I pray to HIM to bless you for bringing us nearer to HIM
ReplyDeleteThanks a lotfor this great work and immense effort. You have done the biggest PUNYA. 🙏🙏
ReplyDeleteThank You .
ReplyDeleteBro great job loved to read this
ReplyDeleteBeautiful explanation of vishnu Sahasnaam!👍👍
ReplyDelete