In
this post I am going to give a mantra which is very useful in curing
the heart diseases. It is specially useful for high blood pressure (hyper-tension), elongation of heart, Ischaemia, blocked arteries etc. This mantra is from Rigveda.(Android users who are watching this post through my app (Astro Junction App) on their smartphones, should click on the title of the post above to see the complete post.)
Procedure:
After taking bath and wearing clean and washed clothes, sit on the floor on a red colored cloth
facing east direction. With complete
concentration, recite the following mantra for 108 times. Reciting the mantra daily with complete devotion and concentration will have miraculous effects.
Best time is recite the mantra is early morning because everyone is sleeping and there are no distractions at that time.
Best time is recite the mantra is early morning because everyone is sleeping and there are no distractions at that time.
Udyannadya Mitramahaha Aarohannuttaraam Divam |
Hridrogam Mam Surya Harimaanam Ch Naashay ||
Hridrogam Mam Surya Harimaanam Ch Naashay ||
Please click here to download the recording of this mantra.
इस पोस्ट में मैं एक ऐसा मंत्र देने जा रहा हूँ जो हृदय रोग को ठीक करने में बहुत प्रभावशाली है। यह खासतौर से उच्च रक्तचाप, दिल का अपने आकार से बढ जाना, हृदय की रक्तवाहिनी धमनियों का जाम हो जाना और ह्रदय तक रक्त का कम मात्रा में जाना जैसी समस्याओं में विशेष प्रभावकारी है। यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है ।
विधि: स्नान करके और धुले हुए वस्त्र पहन कर ज़मीन पर एक लाल रंग का कपडा बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएँ। पूर्ण एकाग्रचित्त होकर और पूरी भावना से नीचे दिया गया मंत्र 108 बार जपिये । इसी तरह से इस मंत्र को रोज़ 108 बार जपने के बहुत अच्छे प्रभाव दिखेंगे।
मंत्र को जपने का सबसे अच्छा समय है ब्रह्म मुहूर्त (सुबह सुबह करीब 4 से 5:30 के बीच का समय) जिस समय सब सो रहे होते हैं और कोई शोर-शराबा नहीं होता ।
उद्यन्न्द्य मित्रमहः आरोहन्नुत्तराम दिवम ।
हृद्रोगम मम सूर्य हरिमाणम् च नाशय ॥
इस मंत्र की रिकॉर्डिंग डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें ।
इस पोस्ट में मैं एक ऐसा मंत्र देने जा रहा हूँ जो हृदय रोग को ठीक करने में बहुत प्रभावशाली है। यह खासतौर से उच्च रक्तचाप, दिल का अपने आकार से बढ जाना, हृदय की रक्तवाहिनी धमनियों का जाम हो जाना और ह्रदय तक रक्त का कम मात्रा में जाना जैसी समस्याओं में विशेष प्रभावकारी है। यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है ।
विधि: स्नान करके और धुले हुए वस्त्र पहन कर ज़मीन पर एक लाल रंग का कपडा बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएँ। पूर्ण एकाग्रचित्त होकर और पूरी भावना से नीचे दिया गया मंत्र 108 बार जपिये । इसी तरह से इस मंत्र को रोज़ 108 बार जपने के बहुत अच्छे प्रभाव दिखेंगे।
मंत्र को जपने का सबसे अच्छा समय है ब्रह्म मुहूर्त (सुबह सुबह करीब 4 से 5:30 के बीच का समय) जिस समय सब सो रहे होते हैं और कोई शोर-शराबा नहीं होता ।
उद्यन्न्द्य मित्रमहः आरोहन्नुत्तराम दिवम ।
हृद्रोगम मम सूर्य हरिमाणम् च नाशय ॥
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Gaurav Malhotra
Sir Motape aur skin se related koi upay bataye ?
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