Introduction: Tuberculosis, commonly known as TB, is a bacterial infection that can spread through the lymph nodes and bloodstream to any organ in your body. It is most often found in the lungs. Most people who are exposed to TB never develop symptoms because the bacteria can live in an inactive form in the body.
Symptoms
as per the ancient literatures: The following symptoms may differ up to some extent from the modern
medicine. I am just quoting here what the ancient Ayurveda scriptures
mention:
Asthmatic
breathing, tired body, flowing phlegm, feeling of heat on top of head,
vomiting, weak digestion, clogged nose, cough, sleepiness, weak
digestion, anemic eyes, craving for meat and sex, dreams featuring
trouble from crow, parrot, sparrow, peacock, eagle, money, dry river
beds, dried up tress, ravaged by smoke and forest fire. Dysentery and
blood in sputum.
T.B. can be caused by disharmony of the vital humors of Vata, Pitta or Kapha.
T.B.
Caused by disharmoney of the vital humor of Vata: Change in voice, pain
in chest, cramps in shoulders and sides of rib cage.
T.B. Caused by disharmoney of the vital humor of Pitta: Fever, thirst, Dysentery and blood in the sputum.
T.B.
Caused by disharmoney of the vital humor of Kapha: Heavy head, loss of
appetite, vomiting, asthmatic breathing and a choked throat.
Astrological combinations of Tuberculosis: Lungs and respiratory system are ruled by Mercury; 4th house and Gemini and Cancer signs so whenever there is any evil influence on these by any strong malefic planet, it may make the person prone to T.B.
Beneficial diet and ayurvedic medicines:
Red Rice |
Whole Moong Daal |
Red rice and whole moong daal are considered very beneficial food for a T.B. patient.
Dhanadanayanadi kashayam made from many things including coriander seeds and many other herbs is very effective in TB which is accompanied by pain on the sides of rib cage, Asthma, cough and Sinusitis.
I have found many websites which sell it online. One of the websites is mentioned below
http://www.swasthyashopee.com/Products/Brands-vaidyaratnam/vaidyaratnam/Vaidyaratnam-Dhanadanayanadi-Kashayam/pid-6508382.aspx
Dhanadanayanadi kashayam |
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Ashwagandha: This herb is very effective in mitigating T.B. Water decoction of the herb can be taken daily for complete benefit. Alternatively, it can also be taken in powder or tablet form. It should be taken with milk to get more benefit. Pure cow ghee (clarified butter) decoction of Ashwagandha powder taken in the morning with Mishri (rock sugar), followed by milk cures TB, Asthma and Anemia.
Please refer following video to know how to make the Ashwagandha Ghee which is a good immune booster as well.
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Eladi Ghritam when taken with milk improves memory, clear and brightens the eyes, bestow long life, cures T.B., Jaundice, Fistula, Breathing problems, distorted voice, heart ailments, problems of spleen etc.
I found one website on the internet which sells this ghee/ghritam. I have copied the link of the website below for readers' convenience.
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Gau Mootra (Cow Urine) is also one of the best remedies for T.B.
Karmas which cause TB: Killing a noble person in previous birth, the one who is greedy and grabs property belonging to others, who is envious of others' progress.
Propitiating measures as per shastras (ancient scriptures):
Miscellaneous Remedies: Apart from the above propitiating measures, mantras of Mercury should be recited daily and Emerald can be worn if it suits the patient.
2 mukhi and 12 mukhi Rudrakshas, if worn, prove to be beneficial.
क्षय रोग जिसे टी. बी. भी कहा जाता है मूलतः एक जीवाणु की वजह से फैलता है जो बहुत व्यक्तियों के फेफड़ों में सुप्त अवस्था में पाया जाता है ।
शास्त्रानुसार क्षय रोग के लक्षण: नीचे दिए गए लक्षण आधुनिक मेडिकल साइंस द्वारा दिए गए लक्षणों से कुछ हद तक भिन्न हो सकते हैं । मैं केवल वही लिख रहा हूँ जो पुराणो ग्रंथों में लिखा गया है ।
सांस लेने में कठिनाई होना और दमे के रोगी जैसी सांस आना, शरीर में थकान, बलगम बहना, सर के ऊपर गर्माहट महसूस होना, उल्टियाँ, पाचन शक्ति कमज़ोर होना, नाक बंद, खांसी, नींद न आना, सम्भोग और मांस की तलब महसूस होना, कौवे, तोते, चिड़िया, मोर, चील, सूखी हुई नदी, जंगली आग और धुएं के सपने आना, दस्त और थूक में खून आना ।
क्षय रोग वात, पित्त या कफ के अनियमितता से हो सकता है ।
ऐसा क्षय रोग जो वात विकार के वजह से हो उसमे आवाज़ बदल जाती है, छाती में दर्द रहता है, कन्धों और पसलियों के आस पास ऐंठन रहती है ।
ऐसा क्षय रोग जो पित्त विकार की वजह से होता है उसमे बुखार होता है, प्यास लगती है, हैज़ा और थूक में खून आता है ।
ऐसा क्षय रोग जो कफ विकार की वजह से होता है उसमे सर भारी रहता है, भूख मर जाती है, उल्टियाँ आती हैं, सांस रुक रुक कर आती है और गला घुटा घुटा सा रहता है ।
ज्योतिषीय योग क्षय रोग के लिए: फेफड़े और श्वास तंत्र पर बुध, चतुर्थ भाव, मिथुन और कर्क राशि का स्वामित्व है । इन सभी पर या इनमे से अधिकतर पर अगर काफी ज़्यादा दुष्प्रभाव हो पाप ग्रहों का तो ऐसे जातक को क्षय रोग से सावधान रहना चाहिए ।
क्षय रोग में लाभदायक खुराक और आयुर्वेदिक दवाएं:
लाल चावल और साबुत मूंग की दाल क्षय रोग में खाने सबसे अधिक लाभदायक है ।
धनदानयनादि कश्यम :
इसमें धनिये के बीजों के साथ साथ बहुत सारी जड़ी बूटियां डलती हैं और यह ऐसे क्षय रोग में बहुत प्रभावी है जिसमे पसलियों में दर्द, दमा, खांसी और साइनस रहता हो । मुझे ऐसी कई साइट्स मिली हैं जो इसे बेचती हैं, जिनमे से एक का लिंक में नीचे दे रहा हूँ ।
http://www.swasthyashopee.com/Products/Brands-vaidyaratnam/vaidyaratnam/Vaidyaratnam-Dhanadanayanadi-Kashayam/pid-6508382.aspx
अश्वगंधा: यह जड़ी बूटी क्षय रोग को समाप्त करने में बहुत प्रभावी है । पानी में इसका क्वाथ बनाकर रोज़ लिया जाना चाहिए । इसे पाउडर या गोली के रूप में भी लिया जा सकता है । दूध के साथ लेने से ज़्यादा फायदा करता है ।
अगर गाय के घी में अश्वगंधा का क्वाथ बनाकर सुबह मिश्री साथ लिया जाए और ऊपर से दूध पीया जाए तो क्षय रोग, दमा और खून की कमी जैसी बीमारियों का नाश होता है ।
अश्वगंधा घी कैसे बनाया जाता है ये जानने के लिए नीचे दिया हुआ वीडियो देखिये ।
एलादि घृतम: जड़ी बूटियों को घी से मिलाकर यह घी बनाया जाता है । इसे रोज़ लेने से स्मृति मज़बूत होती है, आँखें साफ़ होती हैं और उनमे चमक आती है, आयु लम्बी होती है, क्षय रोग समाप्त होता है, पीलिया, फिस्टुला, सांस सम्बन्धी मुश्किलें, खराब आवाज़, ह्रदय रोग इत्यादि ठीक हो जाते हैं । नीचे दी हुई वेबसाइट से इसे खरीदा जा सकता है ।
http://ayurvedacart.in/eladi-ghrita
क्षय रोग पूर्व जन्म के किन कर्मों की वजह से होता है : किसी भले व्यक्ति को मारने से, जो लालची होता है और दूसरों की संपत्ति पर कब्ज़ा करता है और दूसरों की तरक्की से जलता है।
क्षय रोग शान्ति के उपाय शास्त्रानुसार:
मिश्रित उपाय : ऊपर दिए हुए उपायों के अलावा पन्ना पहनना (अगर जातक को सूट करता हो तो ) और बुध के मन्त्रों का जाप करना भी बहुत फायदा देता है क्षय रोग में ।
दो मुखी और बारह मुखी रुद्राक्ष यदि पहने जाएँ तो काफी फायदा करते हैं ।
- 24 (or as per your capacity) deserving persons (poor or beggars) should be fed.
- Gifting of gold replica (if you can't afford then copper or silver can be used) of a banana plant to a respectable, learned, selfless and duty-conscious Brahman is beneficial.
- Brahmaand Puraan prescribes a replica of patient (in gold or silver) to be gifted (to an honest and learned Brahmin) for mitigating TB with complications.
- Mental repetition of the mantra "Yemaam Roga Prabhaadadhe" is advocated.
Miscellaneous Remedies: Apart from the above propitiating measures, mantras of Mercury should be recited daily and Emerald can be worn if it suits the patient.
2 mukhi and 12 mukhi Rudrakshas, if worn, prove to be beneficial.
क्षय रोग जिसे टी. बी. भी कहा जाता है मूलतः एक जीवाणु की वजह से फैलता है जो बहुत व्यक्तियों के फेफड़ों में सुप्त अवस्था में पाया जाता है ।
शास्त्रानुसार क्षय रोग के लक्षण: नीचे दिए गए लक्षण आधुनिक मेडिकल साइंस द्वारा दिए गए लक्षणों से कुछ हद तक भिन्न हो सकते हैं । मैं केवल वही लिख रहा हूँ जो पुराणो ग्रंथों में लिखा गया है ।
सांस लेने में कठिनाई होना और दमे के रोगी जैसी सांस आना, शरीर में थकान, बलगम बहना, सर के ऊपर गर्माहट महसूस होना, उल्टियाँ, पाचन शक्ति कमज़ोर होना, नाक बंद, खांसी, नींद न आना, सम्भोग और मांस की तलब महसूस होना, कौवे, तोते, चिड़िया, मोर, चील, सूखी हुई नदी, जंगली आग और धुएं के सपने आना, दस्त और थूक में खून आना ।
क्षय रोग वात, पित्त या कफ के अनियमितता से हो सकता है ।
ऐसा क्षय रोग जो वात विकार के वजह से हो उसमे आवाज़ बदल जाती है, छाती में दर्द रहता है, कन्धों और पसलियों के आस पास ऐंठन रहती है ।
ऐसा क्षय रोग जो पित्त विकार की वजह से होता है उसमे बुखार होता है, प्यास लगती है, हैज़ा और थूक में खून आता है ।
ऐसा क्षय रोग जो कफ विकार की वजह से होता है उसमे सर भारी रहता है, भूख मर जाती है, उल्टियाँ आती हैं, सांस रुक रुक कर आती है और गला घुटा घुटा सा रहता है ।
ज्योतिषीय योग क्षय रोग के लिए: फेफड़े और श्वास तंत्र पर बुध, चतुर्थ भाव, मिथुन और कर्क राशि का स्वामित्व है । इन सभी पर या इनमे से अधिकतर पर अगर काफी ज़्यादा दुष्प्रभाव हो पाप ग्रहों का तो ऐसे जातक को क्षय रोग से सावधान रहना चाहिए ।
क्षय रोग में लाभदायक खुराक और आयुर्वेदिक दवाएं:
मूंग साबुत दाल |
लाल चावल |
लाल चावल और साबुत मूंग की दाल क्षय रोग में खाने सबसे अधिक लाभदायक है ।
धनदानयनादि कश्यम :
धनदानयनादि कश्यम |
इसमें धनिये के बीजों के साथ साथ बहुत सारी जड़ी बूटियां डलती हैं और यह ऐसे क्षय रोग में बहुत प्रभावी है जिसमे पसलियों में दर्द, दमा, खांसी और साइनस रहता हो । मुझे ऐसी कई साइट्स मिली हैं जो इसे बेचती हैं, जिनमे से एक का लिंक में नीचे दे रहा हूँ ।
http://www.swasthyashopee.com/Products/Brands-vaidyaratnam/vaidyaratnam/Vaidyaratnam-Dhanadanayanadi-Kashayam/pid-6508382.aspx
अश्वगंधा: यह जड़ी बूटी क्षय रोग को समाप्त करने में बहुत प्रभावी है । पानी में इसका क्वाथ बनाकर रोज़ लिया जाना चाहिए । इसे पाउडर या गोली के रूप में भी लिया जा सकता है । दूध के साथ लेने से ज़्यादा फायदा करता है ।
अगर गाय के घी में अश्वगंधा का क्वाथ बनाकर सुबह मिश्री साथ लिया जाए और ऊपर से दूध पीया जाए तो क्षय रोग, दमा और खून की कमी जैसी बीमारियों का नाश होता है ।
अश्वगंधा घी कैसे बनाया जाता है ये जानने के लिए नीचे दिया हुआ वीडियो देखिये ।
एलादि घृतम: जड़ी बूटियों को घी से मिलाकर यह घी बनाया जाता है । इसे रोज़ लेने से स्मृति मज़बूत होती है, आँखें साफ़ होती हैं और उनमे चमक आती है, आयु लम्बी होती है, क्षय रोग समाप्त होता है, पीलिया, फिस्टुला, सांस सम्बन्धी मुश्किलें, खराब आवाज़, ह्रदय रोग इत्यादि ठीक हो जाते हैं । नीचे दी हुई वेबसाइट से इसे खरीदा जा सकता है ।
http://ayurvedacart.in/eladi-ghrita
क्षय रोग पूर्व जन्म के किन कर्मों की वजह से होता है : किसी भले व्यक्ति को मारने से, जो लालची होता है और दूसरों की संपत्ति पर कब्ज़ा करता है और दूसरों की तरक्की से जलता है।
क्षय रोग शान्ति के उपाय शास्त्रानुसार:
- 24 (या फिर सामर्थ्य अनुसार) गरीब व्यक्तियों को खाना खिलाना
- एक भले, ईमानदार, विद्वान और निःस्वार्थ ब्राह्मण को केले के पौधे की सोने में बनी हुई प्रतिमा दान करना ।
- ब्रह्माण्ड पुराण कहता है की रोगी की सोने या चांदी में बनी हुई प्रतिमा दान करना भी क्षय रोग में फायदा करता है ।
- "येमाम रोग प्रभादधे" इस मंत्र का मानसिक जाप इस रोग में बहुत फायदा करता है ।
मिश्रित उपाय : ऊपर दिए हुए उपायों के अलावा पन्ना पहनना (अगर जातक को सूट करता हो तो ) और बुध के मन्त्रों का जाप करना भी बहुत फायदा देता है क्षय रोग में ।
दो मुखी और बारह मुखी रुद्राक्ष यदि पहने जाएँ तो काफी फायदा करते हैं ।
Gaurav Malhotra
It is very informative blog, I really like your post, Thanks for sharing great post.
ReplyDeleteLong Looks Capsule